SYL विवादः पंजाब-हरियाणा सरकार पर SC ने उठाए सवाल, केंद्र को दिए ये निर्देश

Edited By Vatika,Updated: 23 Mar, 2023 02:25 PM

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पूरे मामले में केंद्र  मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता

पंजाब डेस्कः बहुचर्चित सतलुज-यमुना नहर (एसवाईएल) मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा सरकार पर सवाल उठाते कहा कि दोनों राज्य भारत के ही है और  दोनों को ही बैठकर हल निकालना होगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  पूरे मामले में केंद्र  मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता, इसे सुलझाने के लिए सरगरम भूमीका निभाने के निर्देश दिए गए है। वहीं इस पूरे मामले में  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 2 महीनों के अंदर हलफनामा मांगा है। 

कहां से शुरू हुआ एसवाईएल का विवाद ?

  • ये विवाद कोई आज का नहीं बल्कि काफी पुराना है, साल 1976, 24 मार्च को तब केंद्र सरकार ने SYL की अधिसूचना जारी करते हुए हरियाणा के लिए 3.5 मीट्रिक एकड़ फीट पानी तय किया।जिसके बाद 31 दिसंबर 1981 में हरियाणा में एसवाईएल का निर्माण पूरा हो गया ।
  • 8 अप्रैल 1982  तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव में नहर की नींव रखी। आतंकवादियों ने इसे मुद्दा बना लिया जिससे पंजाब में हालात बिगड़ गए।
  • इसके बाद 24 जुलाई 1985 में राजीव-लौंगोवाल समझौता हुआ।
  • इसके बाद 5 नवंबर साल 1985 में पंजाब विधानसभा में जल समझौते के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित हुआ ।
  • लेकिन 30 जनवरी 1987 को राष्ट्रीय जल प्राधिकरण ने पंजाब को उसके हिस्से में नहर निर्माण तुरंत पूरा करने का आदेश दिया।
  • जब मामला सुलझता नहीं दिखाई दिया तो हरियाणा 1996 में मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ।
  • जिसके बाद 15 जनवरी 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक साल में SYL बनाने का निर्देश दिया। फिर  4 जून 2004 को  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई।
  • साल 2004 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने 12 जुलाई को विधानसभा में 'पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट 2004' लागू किया। संघीय ढांचा खतरे में देख राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से रेफरेंस मांगा फिर 12 साल मामला ठंडे बस्ते में रहा।
  • 14 मार्च 2016 पंजाब विधानसभा में सतलुज-यमुना लिंक कैनाल (मालिकाना हकों का स्थानांतरण) विधेयक पास कर नहर के लिए अधिगृहीत 3,928 एकड़ जमीन वापस किसानों को वापस कर दी गई। पंजाब में SYL के लिए कुल 5,376 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी जिसमें 3,928 एकड़ पर SYL और बाकी हिस्से में डिस्ट्रीब्यूट्रीज बननी थी। पंजाब ने हरियाणा सरकार का 191 करोड़ रुपये का चेक लौटा दिया जिसके बाद स्थानीय किसानों ने नहर को पाट दिया।
  • इसके बाद हरियाणा की मनोहर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया और 10 नवंबर 2016 में कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में रहा लेकिन पंजाब ने अभी  तक नहर का निर्माण शुरू नहीं किया ।

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