बेअदबी के मामलों में दोषी पाए गए पूर्व पुलिस अधिकारी CBI जांच करवाने को तैयार, फिर पहुंचे HC

Edited By Suraj Thakur,Updated: 22 Oct, 2018 06:24 PM

former police officers ready to get cbi examined

जिन पूर्व पुलिस अधिकारियों ने जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, अब उन्ही अफसरों ने मामले की CBIसे जांच करवाने लिए हाईकोर्ट का का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन को दी चुनौती के बाद इन अफसरों को कोर्ट ने राहत...

चंडीगढ़. पंजाब में गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर जिन पूर्व पुलिस अधिकारियों ने जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, अब उन्ही अफसरों ने बेअदबी और बहबल कलां में फायरिंग मारे गए दो युवकों के मामले की CBI से जांच करवाने लिए हाईकोर्ट का का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन को दी चुनौती के बाद इन अफसरों को कोर्ट ने राहत देते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी। जबकि पुलिस के यह पूर्व अधिकारी अपने को पाक साफ साबित करने के लिए सीबीआई जांच करवाने को भी तैयार हैं। इससे पूर्व हाल ही में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने भी हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, कि वह भी इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने को तैयार हैं। हालांकि उन्हें हाईकोर्ट ने राहत देते हुए कहा था कि उन्हें किसी भी कार्रवाई के तहत एक सप्ताह का नोटिस दिया जाए।


सरकार की फाइलों में दफन हो रहा है मामला...

बहबल कलां गोलीकांड, बरगाड़ी व बुर्ज जवाहर सिंह वाला में हुई बेअदबी का मामला अब एक बार फिर सरकारी कागजों में ही दफन होता दिखाई दे रहा है। इन मामलों की जांच पहले अकाली सरकार के समय जोरा कमीशन कर रहा था, बाद में कैप्टन सरकार ने जोरा कमीशन की रिर्पोट को नकार दिया और जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन का गठन किया। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि इन तीनों मामलों में सरकार ने CBIजांच करवाने से भी अपने हाथ पीछे खींच लिए थे और एलान किया था कि कार्रवाई सरकारी एसआईटी के अमले की ही निगरानी में होगी। उसके बाद सरकार इस मसले पर खुद ही घिर गई, और विपक्ष में बैठे नेताओं ने जितने भी शब्दभेदी बाण थे  कांग्रेस सरकार के सीने पर दाग दिए। चूंकि सरकार बेअदबी के मसले पर कोई ठोस कार्रवाई कर ही नहीं पाई।

कमीशन पर एक्ट 1952 के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप.....

गौरतलब है कि जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की बेअदबी को लेकर की गई जांच को फरीदकोट के रिटायर्ड एसएसपी चरणजीत सिंह, रघुबीर सिंह संधू व तत्कालीन एसएचओ अमरजीत सिंह ने  ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । याचिका में चरणजीत सिंह ने कहा था कि आयोग ने अपनी जांच में न सिर्फ कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, बल्कि अपनी सिफारिशों में इस मामले में उपलब्ध तथ्यों को भी नजर अंदाज किया है। 

अकाली सरकार ने भी किया था जस्टिस जोरा सिंह कमीशन का गठन.....

सनद रह कि पंजाब में पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं के विरोध में बहबल कलां में सिख संगठनों ने प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 2 युवाओं की मौत हो गई थी। मामला गरमाने पर पूर्व अकाली सरकार ने इस मामले में जस्टिस जोरा सिंह की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था।

कांग्रेस ने जोरा कमीशन को खारिज कर, बनाया था जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन.... 


जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इसे मानने से इनकार कर दिया था और बेअदबी के मामलों की नए सिरे से जांच के लिए जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन किया गया था। जस्टिस रणजीत सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में गोलीकांड के लिए पुलिस अधिकारियों को इस घटनाक्रम के लिए पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया था। रिपोर्ट में कहा था कि पुलिस ने शातिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बेवजह गोली चलाई।
 

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