पंजाब में Number 1 की ओर ये जिला, हर साल की तरह इस बार भी...

Edited By Kalash,Updated: 29 Sep, 2025 05:38 PM

punjab district number 1 in stubble burning

पिछले वर्ष की भाति पंजाब में नंबर वन की तरफ बढ़ता जा रहा है।

अमृतसर (नीरज): धान की फसल की कटाई के शुरुआती दौर में ही एक बार फिर से अमृतसर जिला पराली जलाने के मामले में पिछले वर्ष की भाति पंजाब में नंबर वन की तरफ बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार सैटेलाइटस के जरिए 46 स्थानों पर पराली जलाने की रिपोर्ट भेजी गई, जिसमें अलग-अलग अधिकारियों की तरफ से 45 स्थानों पर मौका देखा गया 22 पर पराली जलती पाई गई। विभाग की तरफ से ईसी एक्ट के तहत ना सिर्फ 1.10 लाख रुपए जुर्माना किसानों को किया गया है, बल्कि 22 पर पर्चा भी दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं संबंधित 22 किसानों की जमीनों की रैड एंट्री भी की जा चुकी है।

गौर रहे कि जिला प्रशासन की तरफ से हर वर्ष की भाति इस वर्ष भी पराली को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, यह आदेश 15 सितम्बर से लेकर 14 नवम्बर तक लागू है। प्रशासन की तरफ से पराली प्रबंधन के लिए पी.सी.बी., मंडी बोर्ड, खेतीबाड़ी विभाग और सहकारिता विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक कॉल सैंटर भी बनाया गया है और 9 ब्लाकों के लिए अलग-अलग नोडल अफ्सर मशीनरी भी तैनात की गई है।

किसानों का आरोप : मशीनरी नहीं, प्रशासन का दावा : पूरी मशीनरी उपलब्ध

पराली प्रबंधन के मामले में किसानों का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से पराली को जलने से रोकने के लिए मशीनरी उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते किसान पराली जलानों को मजबूर हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन का दावा है कि पराली की गाठें बनाने के लिए 72 बेलर और पराली को इकट्ठा करने के लिए 62 रैक मौजूद हैं। खेत में पराली को मिलाने के लिए और पराली के साथ गेहूं की बीजाई करने के लिए 4290 इन सीटू मशीनें हैं, जिसमें 2730 सुपरसीडर, 671 जीरो टिल ड्रिल, 5 स्मार्ट सीटर, 119 हैपी सीडर, 41 सरफेस सीडर, 124 पलटावे हल, 106 मलचर और 236 पैडी स्ट्रा चौपर मशीनें सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं। इसके साथ ही 0183-2220159 हैल्पलाइन नंबर भी बनाया गया है, जहां किसान मशीनरी के लिए मदद ले सकते हैं।

मंडियों में भी खोले किसान सहायता केन्द्र

प्रशासन की तरफ से ब्लाक स्तर के अलावा जिले की सभी अनाज मंडियों में भी किसान सहायता केन्द्र खोले गए हैं, ताकि किसान पराली प्रबंधन के लिए प्रशासन से मदद ले सकें इसके अलावा जो किसान पराली नहीं जलाते हैं, उनको प्रशंसा पत्र देकर भी सम्मानित किया जा रहा है। किसानों को सरकारी विभागों में पहल के आधार पर सरकारी काम करने आदि का भी पहल दी जा रही है।

पराली को मिलाने में प्रति एकड़ 2500 से 3 हजार रुपया खर्च

पराली को जलाने के लिए किसान इसलिए भी मजबूर होते हैं, क्योंकि पराली को जमीन में मिलाने के लिए प्रति एकड़ 2500 से 3 हजार रुपया खर्च आता है। समय-समय की सरकारों की तरफ से किसानों को प्रति एकड़ खर्च दिए जाने के ऐलान भी किए जाते रहे हैं, लेकिन आजतक किसानों को उनका हक नहीं मिला है। खास तौर पर छोटा किसान इतना खर्च नहीं उठा सकता है। ऐसे में रात के समय एक माचिस की तीली अपना काम करती है। हालांकि दूरगामी इसके भयंकर परिणाम हैं, क्योंकि पराली को जलाने से मिटटी के उपजाउपन कम होता जाता है और मित्र जीव भी खत्म हो जाते हैं प्रदूषण अलग से वातावरण को खराब करता है।

जिले में अभी तक 18 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद

जिले में अभी तक धान की खरीद पर नजर डालें तो पता चलता है कि अभी तक जिले में 18913 मीट्रिक टन धान खरीदी जा चुकी है। पनग्रेन, पनसप, वेयरहाउस व अन्य एजैंसियों की तरफ से धान की खरीद हो रही है, लेकिन अभी यह शुरुआती आमद हैं आने वाले दिनों में जैसे-जैसे धान की फसल कटती जाएगी। वैसे-वैसे पराली जलाने के मामले और ज्यादा बढ़ते जाएंगे।

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