नैश्नल में गोल्ड जीतने वाला जूडो खिलाड़ी 50 रुपए की दिहाड़ी करने को मजबूर, बयान किया दर्द

Edited By Vaneet,Updated: 07 Aug, 2019 07:55 PM

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पंजाब सरकार व राज्य का खेल विभाग पंजाब में चलते नशे के दलदल से राज्य की जवानी बचाने के लिए स्कूल स्तर से ही विद्यार्थियों को खेलों की ओर उत्साहित करने के बड़े दावे कर रहा है...

मोगा(गोपी): पंजाब सरकार व राज्य का खेल विभाग पंजाब में चलते नशे के दलदल से राज्य की जवानी बचाने के लिए स्कूल स्तर से ही विद्यार्थियों को खेलों की ओर उत्साहित करने के बड़े दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत में इन दावों की हवा निकलती दिखाई दे रही है। क्योंकि स्कूल स्तर पर उठकर जिला व राज्य स्तर पर सोने के मैडल जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला के जौहर दिखाने वाले स्कूली खिलाडिय़ों के हाथ सिवाय मैडलों के कुछ नहीं लगता। बहुत से खिलाड़ी अब खेलों से तौबा करने के कगार पर पहुंच गए हैं। ताजा मामला मोगा के गोधेवाला स्टेडियम में चलते जिला स्तरीय जूडो मुकाबलों दौरान उस समय देखने को मिला, जब गत वर्ष 2018 में हुए जूडो मुकाबलों में राज्य स्तर पर विजेता रहा नितिश कुमार साथी खिलाडिय़ो को यह कहता दिखाई दिया कि वह पढ़-लिखकर कोई और काम कर लें, क्योंकि खेलों में भविष्य सुरक्षित नहीं लगता।

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राष्ट्र स्तर पर जूडो मुकाबलों में अपनी कला के जौहर दिखाने वाले नितिश कुमार ने ‘पंजाब केसरी’ से बातचीत में कहा कि वह बाबा पाखर सिंह सीनियर सैकेंडरी स्कूल ढुडीके का विद्यार्थी है तथा पिछले 6-7 साल से जूडो खेल रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय दौरान लगभग हर वर्ष वह पंजाब स्तर पर खेल चुका है तथा जब उसने गोल्ड मैडल जीता तो उसको यह उम्मीद थी कि उसको बड़े स्तर पर अब मान-सम्मान पंजाब सरकार, खेल विभाग या जिला प्रशासन से मिलेगा, लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा। 3 बहनों का यह भाई घर की आर्थिकता के चलते अब स्कूल की छुट्टी के उपरांत रोजाना 50 रुपए पर हलवाई की दुकान पर काम करता है। उन्होंने बताया कि 1500 रुपए महीने में कुछ पैसे वह पढ़ाई पर खर्च करता है तथा बाकी पैसे से घर का गुजारा करने के लिए माता-पिता को देता है। उन्होंने बताया कि स्कूल अध्यापक गुरचरण सिंह उसको खान-पान के लिए सामान देते हैं व अन्य सहायता करते हैं जिससे वह खेलता है, लेकिन अगर सरकार या खेल विभाग ने अगर अब भी उसकी मदद न की तो उसके पास खेल छोडऩे के बिना कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब सरकार या खेल विभाग इस तरफ ध्यान दें तो उसकी खेल और आगे बढ़ सकती है।

6 बार राज्य स्तर पर खेलने के बावजूद नहीं मिला कोई सम्मान : सुमनदीप कौर
एक और पंजाब स्तरीय जूडो खिलाड़ी सुमनदीप कौर ने कहा कि 6 बार पंजाब खेलने के अलावा हर वर्ष जिला स्तर पर विजेता टीम का वह हिस्सा होती है, लेकिन आज से कोई मान सम्मान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मेरे जैसी अन्य खिलाडिय़ों का भी इस कारण खेलों से उत्साह भंग हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब तो माता-पिता भी कहते हैं कि कोई मान सम्मान तो मिलता नहीं तो खेलों का पीछा ही छोड़ दे। उन्होंने सरकार से मांग की कि कम-से-कम स्कूली खिलाडिय़ों को वजीफा तथा खान-पान के लिए ग्रांट दी जाए।

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जिला जीतने के बावजूद मुझे तो मैडल भी नसीब नहीं हुआ: संदीप कौर
जिला स्तरीय विजेता जूडो खिलाड़ी ने कहा कि मुझे तो अब तक पिछले वर्ष खेलों में जीत दर्ज करने के बावजूद भी मैडल तक नसीब नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कम से कम खिलाडिय़ों को वजीफा, सिखलाई के लिए कोच व खेलने के लिए ट्रैक सूट जरूर दिए जाने चाहिए।

खिलाडिय़ों को नहीं मिलती सामग्री: गुरचरण सिंह
साइंस अध्यापक होने के बावजूद खिलाडिय़ों को अपने पास से पैसे खर्च करके खेलों के लिए उत्साहित कर रहे स्कूल अध्यापक मास्टर गुरचरण सिंह ढुडीके का कहना है कि असलियत यह है कि खिलाडिय़ों को खेलने के लिए सामग्री की बड़ी कमी है। उन्होंने कहा कि मोगा में चल रहे जूडो मुकाबलों दौरान वह अपने स्कूल से गद्दे लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों के लिए कोच की व्यवस्था भी नहीं है। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ो को खेलों के लिए दिया जाता किराया व अन्य सहूलियतें भी समय पर नहीं मिलती।

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