Edited By Vatika,Updated: 16 Jul, 2024 01:56 PM
इतना ही नहीं, जमीन से लगातार पानी निकाला जा रहा है, जिससे हर साल औसत जल स्तर एक मीटर तक गहरा होता जा रहा है।
पंजाब डेस्कः पंजाब में भूमिगत जल दिन प्रतिदिन गहरा होता जा रहा है, जिसके कारण 150 ब्लॉकों में से लगभग 117 ब्लॉक डार्क जोन में आ गए हैं। इसका एक बड़ा कारण राज्य में रोजाना मोटर वाहनों की संख्या में वृद्धि है। जानकारी के मुताबिक, 1980 के दशक में करीब 2 लाख ट्यूबवेल थे, जबकि अब 16 लाख से ज्यादा हैं। इतना ही नहीं, जमीन से लगातार पानी निकाला जा रहा है, जिससे हर साल औसत जल स्तर एक मीटर तक गहरा होता जा रहा है।
ये हैं आंकड़े
वर्ष 1990 की बात करें तो ट्यूबवेल से खेती का क्षेत्रफल 2233 हेक्टेयर था। उस समय डीजल से चलने वाले ट्यूबवेलों की संख्या घटकर 2 लाख रह गई थी, जबकि बिजली से चलने वाली मोटरों की संख्या बढ़कर 6 लाख हो गई थी। इसके बाद जब 1997 में पंजाब सरकार ने किसानों के लिए मुफ्त बिजली की घोषणा की तो उस वक्त जो आंकड़े सामने आए हैं उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पंजाब में ट्यूबवेलों की रफ्तार कितनी बढ़ गई। इसके बाद 2009 में डीजल से चलने वाले ट्यूबवेलों की संख्या घटकर 2 लाख 26 हजार और बिजली मोटरों की संख्या लगभग 11 लाख 6 हजार रह गई। इसी तरह 2015-17 में डीजल से चलने वाले ट्यूबवेलों की संख्या घटकर 1 लाख 65 रह गई, जबकि इलेक्ट्रिक मोटरों की संख्या पिछले 27 साल से बढ़कर 12 लाख 54 हजार का आंकड़ा पार कर गई। इन मोटरों से कुल 2940 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सिंचाई की गई। पिछले 30 वर्षों में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र 1430 हेक्टेयर से घटकर 1186 हेक्टेयर रह गया है। 2017 पर नजर डालें तो डीजल से चलने वाले ट्यूबवेलों की संख्या घटकर 1 लाख 40 हजार रह गई है, जबकि मोटरों की संख्या 13 लाख 36 हजार तक पहुंच गई है।साल 2019 की बात करें तो पंजाब में ट्यूबवेलों की संख्या करीब 16 लाख हो गई थी। वहीं अब साल 2024 में ये संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई है। किसान धड़ाधड़ नई मोटरें लगा रहे हैं।
सरकारें ध्यान दें
जरूरत है कि सरकार का कृषि विभाग इस पर विशेष ध्यान दे ताकि भूमिगत जल के घटते स्तर को बचाया जा सके। किसानों को अंडर ग्राऊंड पाइप की आसान सुविधा मुहैया करवाई जाएं और फव्वारा तकनीक से सिंचाई कम पानी लेने वाली फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।