महिला जज व वकील के प्रयासों से नसीब उल्ला लौटेगा अपने देश

Edited By swetha,Updated: 09 Sep, 2019 01:07 PM

pakistan child

किसान से मिला तो भूखा था बालक

अमृतसर(महेन्द्र): करीब अढ़ाई माह पहले  गलती से भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाले पाकिस्तान के 13 वर्षीय बालक की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार का पता नहीं लग पा रहा था। अब एक महिला जज व वकील के  प्रयासों से बालक पाकिस्तान में अपने मां-बाप के पास जाएगा। पासपोर्ट एक्ट के तहत जेल में बंद नाबालिग बालक नसीम उल्ला द्वारा चिल्ड्रन होम में काटे गए समय को ही उसकी सजा मानकर जुविनाइल कोर्ट की महिला जज प्रिंसीपल मैजिस्ट्रेट जुविनाइल जस्टिस बोर्ड, अमृतसर अपराजिता जोशी ने बालक को बलोचिस्तान में उसके मां-बाप के पास भिजवाने के आदेश जारी किए हैं। 

फ्लैश बैक : किसान से मिला तो भूखा था बालक
22 जून 2019 को सीमा पर स्थित गांव हरदो रतन निवासी किसान पूर्ण सिंह ने थाना घरिंडा पुलिस को सूचना दी थी कि सुबह करीब 7.30 बजे 13-14 वर्षीय बालक उसके पास आया और बताया कि वह बलोचिस्तान (पाकिस्तान) का रहने वाला है और गलती से भारतीय सीमा में आ गया है। वह 2 दिनों से भूखा होने से खाना मांग रहा था। अपनी पहचान हरनई, बलोचिस्तान (पाकिस्तान) निवासी नसीब उल्ला पुत्र मोहम्मद आमीन के तौर पर करवा रहा है । वह उसे उसके मां-बाप के पास भिजवाने को कह रहा है। इस पर पुलिस ने नसीब उल्ला पर भारतीय पासपोर्ट कानून 1920 की धारा 3 तथा फारेन एक्ट 1946 की धारा 14 के तहत केस नंबर 100/2019 दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे होशियारपुर के चिल्ड्रन होम में भेज दिया गया। 
उधर, बालक की पहचान करवाने को लेकर महिला जज ने खुद कुछ वकीलों को उसका केस फ्री लड़ने का सुझाव दिया तो वकील देव प्रकाश शर्मा (डी.पी. शर्मा) तैयार हो गए और उन्होंने पाकिस्तान में मानवाधिकार संगठन चलाने वाले एडवोकेट अंसार बर्नी से संपर्क कर बालक के मां-बाप का पता लगवाने का आग्रह किया। 

पिता की टांगें कटीं, मां की हालत भी दयनीय
पाकिस्तानी वकील अंसार बर्नी ने बालक के परिवार का पता लगाया तो नसीब उल्ला के पिता की दोनों टांगे कटी होने के साथ उसकी मां की हालत भी काफी दयनीय होने का पता चला। इस पर अंसार बर्नी ने उसकी हर संभव मदद करने की पेशकश करने के साथ उसे उसके परिवार तक भिजवाने का अनुरोध किया। इसके बाद अदालत ने भी उसके प्रति नरमी बरतते हुए उसके द्वारा चिल्ड्रन होम में काटे गए 2 महीने, 14 दिन को ही सजा घोषित कर उसे घर भिजवाने के आदेश जारी किए हैं। 

बालक को वापस भेजने में कोताही बरतने पर होगी कार्रवाई
जज अपराजिता जोशी ने अपने आदेश में कहा है कि बालक को जब भी कस्टडी से रिहा किया जाता है तो आब्जर्वेशन होम होशियारपुर के सुपरिंटैंडैंट स्पैशल होम को उसे सुरक्षित अमृतसर की चाइल्ड वैल्फेयर कमेटी के पास लाना होगा, ताकि कमेटी किसी कंपीटेंट एजैंसी के जरिए भारत सरकार उसे पाकिस्तान में उसके मां-बाप के पास भिजवा सके।  अदालत ने आदेश में ये भी कहा कि आदेश की अनदेखी, कोताही को गंभीरता से लेकर कार्रवाई की जाएगी।

बालक की घर वापसी गृह मंत्रालय पर निर्भर
हालांकि जुविनाइल कोर्ट ने नसीब उल्ला को उसके घर बलोचिस्तान भिजवाने का आदेश जारी कर दिया है। बावजूद इसके बालक की घर वापसी भारत सरकार के गृह मंत्रालय पर निर्भर करेगी, क्योंकि सजा भुगतने वाले किसी भी विदेशी को उसके देश भिजवाने के लिए अगली सारी कानूनी प्रक्रिया गृह मंत्रालय ने पूरी करनी होती है।

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