Edited By Kalash,Updated: 07 Jul, 2025 06:34 PM

कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें असला लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है।
अमृतसर (नीरज): वर्ष 2019 में सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी करके पूरे राज्य के लाइसेंसी असलाधारकों को आदेश जारी किया गया था कि अपना तीसरा लाइसेंसी हथियार जमा करवाएं, क्योंकि नए नियम के अनुसार लाइसेंसी असलाधारक सिर्फ दो हथियार ही अपनी सुरक्षा के लिए रख सकता है, जिसमें एक हैंड गन (रिवाल्वर या पिस्टल आदि) व दूसरी राइफल या 12 बोर बन्दूक आदि ही रखी जा सकती है लेकिन देहाती इलाके में अभी भी सैकड़ों की संख्या में लाइसेंसी असलधारकों ने अपना तीसरा हथियार जमा नहीं करवाया है, जिसका दुरुपयोग तो होने की संभावना रहती ही है वहीं कानून का भी घोर उल्लंघन हो रहा है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ए.डी.सी. (ज) रोहित गुप्ता ने एक आदेश जारी करके सभी लाइसेंसी असलाधारकों को अपना तीसरा हथियार जमा करवाने के आदेश जारी किए हैं। इसके लिए जिला पुलिस मुखी व देहाती इलाकों के सभी पुलिस थानों को भी ए.डी.सी. दफ्तर के जरिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं और साथ में चेतावनी भी दी गई है कि यदि तीसरा हथियार जमा नहीं करवाया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें असला लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है।
सी.पी. दफ्तर की तरफ से सौ प्रतिशत तीसरे हथियार जमा
तीसरा लाइसेंस हथियार जमा करवाने के मामले में पुलिस कमिश्नर दफ्तर देहाती पुलिस की तुलना में आगे है क्योंकि सिटी पुलिस की तरफ से इस मामले में कड़ा रुख अपनाया गया था, जिसके चलते शहर के लाइसेंसी असलाधारकों ने अपने तीसरे हथियार जमा करवा दिए। इसके लिए डी.सी.पी. दफ्तर की असला ब्रांच की तरफ से बकायदा उन असलाधारकों की लिस्टें तैयार की गईं, जिनके पास तीन हथियार थे इन लिस्टों को सभी थाना प्रभारियों को फावर्ड किया गया और थाना प्रभारियों ने बकायदा असलाधारकों से तीसरा हथियार बेच देने या जमा करवा देने की रसीद लेकर असला ब्रांच को सौंपी, ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी या लापरवाही न हो सके।
असला लाइसेंस लेने के लिए जिले में दो-दो कानून
असला लाइसेंस लेने के मामले में जिले में इस समय दो-दो कानून चल रहे हैं कभी असला लाइसेंस जारी करने की फाइनल अथॉरिटी डी.सी. दफ्तर की होती थी, लेकिन पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान शहरी इलाके में असला लाइसेंस जारी करने के अधिकार पुलिस कमिश्नर दफ्तर को सौंप दिए गए। डी.सी. दफ्तर में लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर 11 हजार रुपए की रैड क्रास फीस अदा करनी पड़ती है, लेकिन पुलिस कमिश्नर दफ्तर में आवेदन करने पर ऐसा कोई नियम नहीं है। डी.सी. दफ्तर में लाइसेंस जारी करने की फाइनल अथॉरिटी डी.सी. या ए.डी.सी. (ज) की रहती है, जिसमें एस.एस.पी. देहाती, डी.एस.एफ. व इलाके के थाना प्रभारी के हस्ताक्षर होते हैं, जबकि सिटी पुलिस में पुलिस कमिश्नर व डी.सी.पी. ला एंड ऑर्डर फाइनल अथॉरिटी रहते हैं।
सिविल लोगों के लिए कोई फायरिंग रेंज नहीं
असलाधारकों के मामले में हैरानीजनक पहलू यह भी है कि जिन लोगों को डीसी दफ्तर या पुलिस कमिश्नर दफ्तर की तरफ से असला लाइसेंस जारी किया जाता है उनको अपना हथियार चलाने के अभ्यास के लिए कोई फॉयरिंग रेंज ही सरकार की तरफ से नहीं बनाई गई, जबकि फायरिंग रेंज होना जरुरी है। ऐसे में ज्यादातर लोगों का निशाना खराब होता है। सही ट्रैनिंग न मिलने के कारण कई बार लोगों की तरफ से मैरिज पैलेसों में शराब पीकर गोली चलाने के मामले सामने आ चुके हैं। यदि फायरिंग रेंज व ट्रेनिंग देने वाला उस्ताद उपलब्ध करवाया जाए तो दुर्घटनाएं कम हो सकती हैं। इतना ही नहीं जंग के दौरान यदि आपातकाल में सिविल लोगों को सेना में शामिल करने या हथियार उठाने की जरुरत पड़े तो इसमें भी सहयोग मिल सकता है।
आदेश का उल्लंघन करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई : ए.डी.सी. रोहित गुप्ता
ए.डी.सी. (ज) रोहित गुप्ता ने बताया सरकार की तरफ से हथियार जमा करवाने के मामले में सख्त आदेश हैं। ऐसे में जो लोग तीसरा लाइेंसी हथियार जमा नहीं करवाएंगे, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
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