नवजोत सिद्धू ने की कृषि माहिरों के साथ पैनल Discussion- सामने आई ये बात

Edited By Vatika,Updated: 04 Feb, 2021 09:46 AM

navjot sidhu group discussion

सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव रहने वाले कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू ने एक ग्रुप डिस्कशन की।

जालंधर(पुनीत): सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव रहने वाले कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू ने एक धमाकेदार ग्रुप डिस्कशन की। इसकी शुरूआत करते हुए उन्होंने कहा,‘‘ बुद्धिमानों के साथ बातचीत महीनों की शिक्षा के समान है। जब मैं छोटा था तो बुजुर्ग कहते थे कि सियाने बंदे के साथ वार्तालाप लंबी एजुकेशन के बराबर है। मैं आपके साथ वार्तालाप करके गर्व महससू कर रहा हूं, मानों मिट्टी का ढेला गुलाबों की कियारी में आ गया हो।’’

उन्होंने कहा कि किसानी इस समय कठिन दौर से गुजर रही है, जिसके चलते किसान मोर्चा संभाले हुए हैं। इस संघर्ष के बाद देश में किसानी की तकदीर किसान खुद लिखेगा कोई पूंजीपति नहीं। इन कानूनों को वापस करवा कर हम और मजबूती के साथ सामने आएंगे। केन्द्र द्वारा पूंजीपतियों के लिए कानून बनाए जा रहे हैं और राज्य सरकारों से उनके अधिकार छीने जा रहे हैं, हमें राज्य सरकारों के कानूनों के लिए आवाज बुलंद रखनी होगी। 9.51 मिनट का जो वीडियो ट्वीटर पर सिद्धू द्वारा डाला गया है, उसमें बड़े स्तर पर रिप्लाई आए हैं। इसमें दिल्ली बार्डर पर बनाई जा रही कंकरीट की दीवारों सहित कई तरह की फोटो लोगों द्वारा अपलोड की गई हैं, जिनमें केन्द्र सरकार पर तंज कसे गए हैं।

सिद्धू ने कहा कि किसानी पर छाए संकट के हल के लिए मैं डिस्कस करना चाहता हूं। एग्रीकल्चर में बेरोजगारी की समस्या का हल है क्योंकि 50 प्रतिशत आबादी किसी न किसी ढंग से किसानी के साथ जुड़कर रोजगार प्राप्त कर रही है। यदि हमें एग्रीकल्चर की कोई नीति बनानी है तो उसके सैंट्रल पिल्लर छोटे किसान व किसानी लेबर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि  खेत मजदूरों की इंकम कैसे बढ़ाई जाए, इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर अच्छी खेती को बढ़ावा दे सकती है। वहीं केन्द्र सरकार बड़े घरानों को लाभ देने के लिए कानून बना रही है। इसमें राज्य की भागीदारी को खत्म किया जा रहा है। केन्द्र प्राइवेट सैक्टर की मंडी खड़ी करना चाहता है।  अंत में सिद्धू ने कहा कि हमें इसी तरह से अपनी आवाज बुलंद रखनी चाहिए और राज्य सरकारों के खुद का कानून बनाने के हक के लिए आवाज बुलंद करें।

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