Edited By Urmila,Updated: 02 Nov, 2024 02:40 PM
पिछले कई हफ्तों से जिला संगरूर के गांवों में किसानों को पराली न जलाने का संदेश दे रहे डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने गत दिन दोपहर बाद जैसे ही गांव उभावल के एक खेत में पराली जलाने की सूचना पाई।
संगरूर: पिछले कई हफ्तों से जिला संगरूर के गांवों में किसानों को पराली न जलाने का संदेश दे रहे डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने गत दिन दोपहर बाद जैसे ही गांव उभावल के एक खेत में पराली जलाने की सूचना पाई, वे तुरंत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। दमकल गाड़ी और फ्लाइंग स्क्वाड की मदद से पराली को जलने से रोका गया। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि जिले में निगरानी टीमें सक्रिय हैं और पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन और पुलिस के अधिकारी हर गांव और किसान तक पहुंचकर पर्यावरण की रक्षा के लिए अपील कर रहे हैं। हालांकि, कुछ स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिन पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि प्रशासन और पुलिस द्वारा चलाई जा रही जागरूकता मुहिम के कारण जिले में सकारात्मक नतीजे दिखे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में 30 अक्तूबर तक पराली जलाने की 738 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल यह संख्या घटकर 259 रह गई है।
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। अब तक 8 लोगों को सस्पैंड किया जा चुका है, जबकि 3 कर्मचारियों के खिलाफ कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग की धारा 14 के तहत केस दर्ज कर न्यायिक मैजिस्ट्रेट को भेजे गए हैं। 3 अधिकारियों के निलंबन की सिफारिश संबंधित विभागों के उच्च अधिकारियों को भेजी गई है। पराली जलाने वाले 34 किसानों के माल रिकॉर्ड में "लाल इंद्राज" भी दर्ज किया गया है।
डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने बताया कि जैसे ही खेत में पराली जलाने की सूचना मिली, उन्होंने तुरंत संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। गांव के गुरुद्वारे से अनाऊंसमैंट करवाई और दमकल विभाग को सूचित कर आग बुझाई गई। अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर अमित बैम्बी, एस.डी.एम. चरणजोत सिंह वालिया और कृषि विभाग के अधिकारियों सहित डिप्टी कमिश्नर स्वयं उभावल गांव के खेत में पहुंचे। वहां मौजूद किसानों से उन्होंने अपील की कि पराली जलाकर पर्यावरण और धरती की उर्वरता को नुकसान पहुंचाने के बजाय इसे खेतों में ही मिला देना चाहिए।
उन्होंने किसानों से कहा कि पराली जलाने से होने वाली कथित बचत वास्तव में फायदेमंद नहीं है, क्योंकि अगर पराली को खेत में मिला दिया जाए तो एक एकड़ भूमि में लगभग 6,000 रुपए की खाद के बराबर पोषण मिल जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here