बंदी सिंहों की रिहाई का मामला, यू.एन.ओ. तक पहुंचाई जाएगी आवाज

Edited By Urmila,Updated: 06 Mar, 2023 12:24 PM

the matter of release of captive lions u n o voice will reach

एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष धामी ने कहा कि विरोधी ने बैठकें करने के बाद भी बंदी सिंहों की रिहाई के लिए सांझा संघर्ष शुरू नहीं किया।

लुधियाना : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आदेशों पर अकाली दल की तरफ से बंदी सिंहों की रिहाई के लिए चलाई गई हस्ताक्षर मुहिम के तहत सीनियर यूथ अकाली सदस्य जसदीप सिंह काऊंके की तरफ से अपनी टीम के साथ 32 सैक्टर में रखी आगाज रैली हर पक्ष से सफल ही नहीं रही बल्कि निराशा के आलम में से गुजर रहे अकाली दल में नई जान भी डाल दी। इस मौके पर प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिन्द्र सिंह धामी, यूथ विंग के कौमी अध्यक्ष परमबीर सिंह बंटी रोमाना, अकाली दल के कौमी सदस्य महेशइन्द्र सिंह ग्रेवाल, शरनजीत सिंह ढिल्लों, पूर्व विधायक रणजीत सिंह ढिल्लों, पूर्व मेयर हरचरन सिंह गोहलवाडिया, जगबीर सिंह सोखी, गुरमीत सिंह कुलार, सुरिन्द्र कौर दियाल, कशमीर कौर संधू के चेहरों पर भी खुशी चमक रही थी।

एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष धामी ने कहा कि विरोधी ने बैठकें करने के बाद भी बंदी सिंहों की रिहाई के लिए सांझा संघर्ष शुरू नहीं किया पर केवल अकाली दल ने एस.जी.पी.सी. के आदेशों पर बंदी सिंहों की रिहाई के लिए प्रयत्न तेज किए। उन्होंने कहा कि बंदी सिंहों की रिहाई की आवाज को पहले देश की हकूमत और फिर जरूरत पड़ने पर यू.एन.ओ. तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश का कानून 20 वर्ष की सजा पूरी करने वालों को जेलों में बंद रखने का हुक्म नहीं देता।

बंटी रोमाना ने कहा कि सरकारों ने हमेशा सिखों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार किया है। बंदी सिंहों की रिहाई के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। यहां राजीव गांधी के कातिलों, बिलकिस बोने के कातिलों को तो सजाएं पूरी होने से पहले ही छोड़ा जा रहा है पर बंदी सिंहों को सजाएं पूरी होने पर भी बंद रखा जा रहा है। महेशइन्द्र ग्रेवाल ने भुल्लर का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सिखों के मामले में दोहरे मापदंड अपना रही हैं। अदालतों का व्यवाहर भी ऐसा ही है जो भुल्लर की पटीशन तो खारिज कर देती है।

शरनजीत ढिल्लों ने कहा कि क्या भगत सिंह और करतार सिंह सराभा ने इस लिए शहीदियां दी थी कि कौम के लोगों को सजाएं पूरी होने पर जेलों में रखा जाए। सिखों को सरकारों से कभी इन्साफ नहीं मिला और अगर इन्साफ मिला तो वह लड़ कर मिला। इस अवसर पर मनप्रीत सिंह मन्ना, सिमरनजीत सिंह हनी, एडवोकेट परमबीर सिंह सन्नी, शेरा पहलवान, सुरजीत सिंह पम्मा ओबराय, बलविन्द्र डुलगच, अमनदीप सिंह बिंद्रा, साहिब सिंह मनचंदा, जतिन्द्र सिंह खालसा, गुरप्रीत बब्बल, कार्तिक महेन, तेजी ग्रेवाल, साहिल वर्मा, हरदेव सिंह, हैरी बैंस, प्रितपाल सिंह, मनदीप सिंह सिद्धू, अपजिन्द्र सिंह, दीपू घई, रतन वडै़च, संदीप बैंस, अशवनी पासी, हरनेक सिंह नेक, सतनाम सिंह कैले, प्रितपाल सिंह उपस्थित थे।

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