कोटकपूरा गोलीकांड: प्रो. सरचंद ने जत्थेदार से पूर्व सी.एम. को लेकर रखी यह मांग

Edited By Urmila,Updated: 25 Feb, 2023 03:30 PM

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सरचंद सिंह ने जत्थेदार को लिखे पत्र में एक विनम्र सिख के रूप में सिख मानसिकता को व्यक्त किया और कहा।

अमृतसर: शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल से 'फख्र ए कौम' पुरस्कार वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है। आज भाजपा के सिख नेता और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार प्रोफेसर सरचंद सिंह  ख्याला ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से अपील की है कि प्रकाश सिंह बादल से 'फख्र ए कौम' और 'पंथ रत्न' पुरस्कारों को तत्काल वापस लिया जाए।

सरचंद सिंह ने जत्थेदार को लिखे पत्र में एक विनम्र सिख के रूप में सिख मानसिकता को व्यक्त किया और कहा कि श्री बादल कोटकपुरा गोलीकांड की साजिश में मदद करने के गंभीर आरोपों के उभरने के कारण पंथ का विश्वास खो चुके हैं। जिन लोगों ने उन पर भरोसा किया उन्हें आज सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए बादल को अब 'फख्र ए कौम' कहलाने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें यह सम्मान तुरंत लौटा देना चाहिए। यदि बादल सम्मान वापस नहीं करते हैं, तो जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब बादल से सम्मान वापस लेने की घोषणा करें।

प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि बादल को सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए 2011 में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से फख्र ए कौम और पंथ रत्न से सम्मानित किया गया था। लेकिन 2015 में हुई बेअदबी की दिल दहला देने वाली घटनाओं से निपटने में नाकाम रहने के बाद उनसे फख्र ए कौम अवॉर्ड वापस लेने की मांग उठती रही। वहीं अब फरीदकोट कोर्ट में डी.जी.पी. एल.के. यादव के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) द्वारा पेश चालान में बरगाड़ी बेअदबी के मामले में न्याय की मांग को लेकर कोटकपुरा में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे सिख संगत पर गोली चलाने के मामले में प्रकाश सिंह बादल को साजिश में मदद देने का आरोप है। जिसमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री व अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और तत्कालीन डी.जी.पी. सुमेध सैनी मास्टरमाइंड थे।

प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि विधान सभा में जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर बहस के दौरान बहिष्कार करने वाले बादलों ने राज्य के एक दशक के सत्ता दौरान जाने-अनजाने में की गई भूलों का जिक्र किए बिना पश्चाताप का रास्ता चुना, लेकिन अब कोर्ट में पेश किए गए चालान में स्पष्ट किया है कि वह कौन-सी भूल थीं, जिन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए बादल ने सिख कौम के सम्मान का अपना अधिकार खो दिया है। 

उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के गांव बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अपमान की हृदय विदारक घटना हुई थी। 14 तारीख को कोटकपुरा और बहबल कलां में न्याय की मांग कर रहे लोगों पर पुलिस की गोली से 2 सिंह शहीद हो गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए। बरगाड़ी मामले के आरोपी डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी निकले। जिसमें सिखों के प्रतिष्ठित संगठनों, शिरोमणि कमेटी और श्री अकाल तख्त साहिब का डेरा प्रमुख राम को माफी दिलाने के लिए दुरुपयोग किया गया। उन फैसले को सही ठहराने के लिए 90 लाख से अधिक विज्ञापन दिए गए, लेकिन सांप्रदायिक अस्वीकृति और विरोध के कारण फैसला वापस लेना पड़ा। आखिर में उन्होंने सांप्रदायिक पंथक संगठनों से भी अपील की है कि वे अकालियों के बेईमान नेतृत्व की ढाल न बनें।

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