Edited By Vatika,Updated: 06 May, 2020 02:49 PM

पंजाब में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार जारी है। अब होशियारपुर में से एक और नया कोरोना का पॉजीटिव केस सामने आया है।
अमृतसर( ममता ) : हाल ही में पंजाबी सूफी गायक सतिन्द्र सरताज की ओर से गाए गए जफरनामा में गुरबाणी के अशुद्ध उच्चारण का मामला श्री अकाल तख्त साहब पहुंच गया है। एस.जी.पी.सी. के धर्म प्रचार कमेटी के मैंबर भाई अजैब सिंह अभ्यासी और फैडरेशन के पूर्व नेता प्रो. सरचांद सिंह ने जत्थेदार साहिब के निजी सहायक जसपाल सिंह को एक ज्ञापन देकर गायक सरताज को मौजूदा जफरनामा वापस लेने के अतिरिक्त इस का शुद्ध उच्चारण और अन्य आवश्यक संशोधन करते प्रस्ताव का अनुसरण करने वाला फिर रिकाार्डिंग करवाने की हिदायत करने की अपील की है।
नेताओं ने कहा कि आज की लचर गायकी के दौर में भी नई पीढ़ी के कुछ गायकों का गुरबानी गान, गुर इतिहास, विश्वास और सिख साहित्य प्रति क्रियाशील होना और इस प्रति ध्यान हासिल करने प्रति पेशकारी सराहनीय है। सिख धर्म में गुरबाणी का गलत उच्चारण एक अपराध माना जाता है और किसी भी सिंह के पास पाठ करते किसी भी प्रकार की अशुद्धियों या त्रुटियां रह गई होने तो अरदास दौरान अक्षरों की भूल उठा प्रति माफी की व्यवस्था मौजूद है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पंजाबी गायक सतिंद्र सरताज की ओर से श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज द्वारा रचित जफरनामा का गान अनेक अशुद्ध उच्चारण और कई अन्य त्रुटियों के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी तरह गायकों और गीतकारों की ओर से श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज द्वारा रचित जफ़ऱनामा को अपनी अपने नाम पर लिखने का गलत रुझान अधिक रहा है।
गीतकार महल सिंह की ओर से जफ़ऱनामा शीर्षक तले मूल रचना की जगह पंजाबी कविता गाई गई, जिस का नोटिस लेना बनता है। इसके साथ ही उन्होंने जत्थेदार से अपील की कि कुछ समय से गायकों, फि़ल्मसाज़ों और साहित्यकार आलोचकों की सृजनातमक सामग्री में सिख संस्कृति और विचारधारा पर हमले हो रहे हैं, जिस संबंधी कई विवाद हमारे सामने आ चुके हैं। ऐसे घटनाक्रम से बचने के लिए राष्ट्रीय फि़ल्म सैंसर बोर्ड की तर्ज पर शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को फिल्मांकन के अलावा गुरबाणी, सिख साहित्य और गायन पर भी नजऱ रखने प्रति सैंसर बोर्ड का गठन कराना चाहिए।