Edited By Vatika,Updated: 16 Jul, 2019 12:26 PM
लोक सभा चुनावों में बुरी तरह से हारने के बाद जहां कांग्रेस हाशिए पर चली गई थी व पंजाब की राजनीति भी जम गई थी, उसमें उबाल तब आया जब अचानक 10 जून को राहुल गांधी को भेजा गया उनका इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
लुधियाना (कुलवंत): लोक सभा चुनावों में बुरी तरह से हारने के बाद जहां कांग्रेस हाशिए पर चली गई थी व पंजाब की राजनीति भी जम गई थी, उसमें उबाल तब आया जब अचानक 10 जून को राहुल गांधी को भेजा गया उनका इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बस उसके बाद मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया व सोशल मीडिया ने इस समाचार पर कब्जा करने की नीयत से इस पर डिबेटें शुरू कर दीं तथा पंजाब की राजनीति एक बार फिर चरम सीमा पर जा पहुंची।
इस्तीफा करीब एक महीने से भी अधिक समय बाद वायरल हुआ, जिस कारण संदेह प्रकट किया जा रहा है कि गहरी नींद में सोई राजनीति को एक बार नींद से उठाने का प्रयास किया गया है। वहीं अगर पंजाब सरकार की बात करें तो सिद्धू व कैप्टन के बीच ठंडी जंग चल रही थी, दोनों अपनी-अपनी गोटियों को आगे बढ़ा रहे थे। यहां तक कि कैप्टन ने सिद्धू का विभाग बदला तो सिद्धू ने उनकी बात को दरकिनार करते हुए विभाग की कुर्सी लेने से इंकार कर दिया। सिद्धू अपनी फरियाद लेकर राहुल के दरबार भी गए, लेकिन वहां पर भी कैप्टन का पलड़ा भारी दिखाई दिया, जिस कारण सिद्धू ने चुप्पी धार ली थी। मंत्रालय बदले जाने के एक माह तक भी सिद्धू ने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे साफ है कि इसमें गहरी राजनीतिक चाल है, जिसका आने वाले दिनों में ही खुलासा होगा कि सिद्धू कांग्रेस में रहते हैं या किसी अन्य पार्टी का समर्थन हासिल कर पंजाब की राजनीति को आगे बढ़ाते हैं। फिलहाल तो कांग्रेस की बजाय विरोधी पक्ष ही धड़ाधड़ बयानबाजी करने में लगे हुए हैं जिससे साफ है कि सिद्धू की लोकप्रियता कभी भी कम नहीं हुई, चाहे राजनीति जिस प्रकार की भी चलती रहे।
‘लिप’ बोली- सिद्धू ही होंगे अगले मुख्यमंत्री
लोक इंसाफ पार्टी (लिप) के प्रधान सिमरजीत सिंह बैंस का कहना था कि सिद्धू नेक नीयत व पंजाबियत को प्यार करने वाले हैं, वह गलती पार्टी में चले गए। वह ईमानदारी से लोगों की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस की सोच बिल्कुल इसकी विपरीत है जिस कारण सिद्धू को इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने बड़े हर्षोल्लास के साथ कहा कि अगर सिद्धू उनके साथ आकर खड़े होते हैं तो आने वाला मुख्यमंत्री सिद्धू को ही बनाया जाएगा। सभी विरोधी पक्ष भाजपा को छोड़ कर सिद्धू के साथ खड़ा है।
राजनीतिक स्टंट है सिद्धू का इस्तीफा : भाजपा
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कड़े प्रहार करते हुए कहा कि सिद्धू अक्सर राजनीतिक स्टंट करते रहे हैं, यह पहली बार नहीं हुआ, सिद्धू का इस्तीफा भी उसी प्रक्रिया का हिस्सा है। नेताओं ने साफ कहा कि वे कैबिनेट मंत्री हैं, उसे इस्तीफा पंजाब गवर्नर को भेजना चाहिए था। अगर कांग्रेस को छोड़ा है तो पंजाब प्रधान और ऑल इंडिया प्रधान को भी पत्र लिखना चाहिए था। लेकिन बड़ी हैरानीजनक स्थिति है कि जिस राहुल गांधी को इन्होंने इस्तीफा भेजा वह खुद अब ऑल इंडिया कांग्रेस का प्रधान नहीं और वह प्रधानगी पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनका कहना था कि सिद्धू को ऐसी बचकाना हरकतें छोड़ कर गंभीर होकर राजनीति करनी चाहिए, अगर लोगों ने उनको फतवा दिया है तो लोगों के काम करने चाहिए।
सिद्धू को नहीं कुर्सी का मोह : चीमा
आम आदमी पार्टी से हरपाल सिंह चीमा व पार्टी छोड़कर जा चुके नेताओं का कहना था कि सिद्धू के इस्तीफे ने साबित कर दिया कि उनको कुर्सी व सरकारी सुविधाओं का मोह नहीं है, बल्कि वह तो पंजाब की जनता को खुशहाल देखना चाहते हैं, यही कारण है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के विरुद्ध काम किया था जो सरकारी हाईकमान को पसंद नहीं आया। इन नेताओं का कहना था कि सिद्धू की पहले भी आम आदमी पार्टी के कन्वीनर से बात चली थी, अब भी अगर सिद्धू पार्टी का साथ देने को तैयार हो जाएं तो पंजाब की राजनीति एक नई दिशा तय कर पंजाबियों को उनके हक दिलवा कर रहेगी।
सबके चहेते हैं सिद्धू
क्रिकेट से लेकर पंजाबी फिल्मों तथा कपिल लाफ्टर शो से नाम कमाने वाले सिद्धू सभी वर्गों के चहेते हैं और लोग उनको बेहद पसंद करते हैं। राजनीति में भी पहले भाजपा ने उनको स्टार प्रचारक बनाया व बाद में कांग्रेस में आने के बाद उन्होंने देश भर में कांग्रेस का गुणगान किया। यह अलग बात है कि कांग्रेस हार गई अगर कांग्रेस लोक सभा चुनाव जीत जाती तो सिद्धू को एक अहम जिम्मेदारी दी जाती, लेकिन कांग्रेस हार से हताश शीर्ष नेताओं ने सिद्धू की किसी बात पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन आने वाले दिनों में सिद्धू दोबारा एक लंबी राजनीति पारी की रूपरेखा तैयार करने में लगे हैं जिनका खुलासा वह जल्द ही करेंगे, ऐसा राजनीतिक माहिरों का कहना है।