मौत के मुंह से बचकर लौटा अपने वतन वापिस, घर वालों की आंखें हुई नम

Edited By Radhika Salwan,Updated: 17 Jun, 2024 01:53 PM

he returned to his homeland after escaping the jaws of death

दुबई के प्रमुख व्यवसायी एवं सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक, डॉ. एस.पी सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से दुबई में तीन भारतीय युवकों की मौत की सजा माफ होने के बाद वह अपने वतन वापिस लौटे हैं।

राजासांसी- दुबई के प्रमुख व्यवसायी एवं सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक, जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से ऊपर उठकर देश-विदेश में जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर जनसेवा की नई मिसाल कायम कर रहे डॉ. एस.पी सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से दुबई में तीन भारतीय युवकों की मौत की सजा माफ होने के बाद लुधियाना जिले से संबंधित युवक सुखवीर सिंह पुत्र लक्षमन सिंह भी अपने वतन लौट आया है। मौत के मुंह से बचकर निकले बुजुर्ग माता-पिता के इकलौते बेटे सुखवीर और उनकी बुजुर्ग मां के 9 साल बाद पुनर्मिलन के दौरान जब दोनों मां-बेटे रोते हुए एक-दूसरे से मिले तो ऐसा लगा जैसे समय रुक गया हो।

इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए डॉ. ओबेरॉय ने बताया कि 2018 में दुबई में तीन पंजाबी युवक जिनमें सुखवीर सिंह, गुरप्रीत सिंह पुत्र बलविंदर सिंह निवासी अमृतसर जिला और जतिंदर कुमार पुत्र जसवीर कुमार निवासी बंगा, सूडान देश से संबंधित एक युवक की हत्या के मामले में पकड़े गए थे और कोर्ट ने उक्त तीनों युवकों को 25-25 साल की सजा सुनायी थी। उन्होंने कहा कि इस सजा के बाद उपरोक्त युवकों द्वारा की गई अपील पर अदालत ने सख्त रवैया अपनाया और उनकी 25 साल की सजा को फांसी में बदल दिया, जिसके बाद उक्त युवकों के परिवारों ने उनसे संपर्क किया और मदद की अपील की।

डॉ. ओबेरॉय ने कहा कि उनकी टीम ने पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर सूडान से संबंधित मृतक युवक के परिवार को ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली, जिसके कारण सभी ने मामले को सुलझाने की उम्मीद छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि लेकिन कुदरत ने ऐसा करिश्मा दिखाया कि उनकी सलाह के मुताबिक ईद के मौके पर परिवार द्वारा की गयी रहम की अपील पर कोर्ट ने उक्त तीनों युवकों की सजा माफ कर दी। उन्होंने कहा कि यह एक विशेष मामला था जिसमें मृत युवक के परिवार को ब्लड मनी नहीं दी गयी। डॉ. ओबेरॉय के मुताबिक इस मामले से जुड़े दो युवक पहले ही अपने घर पहुंच चुके हैं जबकि सुखवीर भी कल अपने देश लौट आया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्होंने समय-समय पर जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी करने के साथ ही पीड़ित परिवारों का हर पहलू से सहयोग किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने उसके परिवार की मांग पर सुखवीर का हवाई टिकट भी खरीदा है, जो आज घर पहुंच गया है।

अमृतसर के गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपने बेटे को लेने पहुंचे सुखवीर का उनकी बुजुर्ग मां कुलदीप कौर, भुआ जसवंत कौर, फुफर हरजिंदर सिंह, बहनोई अमनदीप सिंह और सिमरदीप सिंह ने खुशी के आंसुओं से स्वागत किया और उन्होंने वहीं डॉ. एसपी सिंह ओबेरॉय को विशेष धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. ओबेरॉय किसी भगवान के फरिश्ते से कम नहीं हैं। सुखबीर की मां भावुक हो गईं और बोलीं कि ओबराय ने उनके बेटे को मौत के मुंह से उठाकर उनकी गोद में डाल दिया है, भगवान उसे उनकी जिंदगी भी दे। मौत की सजा से बच गए सुखवीर ने रोते हुए कहा कि वह 2015 में रोजगार के लिए दुबई गया था और 2018 में वह एक हत्या के मामले में फंस गया था, उसके अनुसार वह निर्दोष था और उसे समझ नहीं आया कि उसके साथ यह सब कैसे हुआ। उन्होंने कहा कि डॉ. ओबेरॉय का अहसान वह पूरी जिंदगी नहीं दे सकते हैं। वह खाड़ी देशों में फंसे सैकड़ों लोगों के लिए भगवान का अवतार हैं।

इस मौके पर पहुंचे सरबत दा भला ट्रस्ट के नेता सुखजिंदर सिंह हेर और मनप्रीत सिंह संधू ने कहा कि राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर बिना किसी स्वार्थ के बच्चों की जान बचाने वाले डॉ. ओबेरॉय की बदौलत साल 2010 से लेकर अब तक लगभग 145 लोगों को मौत की सजा या 45 साल तक की लंबी सजा से मुक्त किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. ओबेरॉय सुखवीर के लिए पंजाब के अंदर ही रोजगार की व्यवस्था भी 

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