Jalandhar पर मंडरा रहा बड़ा खतरा! हैरत में डाल देगी ये आपको खबर

Edited By Vatika,Updated: 16 Jul, 2025 10:17 AM

jalandhar panic situation

अगर इन्हें ठीक से निस्तारित न किया जाए तो इनका असर मिट्टी, पानी और हवा तक को जहरीला बना सकता है

जालंधर,(कशिश): क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर की अलमारी या डिब्बे में पड़ी एक्सपायरी दवाइयां कितनी खतरनाक हो सकती हैं? ज्यादातर लोग नहीं सोचते। जालंधर जैसे बड़े शहर में जहां आधुनिक अस्पताल और मैडीकल स्टोरों की भरमार है वहां करीब 80 प्रतिशत लोगों को यह तक नहीं पता कि एक्सपायरी दवाइयां कहां और कैसे फैंकनी चाहिए। ये दवाइयां सीधे कूड़े या नालियों में चली जाती हैं, जहां से ये इंसानों, जानवरों और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं।एक्सपायरी दवाइयां समय के साथ जहरीले कैमिकल में बदल जाती हैं। अगर इन्हें ठीक से निस्तारित न किया जाए तो इनका असर मिट्टी, पानी और हवा तक को जहरीला बना सकता है। इसके बावजूद जालंधर में अभी तक ऐसी दवाइयों के लिए न तो कोई ठोस कलैक्शन सिस्टम बना है न ही व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए गए हैं।

जागरूकता की कमी
ऑशहर की गलियों में, मोहल्लों में और यहां तक कि पॉश इलाकों में भी लोग एक्सपायरी दवाइयों को सामान्य कूड़े में फैंका हुआ देखा जा सकता है। कई बार ये दवाइयां सीधा नालियों में बहा दी जाती हैं। कुछ लोग तो यह सोचते हैं कि पानी में बहा देने से बात खत्म हो जाएगी और यही दवाईयां जमीन में रिस कर पानी को जहरीला बना रही हैं। 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग यह भी नहीं जानते कि ऐसी दवाइयां घरेलू कचरे में डालने से क्या खतरे हो सकते हैं। न तो स्कूलों में, न ही स्वास्थ्य केंद्रों में इस बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश हो रही है। कुछ निजी अस्पतालों या फार्मेसियों ने अपने स्तर पर मैडीसिन ड्रॉप बॉक्स जरूर लगाए हैं, लेकिन पूरे शहर की आबादी के लिए यह नाकाफी हैं।

होने वाले नुकसान

जानवरों की मौत का खतरा: जालंधर में हर मोहल्ले में कूड़े के ढेर पर आवारा मवेशी या कुत्ते घूमते रहते हैं। एक्सपायरी दवाइयों के कैमिकल उनके शरीर में जाकर सीधे असर डालते हैं, जिससे उनकी मौत तक हो सकती है।
जल और मिट्टी प्रदूषण:नालियों में बहाई गई दवाइयां सीधे शहर के सीवरेज सिस्टम से होकर नदियों और भूमिगत जल में पहुंचती हैं। इससे पीने का पानी भी जहरीला हो सकता है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। मिट्टी में जाकर ये दवाइयां उसकी उर्वरता को नुकसान पहुंचाती हैं।

नियम क्या कहते हैं?
भारत में बायोमैडीकल वैस्ट मैनेजमैंट रूल्स 2016 के तहत अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक, डायग्नोस्टिक लैब और मैडीकल कॉलेज जैसे संस्थानों को अपने यहां उत्पन्न होने वाले मैडीकल वैस्ट को सुरक्षित तरीके से इकट्ठा करके अधिकृत ट्रीटमैंट फैसिलिटी तक पहुंचाना होता है। इन नियमों के मुताबिक, फार्मेसियों और अस्पतालों में भी दवाओं के लिए अलग से मैडीसिन ड्रॉप बॉक्स या अन्य कंटेनर रखे जा सकते हैं, ताकि मरीज अपनी पुरानी या एक्सपायरी दवाइयां लौटा सकें। लेकिन घरों से निकलने वाली एक्सपायरी दवाइयों के लिए अभी तक भारत के नियमों में कोई स्पष्ट नीति नहीं है। यही वजह है कि जालंधर जैसे बड़े शहर में भी आज तक कोई आधिकारिक या व्यवस्थित सिस्टम नहीं बन पाया है। नगर निगम या स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहर में बड़े अस्पतालों, डिस्पैंसरियों और मैडीकल स्टोरों पर मैडीसिन ड्रॉप बॉक्स लगाने की कोई ठोस योजना लागू नहीं हुई है। जो कुछ कोशिशें हैं, वे निजी संस्थानों या समाजसेवकों के स्तर पर ही हैं।

फिलहाल क्या कर सकते हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक कोई ठोस व्यवस्था लागू नहीं होती, तब तक हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
दवाइयों को मिट्टी, इस्तेमाल की हुई चायपत्ती या कॉफी के साथ लपेटकर सीलबंद पैकेट में फेंके, ताकि जानवर या बच्चे उसे न निकाल सकें।
नालियों, टॉयलेट या खुले कूड़े में दवाइयां बिल्कुल न डालें।
जहां फार्मेसी रिटर्न पॉलिसी है, वहां दवाइयां वापस दें।

जनता को भी उठानी होगी आवाज़
शहर के लोगों को आवाज उठानी होगी ताकि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में कदम उठा सकें। जब तक प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक खुद लोगों को अपनी आदत बदलनी होगी। क्योंकि घर की अलमारी में पड़ी एक्सपायरी गोली फैंकने से किसी की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।

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