Edited By Kalash,Updated: 05 Jan, 2025 12:09 PM
21 दिसंबर को हुए जालंधर नगर निगम के चुनाव में सत्तापक्ष यानी आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।
जालंधर : 21 दिसंबर को हुए जालंधर नगर निगम के चुनाव में सत्तापक्ष यानी आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इसे कुल 85 सीटों में से 38 सीटें हासिल हुई थीं परंतु उसके बाद हुई राजनीतिक उठापटक के चलते 6 और नवनिर्वाचित पार्षदों ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। इस समय आम आदमी पार्टी के पास जालंधर निगम में पूर्ण बहुमत है और इसके पार्षदों की संख्या 44 हो गई है। फिर भी किसी भी प्रकार के रिस्क से बचने के लिए दो तीन पार्षदों को और जल्द ही आम आदमी पार्टी में शामिल करवाया जा रहा है जिन से बातचीत अंतिम चरण में है। इस बीच पता चला है कि जालंधर के मेयर संबंधी घोषणा लोहड़ी के आसपास होने वाली पार्षद हाऊस की पहली बैठक में हो जाएगी।
गौरतलब है कि निगम चुनाव के बाद एक सप्ताह तक नव निर्वाचित पार्षदों के पाले बदलने का दौर चलता रहा और आम आदमी पार्टी बहुमत जुटाने की ओर लगी रही। उसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चले गए जिस कारण भी मेयर के नाम संबंधी अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका। ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली चले गए जहां पता चला है कि अब आम आदमी पार्टी के दिल्ली यूनिट और पंजाब यूनिट ने आपस में बैठक इत्यादि करके जालंधर के नए मेयर का नाम लगभग फाइनल कर लिया है।
नए मेयर के लिए साफ छवि को ही आधार बनाया गया है। चाहे जालंधर के मेयर पद के लिए कई और नाम चर्चा में थे परंतु सूत्र बताते हैं कि इस मामले को लेकर गठित कमेटी के ज्यादातर सदस्य एक नाम पर ही एकमत दिखे। चाहे उस नाम पर एक दो नेताओं का विरोध भी आया परंतु उसे दरकिनार कर दिया गया और इस आमराय बाबत दिल्ली यूनिट से संबंधित नेताओं को भी पूरी जानकारी दे दी गई है। माना जा रहा है कि जालंधर के मेयर के चुनाव संबंधी सारा फैसला पंजाब यूनिट और स्थानीय स्तर पर काम कर रहे नेताओं ने ही लिया है और जालंधर के नए मेयर के रूप में जिस शख्स का अनौपचारिक चुनाव किया गया है, उसने पार्टी को बहुमत दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
नए डिविजनल कमिश्नर की तैनाती होते ही पार्षद हाउस की बैठक बुलाने संबंधी प्रक्रिया शुरू होगी
मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करने के लिए पार्षद हाउस की पहली बैठक अभी बुलाई जानी है। यह बैठक डिविजनल कमिश्नर द्वारा बुलाई जाती है परंतु इस समय जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर की पोस्ट खाली पड़ी हुई है और पंजाब सरकार ने अभी तक इस पोस्ट पर किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है। डिविजनल कमिश्नर के पद पर तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रदीप कुमार सभरवाल 31 दिसंबर को रिटायर हो चुके हैं। माना जा रहा है कि पंजाब सरकार एक दो दिन में ही जालंधर के नए डिविजनल कमिश्नर की तैनाती कर देगी। वैसे इस पोस्ट के लिए आईएएस अधिकारी गुरप्रीत कौर सपरा का नाम ही सामने आ रहा है जो पहले भी जालंधर की डिविजनल कमिश्नर रह चुकी हैं। आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि डिवीजनल कमिश्नर तैनात होते ही पार्षद हाउस की पहली बैठक बुलाने संबंधी प्रक्रिया शुरू की जाएगी और लोहड़ी या माघी के निकट हाउस की बैठक बुलाकर मेयर की घोषणा कर दी जाएगी।
आगामी विधानसभा चुनाव हैं सबसे बड़ा चैलेंज
जालंधर के नए मेयर के कंधों पर जहां शहर के बिगड़ चुके सिस्टम को सुधारने की जिम्मेदारी होगी वहीं उनके सामने सबसे बड़ा चैलेंज 2027 के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। दिल्ली विधानसभा के बाद पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण समझे जा रहे हैं । पंजाब की सत्ता पर काबिज हुए आप को करीब तीन साल हो चुके हैं और माना जा रहा है कि आगामी चुनाव दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
विधानसभा चुनावों में शहर की हालत और नगर निगम की परफ़ॉर्मेंस काफी महत्वपूर्ण रहेगी इसलिए इस मामले में नए मेयर पर सब की निगाहें भी होगी। उन्हें आम आदमी पार्टी के नेतृत्व और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ बाकी पार्टियों के पार्षदों और आम लोगों से भी समन्वय बनाकर चलना होगा। जालंधर निगम की बात करें तो यहां दो यूनियनें काफी प्रभावशाली समझी जा रही हैं जिनसे निगम के अफसर भी डरते हैं । दोनों यूनियनों के नेता अपनी-अपनी बिरादरी में भी अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। निगम के ज्यादातर कामों और सिस्टम को चलाने में यूनियन नेताओं की अहम भूमिका रहती है। हड़ताल इत्यादि की अक्सर मिलने वाली धमकी से निपटना भी मेयर के सामने एक चुनौती ही होगी।
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