Edited By Kalash,Updated: 16 Jul, 2025 06:52 PM
चंडीगढ़ (अंकुर): स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने डायरिया से होने वाली बच्चों की मौतों को रोकने के लिए दस्त रोको मुहिम 2025' की शुरुआत की। उन्होंने बच्चों के बचाव के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने के आदेश दिए। यह अभियान लगातार दो महीने तक चलेगा। इस दौरान पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर के प्रमुख कारण डायरिया की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस मौके पर उन्होंने जागरूकता पोस्टर भी जारी किए।
उन्होंने कहा कि डायरिया बच्चों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, जो एक बेहद गंभीर लेकिन रोकथाम योग्य बीमारी है। यह अभियान जागरूकता, रोकथाम और समय पर उपचार के माध्यम से प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग उच्च जोखिम वाले मानसून के महीनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रोकथाम-बचाव-ईलाज (पी.पी.टी.) रणनीति अपनाएगा। सरकार आशा वर्करों की मदद से घर-घर जाकर ओ.आर.एस.-जिंक किट का वितरण सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा सभी स्वास्थ्य संस्थानों और आंगनवाड़ी केंद्रों में ओ.आर.एस.-जिंक कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को डायरिया के मामलों के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इलाज के अभाव में किसी भी बच्चे की मृत्यु नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर स्वास्थ्य केंद्र में ओआरएस, ज़िंक, आईवी फ्लूइड और एंटीबायोटिक्स उपलब्ध हों।
उन्होंने कहा कि हाथ धोने, सुरक्षित पेयजल, स्तनपान, स्वच्छता और टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डायरिया एक रोकथाम योग्य बीमारी है और हाथों की स्वच्छता, स्वच्छ पानी और समय पर देखभाल से बहुमूल्य जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए पंचायती राज सदस्यों, स्वयं सहायता समूहों, शिक्षकों और अभिभावकों से सहयोग की अपील की।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार डायरिया के मूल कारणों का समाधान करने के लिए शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, जल एवं स्वच्छता और ग्रामीण विकास विभागों के साथ अंतर-विभागीय सहयोग को बढ़ावा दे रही है। डॉ. बलबीर सिंह ने जोर देकर कहा कि यह केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि पंजाब के भविष्य की लड़ाई है और हम सब मिलकर इस बीमारी को हराएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से अपने आस-पास की सफाई रखने, स्वच्छ और सुरक्षित पानी का उपयोग करने, दस्त के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार लेने की अपील की, जिसमें तुरंत ओ.आर.एस.-जिक और चिकित्सा सहायता शामिल है। उन्होंने कहा कि दस्त के दौरान पानी की कमी को पूरा करने के लिए नींबू पानी (शकंजवी) आदि जैसे तरल पदार्थों का सेवन करना जरूरी है।
इस दौरान, राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत मोहाली स्थित संस्था पीडू (पशु कल्याण एनजीओ) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसमें 2030 तक रेबीज उन्मूलन के लिए राज्य कार्य योजना तैयार करने हेतु समन्वित प्रयास करना शामिल है। इस पहल में विभिन्न हितधारकों की भागीदारी, स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रशिक्षण और मोहाली जिले में एंटी-रेबीज क्लीनिकों पर परामर्श सत्र आयोजित करना शामिल है, जिनकी संख्या भविष्य में बढ़ाई जा सकती है।
इस मौके पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य कुमार राहुल, निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. हितिंदर कौर, निदेशक परिवार कल्याण डॉ. जसमिंदर, निदेशक एन.एच.एम. डॉ. बलविंदर कौर, सलाहकार जे.एस.एस.के. डॉ. मीनू लखनपाल, एस.पी.ओ. एम.सी.एच. डॉ. हरप्रीत कौर, एस.पी.ओ. एन.आर.सी.पी. डॉ. अर्शदीप कौर, एम.ओ. एम.सी.एच. डॉ. हरसिमरत कौर, ए.पी.ओ. एम.सी.एच. डॉ. दीक्षा शर्मा और एस.ए. एम.सी.एच. वरुण गुप्ता भी उपस्थित थे।
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