Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Aug, 2017 04:48 PM
थाईलैंड में रहने वाले सिखों की युवा पीढ़ी ने थाई नामों को अपनाया है। उन्होंने अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए अपने मौजूदा नामों तथा स्वयं को सरकारी रिकॉर्ड पर रखने के लिए थाई नामों को अपनाना शुरु किया है।
अमृतसर: थाईलैंड में रहने वाले सिखों की युवा पीढ़ी ने थाई नामों को अपनाया है। उन्होंने अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए अपने मौजूदा नामों तथा स्वयं को सरकारी रिकॉर्ड पर रखने के लिए थाई नामों को अपनाना शुरु किया है।
बैंकाक स्थित चरनजीत सिंह कालरा, जिनका थाई नाम Prasert Sakchiraphong चान हैं,ने बताया कि स्थानीय आबादी को सिख नामों को समझने और उच्चारण करने में कठिनाई होती है। चान ने कहा अक्सर कई अवसरों पर नाम भ्रम का कारण बनता है इसलिए सिखों ने थाई नामों को अपनाना शुरू किया।
उन्होंने बताया सिखों ने 1890 तक थाईलैंड में पलायन शुरू कर दिया था और 1911 तक थाईलैंड में सिखों का एक बड़ा समुदाय उभर कर सामने अाया।
पटाया में जन्मे चान ने बताया थाईलैंड में अधिकांश सिख बैंकॉक में केंद्रित हैं,इसके अलावा जेबें पटाया, फुकेत, हैतीई, उबो, उडोर्न, पट्टानी, चांग एमआई और चियांग राय में भी सिखों की अाबादी फैली हुई हैं।
उन्होंने कहा कि देश में सिखों के 70% थाई नाम हैं और थाई भाषा बोलते हैं। चान ने कहा आप्रवासियों की पहली पीढ़ी के लोग पंजाबी नामों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वर्तमान पीढ़ी सिख और थाई दोनों नाम हैं।