चंडीगढ़ में ब्लैक आउट से मची हाहाकार, पानी के लिए भी तरसे लोग

Edited By Urmila,Updated: 23 Feb, 2022 10:24 AM

outcry in chandigarh due to blackout people also yearned for water

निजीकरण खिलाफ बिजली मुलाजिमों की तीन दिनों की हड़ताल के पहले दिन चंडीगढ़ के सभी हिस्सों में बिजली सप्लाई पूरी तरह ठप्प रही। मुलाजिमों की तरफ से पहले से ही हड़ताल का

चंडीगढ़ (विजय): निजीकरण खिलाफ बिजली मुलाजिमों की तीन दिनों की हड़ताल के पहले दिन चंडीगढ़ के सभी हिस्सों में बिजली सप्लाई पूरी तरह ठप्प रही। मुलाजिमों की तरफ से पहले से ही हड़ताल का ऐलान कर दिया गया था जिसकी जानकारी प्रशासनिक आधिकारियों को भी थी परन्तु कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए जिसकी क्षतिपूर्ति मंगलवार को शहर निवासियों ने भुगती। सोमवार रात 12 बजे से ही हड़ताल की शुरूआत हो गई। फिर एक के बाद दूसरे सेक्टर की बिजली सप्लाई भी ठप्प होती रही। आलम यह रहा कि मंगलवार सुबह 6 बजे तक सेक्टर-22, 27, 34, 35, 37, 38 (वेस्ट), 44, 45, 46, 42, 49, 52, 53, 46, 41, 50 और 63 समेत मनीमाजरा, मौलीजागरा, विकास नगर और किशनगढ़ के साथ-साथ कई अन्य सेक्टरों और गांव में बिजली की सप्लाई बंद हो गई जबकि दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। इसके बाद अन्य सेक्टरों से भी लोगों की शिकायतें पहुंचने लगीं। देखते ही देखते कुछ वी.आई.पी. सेक्टरों को छोड़ कर बाकी का पूरा शहर बिजली जैसी जरूरी सुविधा से खाली हो गया। लोगों ने सवाल भी उठाए कि आधिकारियों के सेक्टरों में सप्लाई क्यों नहीं रुकी हुई?

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सारे वर्गों के खपतकारों पर पड़ी मार
घरेलू खपतकारों समेत इंडस्ट्रियल और कमर्शियल श्रेणियों के खपतकारों पर भी इस हड़ताल की मार पड़ी। घर, दुकानों और इंडस्ट्रीज ही नहीं बल्कि सड़कों पर भी इस हड़ताल का प्रभाव दिखा। सभी सड़कों पर ट्रैफिक लाईटें नहीं चल सकीं। यही नहीं, बच्चों को ऑनलाइन क्लासों से भी वंचित रहना पड़ा। डिस्पेंसरियों और अस्पतालों के काम रुक गए। बिजली न होने के कारण ऊपरी मंजिल में रहने वाले लोगों को पानी की किल्लत भी झेलनी पड़ी। मुलाजिमों की इस हड़ताल को अलग-अलग राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मुलाजिम संगठनों, राजनीतिक पार्टियों और रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों का भी समर्थन मिला।

एडवाइजरी कौंसिल की मीटिंग में नहीं हुआ हड़ताल का जिक्र
एक तरफ मुलाजिम हड़ताल पर रहे तो दूसरी तरफ अधिकारी मीटिंग में मशरूफ हो गए। जब शिकायत केन्द्रों से निराशा मिली तो लोगों ने एस.डी.ओ., सुपरिटेंडेट इंजीनियर, चीफ इंजीनियर और एडवाईजर तक के फोन घुमाए गए परन्तु कहीं से भी कोई स्वीकृति नहीं मिला। किसी अधिकारी ने फोन न उठाया। किसी ने भरोसा दिया कि जल्दी ही परेशानी दूरी होगी परन्तु पूरा दिन लोगों को बिना बिजली के गुजारना पड़ा। खास बात यह है कि जब लोग बिजली की परेशानी बर्दाश्त कर रहे थे तो दूसरी तरफ अधिकारी होटल माऊंटव्यू में एडवाइजरी कौंसिल की मीटिंग में मशरूफ थे। मीटिंग में अलग-अलग प्राजेक्टों पर चर्चा चलती रही परन्तु मौजूदा समय में संकट के साथ जूझ रही इस समस्या पर किसी ने गंभीरता के साथ विचार नहीं किया।

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नहीं काम आए हेल्पलाइन नम्बर
शायद प्रशासन को भी इस बात की जानकारी थी कि हड़ताल शुरू होते ही इस तरह की स्थिति शहर में होगी। यही कारण था कि प्रशासन ने पहले ही हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए थे। प्रशासन की तरफ से दावा किया गया था कि हेल्पलाइन की मदद के साथ लोगों को बिजली की समस्या के साथ नहीं जूझना होगा परन्तु जैसे ही लोगों ने इस हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करनी शुरू की तो जवाब मिलता रहा कि मुलाजिम हड़ताल पर हैं, इसलिए जब तक वह काम पर नहीं लौटते, तब तक कुछ नहीं किया जा सकता।    

प्रशासन ने 6 महीने के लिए लगाई हड़ताल पर रोक
बिजली की किल्लत के साथ जब पूरे शहर के लोग प्रभावित हो चुके थे तो देर शाम चंडीगढ़ प्रशासन ने आर्डर जारी करते इंजीनियरिंग विभाग (इलेक्ट्रीसिटी विंग) पर 6 महीनों के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी। एडवाईजर धर्मपाल की तरफ से जारी आदेश अनुसार इलेक्ट्रीसिटी विंग का कोई भी मुलाजिम हड़ताल में हिस्सा नहीं ले सकता है। प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि बिजली का डिस्ट्रीब्यूशन, ट्रांसमिशन, आपरेशन और सप्लाई की मेंटीनैंस जरूरी सेवाओं में आती है इसलिए लोगों की सहूलियतों को देखते मुलाजिमों पर यह रोक लगाई गई है। वहीं इलेक्ट्रीसिटी इंपलाइज़ फेडरेशन आफ इंडिया के राष्ट्रीय उपप्रधान सुभाष लांबा ने कहा कि प्रशासन की तरफ से लगाई गई रोक का हड़ताल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। तीन दिनों की हड़ताल जारी रहेगी।

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इंडस्ट्रियल एरिया के 90 प्रतिशत हिस्से में बिजली रही गुल
बिजली मुलाजिमों की हड़ताल कारण इंडस्ट्रियलिस्ट को काफी नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ा। इंडस्ट्रियल एरिया के फेस-1 और 2 के 90 प्रतिशत हिस्से बिजली गुल रही। चंडीगढ़ स्क्रू मेन्युफेक्चर एसोसिएशन के जनरल सचिव भुपिन्दर सिंह सैनी ने बताया कि इंडस्ट्रियल एरिया के दोनों फेस में काम करन वाले 3000 मुलाजिम पूरा दिन कोई काम नहीं कर सके जिस कारण इंडस्ट्रियलिस्ट को भारी नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पहले से ही फायदा कम हो रहा है, ऊपर से रात से ही बिजली न होने के कारण नुक्सान और ज्यादा हो रहा है। यदि दो दिन ओर सप्लाई ठप्प रही तो आर्थिक संकट और गहरा हो जाएगा।

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