कच्चे माल की कमी से पंजाब में हाहाकार, इंडस्ट्री ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

Edited By Vatika,Updated: 16 Oct, 2020 10:14 AM

punjab due to lack of raw materials

किसानों के रेल रोको आंदोलन से पंजाब की औद्योगिक इकाइयों में कच्चे माल को लेकर हाहाकार मच गया है।

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): किसानों के रेल रोको आंदोलन से पंजाब की औद्योगिक इकाइयों में कच्चे माल को लेकर हाहाकार मच गया है। हालत यह है कि कच्चे माल की आपूर्ति न होने से कई शहरों में औद्योगिक इकाइयों को अपने यूनिट बंद करने पड़ रहे हैं। उधर, आयात-निर्यात ठप्प होने से उद्यमियों को सीधे आर्थिक चपत सहनी पड़ रही है। पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन से हो रहे नुक्सान ने उद्यमियों की इस कदर कमर तोड़ दी है कि उन्होंने अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।

कन्फैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री पंजाब स्टेट के चेयरमैन राहुल आहूजा ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर उनसे तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। पत्र में आहूजा ने लिखा है कि किसान आंदोलन की वजह से पंजाब के उद्यमियों को भारी आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ रहा है। कोविड के दौरान लॉकडाऊन की वजह से पंजाब के उद्यमी पहले ही भारी दबाव झेल रहे हैं। अब लॉकडाऊन खुलने से थोड़ी उम्मीद जागी थी तो किसान संगठनों ने सामान की आपूर्ति ठप्प कर दी है। फैडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल ऑर्गेनाइजेशन ने भी किसान आंदोलन से औद्योगिक इकाइयों पर गहराए संकट को लेकर चिंता जाहिर की है। अपने पत्र में ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह खुल्लर ने यातायात बंद होने से सप्लाई चेन टूटने का हवाला देते हुए कहा है कि कच्चे माल की आपूर्ति न होने से न केवल औद्योगिक इकाइयों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है, बल्कि राज्य सरकार को भी इसका नुक्सान हो रहा है। खासतौर पर स्टील की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिससे औद्योगिक इकाइयां बंद होने की कगार पर हैं। इसलिए सरकार को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। अपने पत्र में खुल्लर ने नोटबंदी, जी.एस.टी., लॉकडाऊन व लेबर शार्टेज का हवाला देते हुए कहा है कि अब सप्लाई चेन टूटने से पंजाब की औद्योगिक इकाइयां पूरी तरह टूट रही हैं।

सामान से भरे कंटेनर्स अधर में लटके 
कन्फैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री पंजाब स्टेट के चेयरमैन राहुल आहूजा के मुताबिक कच्चे माल की कमी से जूझने के बीच फैक्टरियों में तैयार हुए माल की आवाजाही भी नहीं हो पा रही है। बासमती, यार्न एंड टैक्सटाइल, हैंड टूल्स, स्पोटर््स एंड लैदर गुड्स सहित कई अन्य तरह के सामान से भरे करीब 2500 कंटेनर्स राज्य के विभिन्न इनलैंड कंटेनर्स, कंटेनर फ्रेट स्टेशन्स और 10 ड्राई पोर्ट पर अटके पड़े हैं। वहीं, करीब 3000 इम्पोर्ट कंटेनर यानी आयातित सामान से भरे कंटेनर बीच रास्ते में फंसे हुए हैं। इससे उद्यमियों को पैसा नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि पैसा तभी मिलता है, जब कस्टमर के पास उसका माल पहुंचता है। उधर, फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ने भी दावा किया है कि किसान आंदोलन की वजह से करीब 10,000 कंटेनर बीच में अटके हुए हैं। न तो कच्चा माल आ पा रहा है और न ही तैयार माल जा पा रहा है।

निटवियर क्लब का दावा, प्रति दिन करोड़ों का नुक्सान
लुधियाना के निटवियर क्लब ने दावा किया है कि किसान आंदोलन की वजह से औद्योगिक इकाइयों को प्रति दिन करोड़ों का नुक्सान हो रहा है। खासतौर पर हौजरी इंडस्ट्री को सबसे ’यादा नुक्सान झेलना पड़ रहा है। सर्दी की दस्तक के चलते इंडस्ट्री के लिए यह कुछ महीने काफी अहम होते हैं लेकिन कोविड के बाद किसान आंदोलन ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कुछ ऐसी ही हालत मंडी गोङ्क्षबदगढ़, कपूरथला, जालंधर, अमृतसर जैसे शहरों के उद्यमियों की भी है। उद्यमियों की मानें तो क‘चे माल की सप्लाई न होने से उनके कई ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं, जिससे उन्हें पेमैंट वापस करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। खासतौर पर क‘चा लोहा, राइस हस्क, कोयले जैसी बुनियादी जरूरत के सामान की आपूॢत कम होने से इनके दाम आसमान छूने लगे हैं। 

कच्चे माल पर 2 रुपए प्रति किलो चुकाने पड़ रहे अतिरिक्त 
रेल यातायात ठप्प होने से कुछ औद्योगिक इकाइयों ने सड़क के रास्ते सामान मंगवाने की पहल की है लेकिन यह उनके लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड और राष्ट्रीय इस्पात की तरफ से वल्लभगढ़ के रास्ते पंजाब तक स्टील पहुंचाने की पहल हुई है लेकिन इस कवायद में औद्योगिक इकाइयों को कच्चे माल पर 2 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त चुकाने पड़ रहे हैं। फैडरेशन ऑफ पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष बदीश जिंदल के मुताबिक उद्यमियों को महंगे कच्चे माल की वजह से प्रति दिन आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ रहा है। अगर सरकार ने इस मामले में जल्द कोई गंभीर कदम नहीं उठाया तो औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो सकता है।

चीन से मुकाबला कैसे? 
उद्यमियों ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि अगर आयात-निर्यात चालू नहीं हुआ तो त्यौहार के मौसम में चीन के बाजार से मुकाबला करना संभव नहीं हो पाएगा। खासतौर पर विभिन्न देशों में जाने वाले सामान में देरी का सीधा मतलब यह होगा कि चीन व अन्य देश मुनाफा कमाएंगे, क्योंकि खरीदार माल न मिलने पर अन्य जगह से माल लेने के लिए मजबूर हो जाएगा। ऐसे में मुख्यमंत्री को इस मामले में बिना देरी के किसानों से बातचीत करनी चाहिए, ताकि आवाजाही चालू हो सके। 

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