लुधियाना-तलवंडी नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट में भारी गड़बड़ी, कैग ने उठाए सवाल

Edited By Vatika,Updated: 27 Dec, 2025 10:18 AM

ludhiana talwandi national highway project

लुधियाना-तलवंडी राष्ट्रीय राजमार्ग (एन.एच.-95, वर्तमान एन.एच-5) प्रोजैक्ट में भारी देरी औ

जालंधर: लुधियाना-तलवंडी राष्ट्रीय राजमार्ग (एन.एच.-95, वर्तमान एन.एच-5) प्रोजैक्ट में भारी देरी और लागत में जबरदस्त बढ़ौतरी को लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गंभीर आपत्ति दर्ज की है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस परियोजना के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एन.एच.ए.आई.) के अविवेकपूर्ण फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है।

2011 में समझौता, सालों बाद भी अधूरा
कैग की रिपोर्ट के अनुसार एन.एच.ए. आई. ने जनवरी, 2011 में इस फोर लेन परियोजना के लिए एक निजी रियायतधारी के साथ बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (टोल) आधार पर समझौता किया था। परियोजना को सितम्बर, 2014 तक पूरा किया जाना था, लेकिन लगातार देरी के चलते यह वर्षों तक अधर में लटकी रही। रिपोर्ट में बताया गया कि 2013 के बाद रियायतधारी ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए काम धीमा कर दिया और बाद में मशीनरी भी हटा ली। नवम्बर, 2019 तक परियोजना का 91.9 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था, लेकिन तब तक 453.8 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। इसके बावजूद शेष कार्य पूरा नहीं किया गया।

ओ.टी.एफ.आई.एस. योजना पर भी सवाल
एन.एच.ए. आई. ने शेष कार्य को पूरा करने के लिए वन-टाइम फाइनैंशियल असिस्टेंस स्कीम (ओ.टी.एफ. आई.एस.) के तहत सहायता देने का फैसला किया, लेकिन कैग का कहना है कि यह सहायता केवल 75 प्रतिशत कार्य के प्रोविजनल कंप्लीशन तक सीमित रखी गई, जिससे परियोजना को पूरा करने में और देरी हुई।
कैग ने कहा कि यदि समय पर पूरा वित्तीय सहयोग दिया गया होता, तो परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सकता था और अतिरिक्त खर्च से बचा जा सकता था। कैग के मुताबिक अधूरी योजना, गलत फैसलों और देरी के चलते परियोजना की लागत में करीब 41.7 करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ा। बाद में शेष कार्यों को दोबारा आबंटित करना पड़ा, जिससे खर्च और बढ़ गया।

कैग की सख्त टिप्पणी
कैग ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि एन. एच. ए. आई. की निर्णय प्रक्रिया में कमी और असंगत वित्तीय प्रबंधन के कारण न केवल परियोजना प्रभावित हुई बल्कि सरकारी संसाधनों का भी सही उपयोग नहीं हो पाया।लुधियाना-तलवंडी एन.एच. परियोजना की यह कहानी एक बार फिर बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट्स में निगरानी, समयबद्ध फैसलों और जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करती है। कैग की यह रिपोर्ट आने वाले दिनों में एन.एच.ए. आई. और सड़क परिवहन मंत्रालय के लिए असहज सवाल खड़े कर सकती है।

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