Edited By Urmila,Updated: 23 Dec, 2025 05:57 PM
इस संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग हमेशा ही लोगों की बेहतर सेहत के लिए प्रतिबद्ध है।
होशियारपुर (जैन): बदलते मौसम में छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सांस कार्यक्रम के तहत सिविल सर्जन डॉ. बलवीर कुमार द्वारा जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग, सहायक सिविल सर्जन डॉ. अजय बसरा, जिला कार्यक्रम अधिकारी मोहम्मद आसिफ, डिप्टी मास मीडिया अधिकारी रमणदीप कौर, डिप्टी मास मीडिया अधिकारी रविंदर जस्सल तथा बी.ई.ई. रोहित शर्मा के सहयोग से जागरूकता सामग्री जारी की गई।
इस संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग हमेशा ही लोगों की बेहतर सेहत के लिए प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्य से सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए निमोनिया के लक्षणों, सावधानियों और उपचार से संबंधित जानकारी से भरपूर एक पोस्टर जारी किया गया है, ताकि समय रहते छोटे बच्चों की कीमती जानें बचाई जा सकें।
उन्होंने बताया कि 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है, जो उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाता है। टीके बच्चों को खसरा, कण्ठमाला, रूबेला, पोलियो, डिफ्थीरिया, टैटनस, काली खांसी, हैपेटाइटिस-बी और चिकनपॉक्स जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं। ये बीमारियां गंभीर जटिलताओं या मृत्यु का कारण बन सकती हैं। टीके न केवल आपके बच्चे की रक्षा करते हैं, बल्कि उनके आसपास के उन लोगों की भी सुरक्षा करते हैं जिन्हें टीका नहीं लगाया जा सकता, जैसे छोटे बच्चे या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग। इसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग ने कहा कि टीकाकरण बचपन में होने वाली कई जानलेवा बीमारियों से बचाव का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (यू.आई.पी.) के माध्यम से कई घातक बीमारियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं। टीकाकरण कार्यक्रम को उच्च प्राथमिकता देते हुए निरंतर जारी रखना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को टीकों के माध्यम से संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए उसकी प्रतिरक्षा शक्ति विकसित की जाती है। यह बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने में मदद करता है और अन्य लोगों में बीमारी के प्रसार को कम करने में भी सहायक है। टीकाकरण संक्रमण या बीमारी के खिलाफ शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।
उन्होंने बताया कि न्यूमोकोकल निमोनिया से बचाव के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन को शामिल किया गया है। बच्चों को एक वर्ष की आयु के भीतर न्यूमोकोकल कंजुगेट (पी.सी.वी) वैक्सीन तीन बार दी जाती है, ताकि न्यूमोकोकल निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव हो सके।
उन्होंने अपील की कि बच्चों के माता-पिता इस बात पर विशेष ध्यान दें कि इस टीके की पहली खुराक 6 सप्ताह (डेढ़ माह) की उम्र में, दूसरी खुराक 14 सप्ताह (साढ़े तीन माह) की उम्र में और तीसरी खुराक 9 माह की उम्र में बूस्टर डोज के रूप में दी जाती है। यदि किसी कारणवश इस निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार पी.सी.वी. का टीका छूट गया हो, तो बच्चे के जन्म के एक वर्ष के भीतर इसे शुरू कराकर टीकाकरण पूरा करवाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जन्म के समय दिए जाने वाले टीकों में बी.सी.जी. बहुत महत्वपूर्ण है। यदि किसी बच्चे को जन्म के समय यह टीका नहीं लगा हो, तो माता-पिता एक वर्ष के भीतर सरकारी डिस्पैंसरी से यह टीका मुफ्त में लगवा सकते हैं। इसी प्रकार एम.आर. का टीकाकरण बच्चे के 5 वर्ष की आयु तक और टी.पी.टी. का टीकाकरण बच्चे के 7 वर्ष की आयु तक पूरा करवाया जा सकता है उन्होंने यह भी अपील की कि बच्चों को विटामिन-ए की 9 खुराकें समय पर देना भी बहुत आवश्यक है, जो 9वें महीने, डेढ़ वर्ष की उम्र में तथा उसके बाद हर छह महीने के अंतराल पर बच्चे के 5 वर्ष की आयु तक दी जाती हैं।
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