गर्मी व लू ने लोगों का जीना किया मुहाल, कारोबार हुए ठप्प

Edited By Kalash,Updated: 27 May, 2024 05:11 PM

heat wave effected people

गुरदासपुर जिले में बीते तीन-चार दिनों से तापमान 43-44 डिग्री से ऊपर बना हुआ है।

गुरदासपुर : गुरदासपुर जिले में बीते तीन-चार दिनों से तापमान 43-44 डिग्री से ऊपर बना हुआ है। ऐसा महसूस होता है जैसे इलाका नर्क के द्वार से भी अधिक गर्म है, लेकिन लोगों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। लोग ऐसे महसूस कर रहे है कि वह धधकते ओवन के मुंह से अंदर और बाहर हाथ डाल रहे हैं। गुरदासपुर में मजदूर और दिहाड़ी मजदूर, जिन्हें अपने परिवार के लिए रोटी जुटाने के लिए गर्मी में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, उनके पास दमनकारी परिस्थितियों का सामना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 

इन मजदूरों का कहना है कि अगर इस असहनीय गर्मी से बचना चाहू तो मेरे बच्चों को कौन खिलाएगा। रोड़ पर एक नान बेचने वाले ठेला विक्रेता ने अफसोस जताते हुए कहा, मैं इस गर्मी में तप रहा हूं, लेकिन मेरे पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है। उन्होंने कहा कि वह प्रतिदिन केवल 400 रुपये कमाते हैं, जिससे उन्हें अपने परिवार का पेट भरने के लिए सारा दिन मौसम की गर्मी तथा तंदूर की गर्मी को बर्दाश्त करना पड़ता है। जबकि ऐसे कई लोग हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर दिन की गर्मी को केवल परिवार के लिए इस गर्मी को बर्दाश्त करते हैं।

रेहड़ी पर जूस की दुकानों तक गन्ना पहुंचाने वाले सुरजीत सिंह से जब टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने व्यंग्य से जवाब दिया। क्या आप मुझसे मेरे जीवन के बारे में पूछ रहे हैं, जो दिन-ब-दिन दयनीय होता जा रहा है। इस रेहड़ी से अपने 8 सदस्यों के परिवार को खाना खिलाना बहुत मुश्किल है। उनके अपने शब्दों में, उनका ध्यान अपने परिवार के लिए आजीविका कमाने पर है, चाहे बारिश हो या धूप। मैं इससे अनभिज्ञ हूँ। अगर मैं चिलचिलाती गर्मी से बचने की कोशिश करूं तो मेरी मदद के लिए और कौन आएगा। कितनी भी गर्मी हो, हमें अपने बच्चों को खिलाने के लिए काम करना पड़ता है, वह अपने माथे से पसीना पोंछते हुए कहते हैं।

एक निर्माण श्रमिक के रूप में, उसके पास चिलचिलाती धूप की गर्मी से बचने का कोई रास्ता नहीं है, चाहे तापमान 48 डिग्री हो या बारिश। वह बताता है कि दिन की शुरुआत भोर में होती है, एक अस्थायी बिस्तर से उठकर निर्माण स्थल पर एक और भीषण दिन का सामना करना पड़ता है जहां वह पिछले दो महीनों से काम कर रहा है। मजदूर राम लाल का कहना है कि पिछले दिन के परिश्रम से कभी-कभी मेरे शरीर में दर्द होता है, और लगातार धूप के संपर्क में रहने से मेरी त्वचा जल जाती है। लेकिन मुझे पता है कि मुझे अपने परिवार के लिए कमाना है। केवल किशन नाम के मजदूर का कहना है कि चिलचिलाती धूप में काम करना बहुत चुनौतीपूर्ण है, कभी-कभी उन्हें और उनके सहकर्मियों को बेहोशी महसूस होती है। लेकिन अपने परिवार और तीन बच्चों का ख्याल उसे यह सब सहने पर मजबूर कर देता है। उसका कहना है कि क्भी कभी मुझे रेत या ईंटों के बैग जैसे भारी वजन उठाना पड़ता है, और कई मंजिलों पर चढऩा पड़ता है। यह सब खुले आसमान के नीचे है, क्योंकि आसपास छाया प्रदान करने के लिए कोई संरचना नहीं है।

सबसे अधिक मार गरीब मजदूरों पर

मजदूरों व निर्माण कार्य में लगे मिस्त्रीयों का कहना है कि अधिक गर्मी के कारण इंट को हाथ लगाना तक कठिन है। पंरतु जिसके काम कर रहे होते है वह तो गर्मी नही बल्कि हमारे काम की गति देखता है। पानी पीने के लिए भी यदि कुछ समय रूक जाएं तो बुरा भला सुनना पड़ता है। यदि किसी मजदूर की काम करते हुए तबीयत खराब हो जाए तो पूरी दिहाड़ी ही काट ली जाती है।

गर्मी के कारण मुंह ढक कर वाहन चलाना आम बात

यदि देखा जाए तो तेज गर्मी से बचने के लिए लड़कियां व लडक़े मुंह को कपड़े से करव कर दो पहिया वाहन चलाते है। जबकि लूटमार की घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने मुंह बांध कर वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। पंरतु मरता क्या न करता,पुलिस कर्मचारी भी अब अपने चेहरे को लू से बचाने के लिए मुंह पर कपड़ा या रूमाल आदि बांध कर रखते है। सडक़ों पर संनाटा छाया हुआ है तथा दुकानों पर कारोबार सुबह व शाम का रही रह गया है।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here


 

Related Story

Trending Topics

India

97/2

12.2

Ireland

96/10

16.0

India win by 8 wickets

RR 7.95
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!