Edited By Urmila,Updated: 25 Apr, 2025 10:44 AM
ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार ने विगत कल जहां पहले बिना एन.ओ.सी. और रकबे को तोड़कर संपत्तियों की रजिस्ट्री करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी।
जालंधर (चोपड़ा): पंजाब में रजिस्ट्रेशन सिस्टम में इन दिनों आमूलचूल बदलाव देखे जा रहे हैं। विशेषकर जालंधर जिले के सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में बीते दिनों चार नए ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रारों की नियुक्तियों के बाद न केवल कामकाज की रफ्तार बदली है, बल्कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता और कठोरता का नया अध्याय शुरू हुआ है।
ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार ने विगत कल जहां पहले बिना एन.ओ.सी. और रकबे को तोड़कर संपत्तियों की रजिस्ट्री करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। वहीं ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार ने पुडा, नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों से अप्रूव्ड कॉलोनियों की रजिस्ट्री को लेकर स्पष्ट कहा है कि केवल लाइसैंस नंबर से काम नहीं चलेगा। अब कॉलोनाइजर को उस कॉलोनी के लिए संबंधित विभाग से प्राप्त लाइसैंस नंबर के साथ-साथ लाइसैंस और कंप्लीशन सर्टीफिकेट भी लगाना अनिवार्य होगा अन्यथा रजिस्ट्री को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
कल जालंधर-2 सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसने इस नए फरमान को एक्शन में दिखाया। तहसील में कार्यरत अर्जीनवीस देस राज दो कॉलोनियों की रजिस्ट्री कराने पहुंचे, जिनमें से एक कॉलोनी वडाला गांव के एक “पी” नाम के रॉयल कॉलोनाइजर की थी जबकि दूसरी “रा” नामक कॉलोनाइजर की कॉलोनी की थी। अजीर्नवीस का दोनों कॉलोनियों में दावा था कि वे पुडा से अप्रूव्ड हैं और उन्होंने विभाग से जारी लाइसैंस नंबर भी लिखे हुए हैं।
हालांकि, जब ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार रवनीत कौर और जगतार सिंह ने रजिस्ट्री के दस्तावेजों की जांच की तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल लाइसैंस नंबर से रजिस्ट्री की मंजूरी नहीं दी जाएगी। उन्हें कॉलोनी के लिए जारी किया गया कंपलीशन सर्टीफिकेट भी साथ लाना होगा।
इस पर अर्जीनवीस ने तर्क दिया कि संबंधित एक कॉलोनियां 2008 और दूसरी 2018 के करीब अप्रूव हुई थी और विभाग ने ही लाइसैंस नंबर जारी कर रखा है। लगभग डेढ़ घंटे तक चली बहस और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद दोनों ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रारों ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया कि बिना कंपलीशन सर्टीफिकेट रजिस्ट्री नहीं होगी। वहीं रजिस्ट्री प्रक्रिया में लाई गई इस पारदर्शिता और सख्ती से अब भविष्य में कई कॉलोनाइजेशन घोटालों की परतें खुल सकती हैं। ऐसी कॉलोनियों की सूची तैयार की गई तो अनेकों मामले सामने आ सकते हैं जिन कालोनियों का कंपलीशन सर्टीफिकेट नहीं लिया गया।
पंजाब में खासकर जालंधर के सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में शुरू हुए इस कड़े कदम ने साफ संदेश दिया है कि अब ‘अप्रूव्ड’ का मतलब सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जमीनी हकीकत भी उतनी ही अहम होगी।
ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार के नए फैसले से मचा कॉलोनाइजरों में हड़कंप
ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रारों के इस निर्णय से उन कॉलोनाइजरों के बीच हड़कंप मच गया है। उन्होंने केवल लाइसैंस लेकर कॉलोनी की प्लाटिंग शुरू कर दी और कई बार एक ही कॉलोनी के आसपास की कई एकड़ जमीन को मिलाकर 'अप्रूव्ड कॉलोनी' बता कर लोगों को बेचा। इन कॉलोनाइजरों ने ना तो कॉलोनी के लिए निर्धारित सुविधाएं जैसे चौड़ी सड़कें, पार्क, स्कूल, सीवरेज सिस्टम, कम्युनिटी हॉल आदि बनाए और न ही किसी भी तरह का कंपलीशन सर्टीफिकेट लिया।
सूत्रों की मानें तो केवल जालंधर में ही दर्जनों कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनका लाइसैंस तो लिया गया लेकिन पापरा एक्ट के अंतर्गत निर्धारित सभी शर्तों को पूरा नहीं किया। इस कारण विभाग ने कभी कंपलीशन सर्टीफिकेट जारी ही नहीं किया। लेकिन इन कॉलोनियों को 'गवर्नमेंट अप्रूव्ड कॉलोनी' बता कर हजारों लोगों को प्लॉट बेच दिए गए।
कंपटीशन सर्टीफिकेट क्यों होता है जरूरी?
कंप्लीशन सर्टिफिकेट उस समय जारी किया जाता है जब कॉलोनाइजर कॉलोनी में सभी मूलभूत सुविधाएं, जैसे सड़कें, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज सिस्टम, सीवरेज, पार्किंग, ग्रीन एरिया, स्कूल आदि को पूरा कर लेता है। यह प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि कॉलोनी रहने लायक है और वहां की बुनियादी संरचना नियमों के अनुसार है। वहीं बिना कंपलीशन सर्टीफिकेट के कॉलोनी में रजिस्ट्री होना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे आम जनता के हितों को भी नुकसान पहुंचता है। लोग ऐसे क्षेत्रों में प्लॉट खरीद कर बाद में बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान होते हैं।
दोनों ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार की बनी आई.डी, अब एक साथ देंगे दस्तावेजों को अप्रूवल
पंजाब सरकार द्वारा प्रत्येक सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दो-दो ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार तैनात करने के बाद नई व्यवस्था के तहत सब रजिस्ट्रार कार्यालय जालंधर-1 और जालंधर-2 में नियुक्त किए गए चारों ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार की आईडी भी एक्टिव कर दी गई हैं, जिसके बाद अब उन्होंने प्रतिदिन एक साथ बैठकर दस्तावेजों की जांच से लेकर अप्रूवल देने का सारा काम अपने हाथों में ले लिया है।
इस नई प्रणाली के अनुसार, अब रजिस्ट्री के लिए आने वाले प्रत्येक दस्तावेज को दोनों ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार की आईडी में बांट कर डाला जाएगा। इन दस्तावेजों की जांच से लेकर अप्रूवल देने तक का काम संबंधित ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार ही फाइनल करेंगे और जिस सब रजिस्ट्रार की आई.डी. में जो डॉक्यूमैंट होगा उस रजिस्ट्री पर अधिकारी साइन कर अंतिम मंजूरी देंगा। इससे पहले सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में दस्तावेजों की जांच का काम केवल रजिस्ट्री क्लर्कों के जिम्मे होता था। दस्तावेजों की वैधता की पुष्टि क्लर्क ही करते थे।
ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार के फैसले से रजिस्ट्रियों में आई खासी कमी
ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार द्वारा तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की कवायद में लगातार सख्त फैसले लिए जा रहे है। कल सब रजिस्ट्रार -1 कार्यालय में 84 आवेदकों ने ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट ले रखी थी जिनमें से केवल 70 डाक्यूमैंट को अप्रूवल दी गई। वहीं सब रजिस्ट्रार-2 कार्यालय में आज 61 लोगों ने ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट ले रखी थी, जिसमें से केवल 54 डाक्यूमैंट ही रजिस्टर्ड किए गए है।
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