Edited By Mohit,Updated: 09 Jun, 2020 04:35 PM

पंजाब के पूर्व वित मंत्री और विधायक स. परमिन्दर सिंह ढींढसा ने कहा है कि किसान.............
संगरूर (सिंगला): पंजाब के पूर्व वित मंत्री और विधायक स. परमिन्दर सिंह ढींढसा ने कहा है कि किसान पहले ही आर्थिक संकट के साथ जूझ रहा है। कर्जे न मोड़ने करके मजबूरीवश आत्महत्याओं का रुझान अधिक हो रहा है। माहिरों ने भी यह स्वीकृत किया है कि खेती घाटे का सौदा कर बन चुकी है। ऐसे बुरे आर्थिक दौर दौरान केंद्र की सरकार ने खेती मंडीकरन में संशोधन करने के नाम नीचे नए आर्डीनैंस जारी करके किसानों को बड़ी मुसीबतों के सामने लिया खड़ा किया है। यहां ही बस नहीं इन आर्डीनैंसों ने फेडरल ढांचे के अंतर्गत मिलीं कुछ ताकतों को भी राज्यों से छीन लेने पर मोहर लगा दी है। मौजूदा हालत अंदर ऐसे आर्डीनैंस राही किसानों को शब्दों की खोज फिर करके गुमराह करने की कार्रवाई की सख्त निंदा करते हैं।
ढींढसा ने कहा कि फसलों का कम से कम समर्थन मूल्य ही किसानों की आमदन का एक जरीया है। जो किसान की सीधे तौर पर आमदन निश्चित करता है, परन्तु खेती मंडीकरन बारे जारी आर्डीनैंसों ने जिससे किसानों के भविष्य पर सवालीया चिह्न लगा दिया है। देश का किसान तो पहले ही लंबे समय से मांग करता आ रहा है कि लिंगों के भाव डा. स्वामीनाथन के फारमूल्ले अनुसार तय किए जाने परन्तु सरकार ने तो भाव निश्चित करन की बजाय लिंगों की खरीद करने की गारंटी से भी हाथ पिछली तरफ खींच लिए हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान ने कठिन वक्त देश के अन्न भंडार में मेहनत करके योगदान पाया है। गरीबों और जरूरतमंदों का पेट भरने के देश को समर्थ बनाया अब जब किसान आर्थिक मंदी हालात बीच में से गुजर रहा है ऐसे हालत में बेहतरीन और मजबूत मंडीकरन और बुनियादी ढांचे को तोड़के किसान को बड़े व्यापारियों /कॉर्पोरेट घरानों के तरस पर छोड़ देना किसी तरह भी जायज नहीं है।
कोरोना महामारी कारण धान की बिजवाई महंगी पड़ रही है और ओर लागतें अधिक हो गई हैं इस करके धान के भाव में किया विस्तार निगुणे है धान का भाव ओर बढ़ाने की जरूरत है। ढींढसा ने मांग करते कहा कि खेती सैक्टर के मंडीकरन के लिए जारी नए आर्डीनैंस वापस ले कर ऐसा प्रंबंध कायम किया जाए जिस के साथ स्टेटों के अधिकारों को नुक्सान न पहुंचे और किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य से वाजिब भाव मिल सकें।