Edited By Urmila,Updated: 03 Jan, 2025 02:29 PM
विजिलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि शिकायत संख्या 75/2022 की जांच के दौरान पाया गया।
जालंधर/चंडीगढ़ : पंजाब विजिलैंस ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम के दौरान संजीव कालीया, सीनियर सहायक, नगर सुधार ट्रस्ट, जालंधर (अब होशियारपुर में तैनात) के खिलाफ नगर सुधार ट्रस्ट, जालंधर में अपने पद का दुरुपयोग कर अनियमितताएं करने और पत्नी के नाम पर प्लॉट की घपलेबाजी करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विजिलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि शिकायत संख्या 75/2022 की जांच के दौरान पाया गया कि उक्त संजीव कालीया के खिलाफ दविंदरपाल कौर से प्लॉट नंबर 828 की बिना निर्माण फीस 14,35,350 रुपए हासिल किए बिना और डीलिंग हैंड न होने के बावजूद अपने पद का दुरुपयोग कर अप्रैल 21, 2010 को एक पत्र लिखकर उक्त प्लॉट के खसरा नंबर की रिपोर्ट देने के लिए पटवारी को लिखा था।
इसके बाद पटवारी ने खसरा नंबर संबंधित रिपोर्ट सुपरिटैंडैंट सैल्स को भेजी लेकिन संजीव कालीया ने सुपरिटैंडैंट को बाईपास करते हुए बिना निर्माण फीस 14,35,350 रुपए हासिल किए बिना ही सीधे तौर पर तत्कालीन चेयरमैन से उक्त प्लॉट दविंदरपाल कौर के नाम पर आबंटित करवा लिया। इसके अतिरिक्त नगर सुधार ट्रस्ट ने 13/10/2016 को एक पत्र जारी करके दविंदरपाल कौर के नाम पर कोई आपत्ति नहीं एन.डी.सी. जारी कर दिया, जबकि दविंदरपाल कौर का निधन 12/01/2015 को हो चुका था, जिस कारण यह एन.डी.सी. जारी नहीं किया जा सकता था।
प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान जतिंदर सिंह, कार्य साधक अधिकारी द्वारा दिए गए बयान के मुताबिक, 13.10.2016 को जारी इस एन.डी.सी. पर उनके हस्ताक्षर नहीं थे, लेकिन नगर सुधार ट्रस्ट ने अपने कार्यालय के पत्र दिनांक 11.10.2024 के जरिए स्पष्ट किया कि इस एन.डी.सी. पर जतिंदर सिंह कार्य साधक अधिकारी के ही हस्ताक्षर हैं और ये हस्ताक्षर कार्य साधक अधिकारी के बाकी दस्तावेजों पर किए गए हस्ताक्षरों से मेल खाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस मामले के अलावा जांच के दौरान यह भी पाया गया कि सोहन देई पत्नी भगवान दास की मालिकियत वाला 9 मरले 147 वर्ग फुट रकबा नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा वर्ष 1976 में लायी गई ‘110 योजना’ गुरु तेग बहादुर नगर, जालंधर के तहत अधिग्रहित किया गया था, लेकिन इसके बदले सोहन देई को नीति के तहत कोई प्लॉट आबंटित नहीं किया गया था। संजीव कालीया नगर सुधार ट्रस्ट, जालंधर में तैनात होने के कारण यह जानता था कि ट्रस्ट की 94.5 एकड़ योजना गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में उसके आवासीय मकान के साथ लगा प्लॉट नंबर 276 खाली है, जिसे लोकल डिसप्लेस्ड पर्सन्स (एल.डी.पी.) कोटे में किसी अन्य के नाम पर आबंटित कर अपने नाम पर करवा सकता है। इसलिए उसने अपने जानकारों के माध्यम से सोहन देवी तक पहुंच कर उसे महज 6,50,000 रुपए देकर दीपक पुत्र सोहन लाल निवासी सत्तावाली, थाना आदमपुर जिला जलंधर को मुख्तियार-ए-आम नियुक्त कर उसके नाम पर मुख्तियारनामा नंबर 275 दिनांक 10.10.2011 के साथ पंजीकृत करवा दिया।
इसके बाद उक्त प्लॉट को संजीव कालिया ने अपने निजी लाभ के लिए मुख्तियार-ए-आम दीपक के आधार पर 94.5 एकड़ योजना में अपने आवासीय मकान नंबर 277 के साथ लगे प्लॉट नंबर 276 (पत्र संख्या 1202 दिनांक 28.10.2011) के माध्यम से सोहन देई के नाम पर आबंटित करवा लिया। इस प्लॉट की उक्त विशेष कोटे के अनुसार निर्धारित रिजर्व कीमत 31,883 रुपए ट्रस्ट के खाते में जमा करवा दी गई। सोहन देई के नाम पर इस प्लॉट का बैनामा 9532 दिनांक 22.12.2011 के माध्यम से करवा लेने के बाद प्लाट नंबर 276 का एन.डी.सी. पत्र संख्या 3965 दिनांक 05.03.2012 के माध्यम से प्राप्त कर लिया। इसके बाद संजीव कालिया ने मुख्तियार-ए-आम दीपक को 7,00,000 रुपए नकद अदा करके उक्त प्लाट का वसीका तैयार करवा लिया और 03.02.2012 को खुद पेश होकर अपनी पत्नी उपमा कालीया के नाम पर कलैक्टर रेट के अनुसार 21,74,000 रुपए के साथ पंजीकृत करवा लिया।
प्रवक्ता ने बताया कि संजीव कालीया ने उक्त प्लॉट को खरीदने संबंधी अपने विभाग से मंजूरी नहीं ली और न ही बाद में विभाग को सूचित किया। एक जनसेवक होते हुए ऐसा करना संजीव कालीया द्वारा अपराध किया गया, जिसके चलते उसके खिलाफ आई.पी.सी. की धारा 420, 409 और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1) ए सहित 13 (2) के तहत थाना विजीलैंस ब्यूरो, रेंज जालंधर में मामला दर्ज किया गया है। आरोपी संजीव कालीया को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। इस मामले की आगे की जांच जारी है।
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