पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नगर निगम व प्रशासन को दिया अंतिम मौका दिया

Edited By Urmila,Updated: 17 Nov, 2023 01:38 PM

punjab and haryana high court gave last chance

बैंच ने स्पष्ट कहा कि यह अंतिम मौका है अगर समस्या के समाधान के लिए योजना नहीं बनाई गई तो कोर्ट अपना फैसला सुना देगा।

चंडीगढ़: डड्डूमाजरा (सैक्टर-38 वैस्ट) में बने डम्पिंग ग्राऊंड में बने कूड़े के पहाड़ों के अंत के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नगर निगम व प्रशासन को अंतिम मौका दिया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस रीतू बाहरी व जस्टिस पर आधारित बैंच ने कहा है कि जनवरी तक नगर निगम और प्रशासन कोर्ट के समक्ष कम्प्लीट प्रोपोजल रखे कि किस प्रकार इस समस्या का अंत होगा और लोगों को राहत मिलेगी। 

बैंच ने स्पष्ट कहा कि यह अंतिम मौका है अगर समस्या के समाधान के लिए योजना नहीं बनाई गई तो कोर्ट अपना फैसला सुना देगा। कोर्ट ने याची पक्ष को भी कहा है कि अगर उनके पास को उचित समाधान है तो वह भी कोर्ट के समक्ष पेश करें। सुनवाई के दौरान नगर निगम के चीफ इंजीनियर भी कोर्ट में उपस्थित रहे जिन्होंने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट को अवगत करवाया कि डम्पिंग ग्राऊंड में बने कचरे के पहाड़ हटाने के लिए योजना बनाई जा रही है जिसके लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया गया है, उक्त योजना के तहत 15 वर्षों तक डम्पिंग ग्राऊंड में कूड़े का निदान होगा जिसके तहत कचरे से बिजली, खाद व सीमेंट आदि तैयार किया जाएगा। प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि योजना का खाखा तैयार हो चुका है जिसे विस्तार से कोर्ट के समक्ष रख दिया जाएगा।

याचीकर्ता एडवोकेट अमित शर्मा ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2016 में भी ऐसा ही प्रोपोजल निगम व प्रशासन ने हाईकोर्ट के समक्ष रखा था जिस पर 100 करोड़ खर्च किया जा चुका है लेकिन 7 वर्षों में उक्त प्रोजैक्ट के तहत डम्पिंग ग्राऊंड को साफ करने के लिए क्या कुछ किया गया यह निगम बताने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि 7 वर्षों में 100 खर्च होने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी और अब फिर 400 करोड़ खर्च करने की तैयारी निगम कर रहा है। 

एडवोकेट अमित शर्मा ने कोर्ट में कहा कि डम्पिंग ग्राऊंड की आड़ में करप्शन हो रहा है, काम नहीं। उन्होंने बताया कि निगम डम्पिंग ग्राऊंड में कूड़े के ढेर के बने दो पहाड़ों का जिक्र कर रहा है जबकि वहां तीन पहाड़ बन चुके हैं। डम्पिंग ग्राऊंड के आसपास के घरों में एलर्जी के बदबू के कारण हो रही मौतों की और बच्चों में हो रहे चमड़ी रोगों की तस्वीरों सहित जानकारी भी कोर्ट को दी गई। 

बैंच ने याची पक्ष के आरोपों पर कहा कि उक्त याचिका समस्या को लेकर दाखिल हुई है जिसका हल निकालना कोर्ट की जिम्मेदारी है, आरोपों के लिए जनहित याचिका का सहारा न लिया जाए। याची पक्ष इससे पहले कोर्ट में कई दस्तावेजों सहित फोर्जरी को लेकर एप्लीकेशन दाखिल कर चुका है जिस पर हुए नोटिस का जवाब भी निगम दाखिल कर चुका है। 

याची पक्ष ने कोर्ट के समक्ष इंदौर में डम्पिंग ग्राऊंड का उदाहरण दिया जहां चंडीगढ़ के मुकाबले अढ़ाई गुना गारबेज था और वहां के कमिश्नर ने मात्र 10 करोड़ की राशि खर्च कर 6 माह में ही डम्पिंग ग्राऊंड को साफ करवा दिया जबकि यहां 100 करोड़ खर्च करने के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। कोर्ट ने कहा कि समस्या का हल निकले इसके लिए कोर्ट गंभीर है इसलिए प्रतिवादी पक्ष को समस्या के हल के लिए योजना पेश करने का एक मौका और दिया जा रहा है जो कि अंतिम होगा इसके बाद कोर्ट मामले में आदेश जारी कर देगी।

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