पंजाब में हाई-प्रोफाइल Cyber Fraud, ऐसे दिया चकमा कि दंग रह गया हर कोई

Edited By Kalash,Updated: 04 Sep, 2025 05:34 PM

high profile cyber fraud in punjab

जालसाजी इतनी चालाकी से हुई कि बैंक अधिकारियों को भी देर तक इसका अंदाज़ा नहीं हुआ।

बठिंडा (विजय वर्मा): शहर में साइबर ठगों ने एक बड़ी कॉलोनाइजर कंपनी के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी की कोशिश की और बैंक अधिकारियों को फर्जी पार्टनर बनकर चकमा देकर कंपनी के खाते से 37 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए। जालसाजी इतनी चालाकी से हुई कि बैंक अधिकारियों को भी देर तक इसका अंदाज़ा नहीं हुआ। मामला उस समय उजागर हुआ जब कंपनी के अन्य पार्टनर्स को डेबिट मैसेज मिले और उन्होंने तुरंत बैंक से संपर्क किया। पुलिस ने इस पूरे मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

फर्जी पार्टनर बनकर दिया धोखा

थाना सिविल लाइन पुलिस को दी शिकायत में बैंक मैनेजर अकर्षित कुमार निवासी ग्रीन सिटी बठिंडा ने बताया कि उनके बैंक में पायनियर एसोसिएट्स फर्म का रेरा अकाउंट चल रहा है। इस खाते का संचालन फर्म के पार्टनर प्रणव गुप्ता, वरुण गर्ग और ध्रुव गुप्ता करते हैं। बैंकिंग नियमों के मुताबिक, अकाउंट से जुड़े काम जैसे एफडी बनवाना, ट्रांजेक्शन आदि के लिए ये पार्टनर्स समय-समय पर बैंक अधिकारियों से फोन पर संपर्क करते रहते हैं और कई बार काम टेलीफोनिक निर्देशों पर ही कर दिया जाता है।

30 अगस्त की शाम करीब 4 बजे बैंक मैनेजर को प्रणव गुप्ता के नाम से व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को फर्म का पार्टनर बताते हुए 13 लाख, 14 लाख और 10 लाख रुपये ट्रांसफर करने के निर्देश दिए। कॉल के बाद बैंक अधिकारियों को फर्म के लेटरहेड पर फर्जी हस्ताक्षर वाला प्राधिकरण पत्र भी भेजा गया। नाम और दस्तावेज सही लगने पर बैंक अधिकारियों ने तुरंत रकम ट्रांसफर कर दी।

ठगी का खुलासा ऐसे हुआ

जालसाज ने पूरी तरह पार्टनर की तरह बर्ताव करते हुए लेन-देन का UTR नंबर तक मांग लिया, जिससे अधिकारियों को उस वक्त किसी धोखे की आशंका नहीं हुई। लेकिन कुछ ही देर बाद जब फर्म के अन्य पार्टनर्स को खाते से रकम डेबिट होने के मैसेज मिले, तो उन्होंने बैंक से पूछताछ की। इस दौरान पता चला कि पार्टनर ने कोई भी निर्देश नहीं दिए थे। मामले की गंभीरता देखते हुए तुरंत ट्रांजेक्शन रोका गया और बैंक अधिकारियों ने पुलिस को शिकायत दी।

साइबर सेल जुटी जांच में

इस मामले की जांच थाना सिविल लाइन पुलिस और साइबर सेल कर रही है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जालसाजों ने पहले बैंक अधिकारियों से संपर्क कर एफडीआर बनवाने का झांसा दिया और जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर वाला लेटरहेड बनाकर सीधे खाते से रकम ट्रांसफर करवा ली। ठगी की रकम तीन अलग-अलग खातों – अजय, रितेश संतोष और विवेक कुमार चौबे के नाम पर ट्रांसफर की गई है।

पुलिस और बैंक दोनों अलर्ट

फिलहाल पुलिस ने अज्ञात जालसाजों पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। साइबर सेल भी तकनीकी जांच के जरिए फोन कॉल, व्हाट्सएप चैट और ट्रांजेक्शन के जरिए ठगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। बैंक प्रशासन ने भी भविष्य में ऐसे मामलों से बचाव के लिए कड़े नियम बनाने की बात कही है।

सुरक्षा पर सवाल

इस हाई-प्रोफाइल ठगी ने बैंकिंग सुरक्षा व्यवस्था और बड़े कारोबारी खातों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के बीच अब ठग डीप फेक कॉल, फर्जी दस्तावेज और डिजिटल हस्ताक्षर तक का सहारा लेकर बड़े वित्तीय संस्थानों को भी निशाना बना रहे हैं।

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