Edited By Subhash Kapoor,Updated: 06 Sep, 2024 05:59 PM
फगवाड़ा में मनरेगा अधिकारियों द्वारा दो ठेकेदारों को साल 2021 में सरकार द्वारा 25.75 लाख रुपए का मटीरियल सप्लाई करने के लिए दिया गया था, लेकिन दोनों ठेकेदारों ने आज तक मटीरियल सप्लाई नहीं किया।
कपूरथला : फगवाड़ा में मनरेगा अधिकारियों द्वारा दो ठेकेदारों को साल 2021 में सरकार द्वारा 25.75 लाख रुपए का मटीरियल सप्लाई करने के लिए दिया गया था, लेकिन दोनों ठेकेदारों ने आज तक मटीरियल सप्लाई नहीं किया। जिसकी लोकपाल जसविंदर सिंह, ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग कपूरथला द्वारा नोटिस लेकर जांच की गई। जांच में पता चला कि ब्लॉक फगवाड़ा के मनरेगा स्टाफ ने मनरेगा के काम करवाने के लिए एक ही परिवार के ठेकेदारों कमलजीत सिंह मेसर्स कमल कंस्ट्रक्शन कंपनी वीपीओ साहनी तहसील फगवाड़ा जिला कपूरथला और प्रदीप कौर मेसर्स दशमेश उद्योग समिति बीके वीपीओ साहनी तहसील फगवाड़ा जिला कपूरथला को साल 2021 में 25% रकम एडवांस दी गई।
दोनों ठेकेदार फर्मों ने फगवाड़ा ब्लॉक से संबंधित 40 पंचायतों में काम करवाने के लिए तीन साल पहले एडवांस रकम लेने के बाद आज तक मटीरियल नहीं दिया। मनरेगा का काम समय पर पूरा नहीं हुआ जिससे ब्लॉक फगवाड़ा की प्रगति पर बुरा असर पड़ा। जांच के दौरान ब्याज सहित रिकवरी के लिए कुल रकम 41,69,339/- रुपए की रिकवरी नोटिस तीन साल बाद ब्लॉक विकास और पंचायत अधिकारी फगवाड़ा द्वारा दोनों ठेकेदार फर्मों को भेजा गया।
तीन साल तक ठेकेदार फर्मों से दी गई रकम वापस लेने या मटीरियल लेने के लिए मनरेगा अधिकारी ब्लॉक फगवाड़ा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। लोकपाल द्वारा पूरी तरह जांच के बाद कमलजीत सिंह मेसर्स कमल कंस्ट्रक्शन कंपनी वीपीओ साहनी तहसील फगवाड़ा जिला कपूरथला और प्रदीप कौर मेसर्स दशमेश उद्योग समिति बीके वीपीओ साहनी तहसील फगवाड़ा जिला कपूरथला को और मनरेगा के अधिकारी चरनजीत एपीयू, सुरिंदर पाल एपीयू और तलविंदर सिंह ग्राम रोजगार सेवक को इस सरकारी फंड का दुरुपयोग करने के लिए दोषी पाया गया।
इन दोनों ठेकेदारों के खिलाफ पंजाब पंचायत राज एक्ट 1994 की धारा 216 के तहत और संबंधित कानूनी धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवाने की वित्त आयुक्त, ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग, पंजाब को सिफारिश की गई है। मनरेगा के अधिकारी चरनजीत एपीयू, सुरिंदर पाल एपीयू और तलविंदर सिंह ग्राम रोजगार सेवक की हर महीने की तनख्वाह में कटौती करके जब तक दोनों ठेकेदारों से पूरी रिकवरी नहीं वसूल की जाती तब तक इस केस के साथ अटैच करने और संबंधित कानूनी धारा के तहत कार्रवाई करने की उच्च अधिकारियों को सिफारिश की गई। दोनों ठेकेदारों को मनरेगा स्कीम से तुरंत ब्लैकलिस्ट किया गया ताकि ये ठेकेदार मनरेगा में दोबारा काम न कर सकें।