प्रसिद्ध गुरुद्वारे को हटाने के Highcourt ने जारी किए Order, जानें क्यों..

Edited By Vatika,Updated: 22 Oct, 2024 10:04 AM

punjab haryana highcourt order

कोर्ट ने निर्देश दिया कि धार्मिक संरचना को तुरंत हटाया जाए और जनहित में विकास कार्य को पूरा किया जाए।

चंडीगढ़: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सैक्टर-63 में वी-3 सड़क के बीच 'गुरुद्वारा सांझा साहिब' को अधिग्रहण से मुक्त करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण में कोई पक्षपातपूर्ण भेदभाव नहीं पाया गया। यह याचिका 1999 में दायर की गई थी। वहीं, 1991 में कलेक्टर द्वारा सार्वजनिक उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहित किया था। यहां से वी-3 सड़क बनाई जानी थी, जिसे सैक्टर- 63 से मोहाली फेज-7 वाई.पी.एस. चौक के साथ जोड़ा जाना था। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने कहा कि याचिकाकर्ता पक्षपात या भेदभाव को साबित करने में विफल रहा है, क्योंकि उसकी संपत्ति वी-3 सड़क के दायरे में आती है। उक्त हिस्से का इस्तेमाल क्षेत्र के विकास व सामुदायिक हितों के लिए किया जाना है।

बैंच ने कहा कि याचिका में इस आधार पर कोई दम नहीं है कि वर्ष 1999 में दायर किया गया था, जबकि 1991 में भूमि पहले ही केंद्र शासित प्रदेश में आ चुकी थी। याचिकाकर्ता ने 1894 अधिनियम की धारा 5-ए के तहत 30 दिन की अवधि के भीतर प्रस्तावित अधिग्रहण पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद बैंच ने कहा कि गुरुद्वारा का निर्माण दिसंबर, 1986 में संपत्ति खरीदने के बाद किया गया था। यह आरोप लगाया गया है कि गुरुद्वारा का निर्माण 1894 अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी करने से पहले किया या था। हालांकि, प्रतिवादी के अनुसार, याचिकाकर्ता का भूखंड वी- सड़क के अंतर्गत आता है। याचिकाकर्ता के आवेदन पर प्रशासन ने विचार किया और उसे खारिज कर दया था। यू.टी. प्रशासन को ब्याज सहित  मुआवजा जारी करने के निर्देश जारी करने के विवाद पर पीठ ने कहा कि याचिका में मुआवजे के संबंध में कोई प्रार्थना नहीं हैं। याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि धार्मिक संरचना को तुरंत हटाया जाए और जनहित में विकास कार्य को पूरा किया जाए।


बाबा चरणजीत कौर ने दायर की थी चुनौती याचिका
बाबा चरणजीत कौर ने गुरुद्वारे के अधिग्रहण को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी कि 1894 अधिनियम की धारा 4,6 और 9 के तहत व्यक्तिगत नोटिस तामील नहीं किए गए थे। बैंच ने आगे कहा कि 1894 अधिनियम की धारा 4 और 6 के तहत अधिसूचना के संबंध में व्यक्तिगत नोटिस की सेवा का कोई प्रावधान नहीं है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अधिसूचनाएं समाचार पत्रों के साथ-साथ आधिकारिक राजपत्र में भी प्रकाशित की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता का यह मामला नहीं है कि नोटिस समाचार पत्रों या आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं कियागया था। यू.टी. प्रशासन के रुख के अनुसार, गुरुद्वारा के पक्ष में राजस्व रिकॉर्ड में पहली बार वर्ष 1991 में प्रविष्टि की गई थी, जिस पर याचिकाकर्ता ने विवाद किया है। किसी भी मामले में, 1894 अधिनियम की धारा 9 के तहत नोटिस देने में विफलता अधिग्रहण को प्रभावित नहीं करेगी, खासकर तब जब भूमि पहले से ही केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के पास निहित हो।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!