डेढ़ दिन तक PAK का हिस्सा थे गुरदासपुर और पठानकोट, आजादी के बाद हुआ था यह 'बदलाव'

Edited By Vatika,Updated: 16 Aug, 2025 03:40 PM

gurdaspur and pathankot were part of pak for a day and a half

बेशक जिला गुरदासपुर निवासी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है, परंतु इतिहास की बात करें तो

गुरदासपुर(विनोद, हरमन): बेशक जिला गुरदासपुर निवासी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है, परंतु इतिहास की बात करें तो गुरदासपुर व पठानकोट 14 अगस्त को ही आजाद हो गए थे। पाकिस्तान सरकार ने तो इस जिले के लिए डिप्टी कमिश्नर तथा एस.पी. भी भेज दिए थे। पंजाब का सबसे संवेदनशील जिला गुरदासपुर और पठानकोट भारत देश से एक दिन पहले 14 अगस्त को ही आजाद हो गए थे। परंतु काफी संघर्ष के बाद लगभग ढेड़ दिन बाद 16 अगस्त को इस जिला गुरदासपुर को भारत में शामिल किया गया था।

क्या है जिला गुरदासपुर व पठानकोट के भारत में शामिल होने की कहानी
स्वतंत्रता दिवस को लेकर जिला गुरदासपुर व पठानकोट निवासी में भारी उत्साह है। ऐसे में इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए या बुर्जुगों से बात की जाए तो कई हैरानी जनक बातें सामने आते हैं। जिसके बारे में नई पीढ़ी को कुछ भी जानकारी नही है तथा न ही इतिहास की किताबों के इसकी चर्चा है। पंजाब का सबसे संवेदनशील जिला गुरदासपुर और पठानकोट देश से एक दिन पहले 14 अगस्त को ही आजाद हो गए थे। इस जिले के लिए पाकिस्तान सरकार ने नए डिप्टी कमिश्नर तथा पुलिस अधीक्षक को भी तैनात कर भेज दिया था। जबकि तब नगर कौंसिल गुरदासपुर के प्रधान जो एक मुस्लिम था ने गुरदासपुर जिले को पाकिस्तान का हिस्सा बनाए जाने पर नगर कौंसिल कार्यालय में विशाल पार्टी भी की थी। 2 दिन बाद इन्हें भारत में शामिल किया गया। दरअसल, बंटवारे के समय पहले गुरदासपुर को पाकिस्तान में शामिल कर दिए गया था। उस वक्त पठानकोट भी गुरदासपुर जिले की ही तहसील हुआ करता था। पाकिस्तान ने गुरदासपुर का चार्ज लेने के लिए अपने डीसी और एसपी भी रवाना कर दिए थे। 2 दिन तक गुरदासपुर पाकिस्तान का हिस्सा रहा था।

शकरगढ़ पाकिस्तान और बाकी 3 तहसील गुरदासपुर, बटाला तथा पठानकोट भारत में शामिल किए
15 अगस्त, 1947 को देश आजाद होने के बाद 16 अगस्त को जिला गुरदासपुर की चार तहसीलों में एक शकरगढ़ को पाकिस्तान में रखा गया और पठानकोट तहसील (मौजूदा समय में जिला) सहित बाकी हिस्सा भारत का हिस्सा घोषित किया गया। इस बात को 17 अगस्त 1947 को सार्वजनिक किया गया। इस फैसले के बाद जिला गुरदासपुर में मौजूद मुस्लिम बिरादरी को सुरक्षित पाकिस्तान पहुंचाने के लिए गांव पनियाड़ में रिफ्यूजी कैंप लगाया गया था।

इस कैम्प में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु भी पहुंचे थे। यह कैंप दो महीने तक चलता रहा तथा पूरी मुस्लिम आबादी को पाकिस्तान भेजने के बाद इसे बंद किया गया। 1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान पंजाब के बंटवारे के लिए रैडक्लिफ कमीशन बनाया गया जिसका अध्यक्ष ब्रिटिश बैरिस्टर सिरिल रैडक्लिफ को बनाया गया। उन्होंने बंटवारे के लिए 1941 में हुई जनगणना को आधार बनाया। उस वक्त जिला गुरदासपुर में 56.4 फीसद मुस्लिम आबादी थी। ऐसे में गुरदासपुर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाया गया। उस समय गुरदासपुर में चार तहसील गुरदासपुर, बटाला, पठानकोट और शकरगढ़ शामिल थीं। शकरगढ़ तहसील रावी दरिया के पार पाकिस्तान की ओर थी।

कहा जाता है कि तब मेहरचंद महाजन नाम के व्यक्ति ने भारत सरकार को समझाया कि यदि जिला गुरदासपुर व पठानकोट पाकिस्तान का हिस्सा बन जाते है तो पूरा जम्मू कश्मीर भी पूरी तरह से पाकिस्तान के कब्जे में चला जाएगा। क्योंकि जम्मू व कश्मीर को जाने के लिए जिला गुरदासपुर ही एकमात्र सड़क मार्ग है। जिस पर भारत सरकार ने फिर से पाकिस्तान पर दबाव बनाया तथा कुछ शर्तों के आधार पर जिला गुरदासपुर व पठानकोट को भारत का हिस्सा बनाने में सफलता प्राप्त की। यदि जिला गुरदासपुर व पठानकोट भारत का हिस्सा न होते तो जम्मू कश्मीर को जाने के लिए कौई विकल्प नही रह जाना था।

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