Edited By swetha,Updated: 08 Aug, 2019 12:16 PM

वाघा बार्डर से रोजाना लगभग 200 ट्रकों को पाकिस्तान के लिए भेजा जाता था।
जालंधर(धवन): अनुच्छेद-370 को रद्द किए जाने के बाद भले ही पाकिस्तान से व्यापारिक रिश्ते खत्म होने से पंजाब के किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन इसका दूसरा अच्छा पहलू यह भी है कि भारत से गरूर में डूबे हुए पाकिस्तान को सब्जियों के अलावा सटमाटर, अदरक, लहसून, सोयाबीन आदि की सप्लाई बंद हो गई है।
रेल और सड़क मार्ग से लंबे समय से चल रहा था भारत-पाक में व्यापार
वाघा बार्डर से रोजाना करोड़ों रुपए का औद्योगिक व कृषि उत्पादों को पाकिस्तान भेजा जाता था, परन्तु इस पर अब ब्रेक लग जाएगी। वाघा बार्डर से सड़क तथा रेल दोनों मार्गों से भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार काफी लम्बे समय से चल रहा था। वाघा बार्डर से रोजाना लगभग 200 ट्रकों को पाकिस्तान के लिए भेजा जाता था।
पाकिस्तान के साथ मुक्त व्यापार होने पर पंजाब के किसानों को होना था सर्वाधिक लाभ
पंजाब की ओर से तो लम्बे समय से यही मांग आ रही थी कि वाघा बार्डर से पाकिस्तान के साथ व्यापार को पूरी तरह से खोला जाए। इससे पंजाब के किसान मध्य एशिया तक अपने उत्पादों को भेज सकने में सक्षम हो पाते। पंजाब की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। पाकिस्तान के साथ मुक्त व्यापार होने की स्थिति में पंजाब के किसानों को सर्वाधिक लाभ होना था।
इन उत्पादों का हो रहा था आयात निर्यात
पंजाब के वाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान को सब्जियों के अलावा सटमाटर, अदरक, लहसून, सोयाबीन आदि को भी रोजाना भेजा जा रहा था। इसके अतिरिक्त कॉटन यार्न व अन्य औद्योगिक सामान भी पाकिस्तान को जा रहा था। एक अनुमान के अनुसार वाघा बार्डर से ही लगभग 3000 करोड़ का वार्षिक व्यापार भारत व पाकिस्तान के मध्य होता है। अक्तूबर 2007 में ही वाघा बार्डर से दोनों देशों के मध्य ट्रकों का आना-जाना शुरू हुआ था। पाकिस्तान ने अटारी-वाघा लैंड रूट के माध्यम से लगभग 137 आइटमों को पाकिस्तान भेजने की मंजूरी दी हुई थी। भारत-पाकिस्तान के मध्य व्यापारिक संबंधों में मजबूती आने से वाघा बार्डर पर पिछले कुछ वर्षों से आधारभूत ढांचे को भी बनाया गया था।