पंजाब के इस अस्पताल में आने से पहले मरीज दें ध्यान, खड़ी हुई ये मुसीबत

Edited By Kalash,Updated: 25 Jan, 2025 02:20 PM

problem for patients

सरकारों द्वारा करोड़ों रुपए जच्चा-बच्चा की सुविधाओं के लिए खर्च किए जाने के बावजूद सुविधाएं दम तोड़ रही हैं।

अमृतसर : सरकारों द्वारा करोड़ों रुपए जच्चा-बच्चा की सुविधाओं के लिए खर्च किए जाने के बावजूद सरकारी बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर में सुविधाएं दम तोड़ रही हैं। ढीले प्रशासनिक व्यवस्था के कारण लाखों रुपए खर्च कर लगाई 9 मंजिलों को कवर करने के लिए तीन लिफ्टें पिछले कई वर्षो से बंद पड़ी है।

हालात ऐसे हैं कि गर्भवती महिलाएं और गंभीर हालत में आने वाले बच्चों को 8वीं मंजिल पर बने गायनी आप्रेशन थिएटर और 7वीं मंजिल पर बने निक्कू सैंटर में ले जाने के लिए मरीजों के परिजनों को 150 से अधिक सीढ़िया मरीजों को साथ लेकर चढ़ना पड़ रहा है। यहीं नहीं स्ट्रेचर और व्हीलचेयर सीढ़ियों से ऊपर नहीं जा पा रहे हैं तो कई अभिभावक मरीजों को गोद में उठाकर ले जा रहे हैं। उपरोक्त स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि सरकारी तंत्र कुंभकर्णी नींद सोया पड़ा है और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के दावे खोखले नजर आ रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक सरकारी गुरु नानक देव अस्पताल में जच्चा-बच्चा की सुविधा के लिए बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर बनाया गया है। इस सैंरट में जच्चा बच्चा आप्रेशन थिएटर के अलावा निक्कू और अन्य बच्चों के सैंटर स्थापित किए गए हैं। कुल 9 मंजिलों की 150 से अधिक सीढ़ियाँ हैं। सरकार ने मरीजों की सुविधा के लिए लाखों रुपए खर्च कर अत्याधुनिक तकनीक से लैस तीन लिफ्टें लगाई हैं लेकिन अफसोस की बात है कि लिफ्टों के खराब होने से मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सामाज सेवक जय गोपाल लाली और राजिंदर शर्मा राजू ने कहा कि उन्होंने आज सैंटर का निरीक्षण किया, इस दौरान अस्पताल प्रशासन द्वारा लिफ्ट की खराबी के बारे में पोस्टर चिपकाए गए थे, लेकिन 8वीं मंजिल पर सर्जिकल आप्रेटर थिएटर और 7वीं मंजिल पर निक्कू है। मरीजों व बच्चों को सैंटर तक लाने-ले जाने की व्यवस्था नहीं की गई थी।

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उन्होंने कहा कि मरीज गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सीढ़ियों से अकेले ले जा रहे थे। कई मरीज ऐसे थे जिनकी हालत गंभीर थी और उनके परिजन बड़ी मुश्किल से उन्हें गोद में उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती कई मरीजों के परिजनों ने बताया कि लिफ्टें काफी समय से खराब हैं लेकिन मुरम्मत नहीं करवाई गई है, कई बार डॉक्टरों से कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।दूससी और कई डॉक्टरों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लिफ्ट खराब होने के कारण उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जच्चा-बच्चा के अलावा विद्यार्थी और डाक्टरों को भी चढ़ने में काफी समस्या आ रही है। इस संबंध में जब अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डा. कर्मजीत सिंह को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

1.30 बजे के करीब ओ.पी.डी. से गायब दिखाई दिए डाक्टर

कुछ अधिकारियों ने अस्पताल में डॉक्टरों और कर्मचारियों को ड्यूटी पर रहने के निर्देश दिए हैं लेकिन अफसोस की बात है कि दोपहर 1.30 बजे बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर में ओ.पी.डी. में कुछ डाक्टर मौजूद नहीं थे। जहां तक कि डिस्पैंसरी में भी मुख्य खिड़की पर पर्दे लगे हुए थे और केवल एक खिड़की खुली थी। काफी समय बाद डाक्टर ओ.पी.डी. के संबंधित कमरे में नहीं आए। कहने को यह अत्याधुनिक तकनीक से लैस सैंटर है और डाक्टरों का 24 घंटे उपलब्ध रहने का दावा प्रशासन द्वारा किया जाता है।

करोड़ों की बिल्डिंग में नहीं बनाए रैंप

जय गोपाल लाली और रजिंदर शर्मा राजू ने कहा कि गायनी आप्रेशन थिएटर 8वीं मंजिल पर होने के बावजूद बिल्डिंग में रैप नहीं बनाए गए। हर बिल्डिंग में गायनी आप्रेशन थिएटर के लिए रैंप जरूर बनाए जाते हैं लेकिन इस करोड़ों रुपए की बिल्डिंग में सीढ़ियों व लिफ्ट के सहारे के लिए बिल्डिंग को 2 मंजिलों तक खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि करोड़ों की बिल्डिंग और बड़ी बिल्डिंग होने के बावजूद इस में रैंप बनाने का कोई भी साधन उपलब्ध नहीं किया गया और बिल्डिंग भी पास कर दी गई। इस कार्रवाई पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है।

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