ऊना के उद्योगपति एवं दानबीर महिन्द्र शर्मा 'श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति' में सदस्य नामित

Edited By Urmila,Updated: 27 Jun, 2025 05:01 PM

shri badrinath kedarnath temple committee

उत्तराखंड सरकार के सचिव श्री शैलेश बगौली  द्वारा जारी अधिसूचना के अन्तर्गत  राज्य मन्त्री श्री हेमंत त्रिवेदी  की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया

नई दिल्ली : उत्तराखंड  सरकार द्वारा ऊना के  उद्योगपति  एवं दानबीर श्री महिन्द्र  शर्मा को उत्तराखंड में स्थित चार धाम स्थलों पावन बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री  तथा राज्य में स्थित 45 अन्य  पौराणिक धार्मिक स्थलों  का प्रवंधन करने बाली सर्वोच्च संस्था " श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति " में सदस्य नामित किया गया है 

उत्तराखंड सरकार  के सचिव श्री  शैलेश बगौली  द्वारा जारी अधिसूचना के अन्तर्गत  राज्य मन्त्री श्री हेमंत त्रिवेदी  की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जिसमे से श्री महिन्द्र  शर्मा  हिमाचल से अकेले सदस्य मनोनीत किये गए हैं बाकि सभी 9  सदस्य उत्तराखण्ड  से सम्बन्ध रखते हैं।

श्री महिन्द्र  शर्मा ने बताया कि श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति  उत्तराखंड चारधाम की यात्रा के दौरान देश के कोने-कोने से पहुंचने बाले श्रद्धालुओं के रहने, ठहरने और दर्शन की व्यवस्था सुनिश्चित करती है।  इस यात्रा में प्रत्यक सीजन में औसतन पचास लाख लोग चार धाम मंदिरों के  दिव्य दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।  इस साल यात्रा शुरू होने से 31 मई तक रिकॉर्ड 16 लाख यात्रियों ने पावन स्थलों के  दर्शन किए जिसमे केदारनाथ में सर्वाधिक 6. 5 श्रद्धालु नतमस्त हुए।

इस बर्ष दो मई से शुरू हुई यात्रा में  देश विदेश से प्रतिदिन औसत 60, 000  श्रद्धालु पावन चार धाम स्थलों का दर्शन कर रहे हैं। मन्दिर समिति  स्थानीय तीर्थपुरोहितों, पर्यटन कारोबारियों और यात्रा से जुड़े सभी हित धारकों को साथ लेकर यात्रा को सफल बनाने में अहम भूमिका अदा करती है। श्री महिन्द्र  शर्मा ने बताया कि श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति संस्कृत भाषा के प्रसार हेतु सात संस्कृत विद्यालयों का संचालन करती है जिनमें छात्रों को निशुल्क छात्रावास एवं छात्रवृति की सुविधा भी उपलब्ध है। साथ ही एक गुप्तकाशी विद्यापीठद्ध में स्थित आयुर्वेदिक फार्मेसी विद्यालय का भी संचालन करती है।  श्री बदरीनाथ श्री केदारनाथ मंदिर समिति 45 अन्य अधिनस्थ मंदिरों और 20 धर्मशालाओं का रखरखाव करती है जो कि श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में स्थित हैं।

श्री महिन्द्र  शर्मा ने बताया की उत्तराखंड सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा पर जोर देते हुए प्रदेश में 12 महीने चारधाम यात्रा संचालित करना चाहती है ताकि शीतकाल के दौरान भी श्रद्धालु चारों धामों के प्रवास स्थल पर भगवान के दर्शन कर सकें। ऐसे में राज्य सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा को तेजी से बढ़ावा दे रही है। श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन और निजी होटलों के गेस्ट हाउस के किराए में हर बर्ष छूट प्रदान करता है  इससे न सिर्फ श्रद्धालुओं को शीतकाल के दौरान चारधाम के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा  बल्कि स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के नए साधन भी मिल सकेंगे।

श्री बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। श्री बद्रीनाथ मन्दिर आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धामों में सबसे बड़ा महत्व रखते हैं एवं इस स्थान को एकमात्र मोक्ष धाम माना गया है। इस धाम का वर्णन स्कन्द पुराण, केदारखण्ड, श्रीमद्भागवत आदि अनेक धार्मिक ग्रन्थों में आता है। भगवान विष्णुजी ने नारायण रूप में सतयुग के समय यहां पर तपस्या की थी । यह मूर्ति अनादिकाल से है और अत्यन्त भव्य एवं आकर्षक है । इस मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जिसने जिस रूप में इसे देखा उसे इसमें अनेक इष्टदेवों के दर्शन प्राप्त हुए। बद्रीनाथ भगवान विष्णु के 24 अवतारों में पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। 

श्री केदारनाथ मन्दिर, बारह प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंगों में से सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव को समर्पित   ग्यारहवां   ज्योतिर्लिंग है। जहां महाभारत में जीत के बाद पांडवों ने युद्ध में गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा कर दर्शन प्राप्त किये थे। यह मंदिर पंच केदार में से एक है जो भगवान शिव के पांच मंदिरों का एक समूह है। यह चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।

हिमालय के भीतरी क्षेत्र में गंगोत्री धाम सबसे पवित्र तीर्थ स्थान है जहां गंगा,  जीवन की धारा, पहली बार पृथ्वी को स्पर्श करती है।  गंगोत्री मंदिर देवी गंगा को समर्पित है। जहां राजा भागीरथ ने भगवान शिव की पूजा की थी। सभी नदियों में सबसे पवित्र  गंगा स्वर्ग  से धरती पर गंगोत्री में उतरी थी,  जब भगवान शिव ने अपनी जटाओं से शक्तिशाली नदी को छोड़ा था। यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले, उत्तराखण्ड राज्य में समुद्रतल से 3235 मी. ऊंचाई पर स्थित वह स्थान है जहां से यमुना नदी निकलती है। यह देवी यमुना का निवास स्थल भी है। यहां पर देवी यमुना का एक मंदिर है। यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ भी है और चार छोटे धामों में से एक है।

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