Edited By Vatika,Updated: 29 Nov, 2024 09:33 AM
उसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी टीम की होगी।
पंजाब डेस्क: पंजाब के कंप्यूटर अध्यापकों ने अपनी मांगों की अनदेखी और सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में 22 दिसंबर से आमरण अनशन शुरू करने का ऐलान किया है।कंप्यूटर अध्यापक संघर्ष कमेटी, पंजाब के बैनर तले सैकड़ों अध्यापक पिछले 90 दिनों से संगरूर के डीसी दफ्तर के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। लेकिन सरकार की चुप्पी ने अध्यापकों को आर-पार की लड़ाई के लिए मजबूर कर दिया है।
कंप्यूटर अध्यापकों का ऐलान 'अब जान देंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं': संघर्ष कमेटी के नेताओं परमवीर सिंह पम्मी, जोनी सिंगला, प्रदीप कुमार मलूका, रजवंत कौर, रणजीत सिंह,लखविंदर सिंह, गुरबख्श लाल, जसपाल, उधम सिंह डोगरा, बवलीन बेदी, सुनीत सरीन, सुमित गोयल, रजनी, धमिंदर सिंह, नरिंदर कुमार, राकेश सैनी, सुशील अंगुराल, प्रियंका बिष्ट, मनजीत कौर ने बताया कि 22 दिसंबर से पांच अध्यापक पहले चरण में आमरण अनशन पर बैठेंगे। इनमें जोनी सिंगला बठिंडा, रजीत सिंह पटियाला, उधम सिंह डोगरा होशियारपुर, रविंदर कौर फतेहगढ़ साहिब, सीमा रानी शामिल हैं। इसके बाद हर दिन नए अध्यापक अनशन में शामिल होंगे।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो यह अनशन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वह अपनी जायज मांगों की प्राप्ति के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। सरकार पर वादाखिलाफी के गंभीर आरोप संघर्ष कमेटी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार पर वादों से मुकरने का आरोप लगाते हुए कहा, उन्हें कहा गया था कि हमारी सभी मांगें सरकार बनने के तुरंत बाद पूरी होंगी। लेकिन तीन साल और अनगिनत झूठे आश्वासनों के बाद भी हमें सिर्फ संघर्ष करना पड़ रहा है। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने भी ढाई साल पहले उनकी समस्याएं हल करने का दावा किया था लेकिन यह भी एक जुमला बनकर रह गया। मांगें और सरकार की चुप्पीः कंप्यूटर अध्यापकों ने दो- टूक कहा कि उनकी मांगें कोई नई नहीं हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें रेगुलर कर्मचारियों के अधिकार, छठे वेतन आयोग के लाभ और शिक्षा विभाग में बिना शर्त मर्ज किया जाए। अध्यापकों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय रहते उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आगे जो भी सरकार के खिलाफ संघर्ष होगा उसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी टीम की होगी।