पंजाब के Schools व कोचिंग सेंटरों में सरेआम चल रहा ये खेल, CBSE बेखबर

Edited By Kalash,Updated: 25 Mar, 2025 05:41 PM

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इसके बावजूद कई स्कूल ऐसे हैं जिन पर न तो केंद्र सरकार की सख्ती का कोई असर है और न सी.बी.एस.ई. द्वारा पिछले दिनों ऐसे स्कूलों की हुई चैकिंग की कोई परवाह।

लुधियाना (विक्की): डमी एडमिशन करने वाले स्कूलों पर सख्ती बरतने के संकेत देते हुए बेशक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यह साफ कर दिया था कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ एक्शन जारी रहेगा लेकिन इसके बावजूद कई स्कूल ऐसे हैं जिन पर न तो केंद्र सरकार की सख्ती का कोई असर है और न सी.बी.एस.ई. द्वारा पिछले दिनों ऐसे स्कूलों की हुई चैकिंग की कोई परवाह। यही वजह है कि जिले के कई स्कूल अभी भी धड़ल्ले से डमी एडमिशन कर रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कोचिंग सैंटर संचालकों की सैटिंग के साथ ही स्कूल इस कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं जिससे बोर्ड की सख्ती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल 10वीं की परीक्षाएं खत्म होने के बाद अब मैडीकल व नॉन-मैडीकल क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले विद्यार्थी क्रमश: नीट व जे.ई.ई. की तैयारी को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। इस शृंखला में जब कोई छात्र किसी भी कोचिंग सैंटर में उक्त एंट्रैंस एग्जाम की तैयारी के लिए जाता है तो उसे स्कूल में डमी एडमिशन करवाने की गारंटी भी सैंटर से दी जा रही है। बाकायदा कोचिंग सैंटर की ओर से ही छात्र को स्कूल का नाम व फीस अलग से बताया जाता है जिसकी एवज में छात्र को पहले उक्त कोचिंग सैंटर में ही एडमिशन लेनी होगी।

सूत्र बताते हैं कि इनमें एक-दो नामी स्कूल भी हैं जो इस कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं जबकि एक स्कूल तो डमी एडमिशनों के सहारे ही चल रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में बने कई स्कूल भी डमी एडमिशन को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन सी.बी.एस.ई. की टीमों का ध्यान इन स्कूलों पर नहीं है।

मैडीकल-नॉन मैडीकल एंट्रैंस एग्जाम की तैयारी ने खत्म किया क्लास कल्चर

दरअसल मैडीकल-नॉन मैडीकल के एंट्रैंस एग्जाम की तैयारी ने क्लास कल्चर को खत्म कर दिया है। कई सी.बी.एस.ई. स्कूलों ने डमी एडमिशन को भरपूर प्रोत्साहन दिया है। पिछले कई वर्ष से कुछ स्कूल तो सिर्फ एग्जामिनेशन सैंटर बनकर रह गए हैं। हालात ये हैं कि इन स्कूलों में डमी एडमिशन लेने वाले 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों की कोई क्लास नहीं लगती। हालांकि जिले के अधिकांश स्कूल सीनियर सैकेंडरी तक हैं लेकिन इनमें से कइयों में तो 10वीं के बाद रैगुलर फैकल्टी तक नहीं है। कोचिंग सैंटर अपने करार वाले स्कूलों में खुलेआम 11वीं-12वीं के बच्चों को डमी एडमिशन दिलाते हैं जबकि स्कूल बच्चे की अटैंडैंस पूरी करने की एवज में कथित तौर पर अलग से रकम वसूल रहे हैं।

सी.बी.एस.ई. का नियम: नियमित स्कूल आना लाजिमी

सी.बी.एस.ई. के नियमों के मुताबिक बोर्ड एग्जाम के लिए नियमित स्कूल आना और न्यूनतम हाजिरी की शर्त पूरा करना जरूरी है। ऐसे ही मामले में सी.बी.एस.ई. ने गत दिनों बहुत से स्कूलों के 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं में रजिस्ट्रेशन और कैंडिडेट लिस्ट के डाटा का विश्लेषण किया। जांच के आधार पर स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पिछले वर्ष सितम्बर में 27 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई। 21 स्कूलों की तो एफीलिएशन खत्म कर दी गई और 6 स्कूलों को डाऊनग्रेड कर दिया गया। मौजूदा समय में स्कूलों में डमी एडमिशन चल रही हैं जिसमें दाखिला लेने वाले विद्यार्थी पूरा दिन अपने एंट्रैंस एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग सैंटर में ही मिलेंगे।

रैगुलर के लिए 20 तो डमी एडमिशन वाले छात्र के लिए 60 हजार तक है फीस

कई ऐसे स्कूल हैं जो डमी एडमिशन के नाम पर हर साल मोटे रुपए बटोर रहे हैं। डमी एडमिशन करने वाले इन स्कूलों की रैगुलर छात्रों के लिए एडमिशन फीस भले ही 20 से 25 हजार रुपए है लेकिन डमी एडमिशन के नाम पर 55 से 65 हजार रुपए तक अलग से वसूल रहे हैं।

इसके एवज में छात्रों को स्कूल न आने की छूट दी जा रही है। बच्चों को सिर्फ परीक्षा के लिए स्कूल बुलाया जा रहा है। दरअसल, ये बच्चे इंजीनियरिंग, मैडीकल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग जाते हैं। ऐसे में से अधिकतर समय स्कूल की बजाय कोचिंग में ही निकाल रहे हैं। कोचिंग संस्थानों में अलग से प्रति वर्ष कोचिंग के लिए एक से डेढ़ लाख रुपए तक खर्च करते हैं। बच्चे बाहरी शहरों या अपने शहर के कोचिंग संस्थानों में कोचिंग लेते हैं लेकिन स्कूल वाले हाजिरी रजिस्टर में अपने स्तर पर फर्जी अटैंडैंस लगाते हैं। नियमों के मुताबिक बोर्ड की परीक्षा देने के लिए विद्यार्थियों की 75 प्रतिशत हाजिरी होना जरूरी है, अन्यथा बोर्ड द्वारा रोल नंबर जारी नहीं किया जाता, इसलिए स्कूलों में बच्चे तो सिर्फ परीक्षा ही देने आते हैं।

कई छात्र स्कूल रैगुलर रहकर 1 वर्ष करते हैं ड्रॉप

हालांकि कई विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो एम.बी.बी.एस. या बी.टैक में एडमिशन लेने के लिए पहले स्कूल में रैगुलर 11वीं -12वीं की पढ़ाई करते हैं। 12वीं के एग्जाम खत्म होने के बाद ऐसे छात्र एक वर्ष का ड्रॉप लेकर पूरा वर्ष कोचिंग सैंटर में एंट्रैंस एग्जाम की तैयारी करते हैं लेकिन अधिकांश बच्चे ऐसे हैं जिनकी हाजिरी उनके स्कूल में लगती रहती है मगर वे पढ़ाई कोचिंग संस्थाओं में करते हैं। इसे ही ‘डमी एडमिशन’ कहा जाता है । कोचिंग संस्थाएं सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक कई शिफ्टों में चलती हैं। सुबह के समय जो नियमित विद्यार्थी कोचिंग क्लासेस अटैंड करते हैं उनमें अधिकांशतः डमी एडमिशन वाले ही होते हैं।

इसे लेकर सी.बी.एस.ई. रिजनल आफिसर राजेश गुप्ता ने कहा कि जो स्कूल इस कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं, वे बाज आएं। सी.बी.एस.ई. रिजनल ऑफिस की ओर से भी स्कूलों की औचक चैकिंग करवाई जा रही है। आने वाले दिनों में अंतर जिला टीमें स्कूलों की औचक जांच करेंगी। जो स्कूल इस कार्रवाई में संलिप्त पाया गया, उसके विरूद्ध नियमों के मुताबिक एक्शन होगा।

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