DC दफ्तर काम करवाने जा रहे हैं तो पढ़ लें ये खबर, करना पड़ सकता है मुश्किलों का सामना

Edited By Kalash,Updated: 17 Mar, 2025 05:29 PM

farmers protest dc office

डिप्टी कमिश्नर कार्यालय का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया।

गुरदासपुर (विनोद): किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब ने आज जिला गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। इस धरने को लेकर शहर का यातायात भी प्रभावित हुआ। जिला कचहरी व प्रशासनिक कम्पलैक्स को आने वाली सड़कों को बंद करना पड़ा।

इस मौके पर राज्य स्तर के किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह चुताला, हरविंदर सिंह मसनिया ने कहा कि पिछले दिनों भगवंत मान सरकार ने केन्द्र सरकार के इशारे पर हथियारों और साजो-सामान से लैस पुलिस बल का प्रयोग कर किसानों की जमीनों पर बिना मुआवजा दिए कब्जा करने की नीयत से उन पर अंधाधुंध अत्याचार कर रही है। यह एक नए काले युग की शुरुआत है। जिसने सदियों से चले आ रहे सरकारी दमन की याद दिला दी। भगवंत मान सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का घोर उल्लंघन किया है।

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इस अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि सरकार किसी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करती है तो किसानों की 70 प्रतिशत सहमति आवश्यक है। यदि किसान सहमति देते हैं तो भूमि के बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा और 30 प्रतिशत भूमि का विस्थापन आवश्यक है, साथ ही मजदूरों, दुकानदारों और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का सर्वेक्षण भी आवश्यक है। लेकिन यह विध्वंसकारी परियोजना किसी भी शर्त को पूरा नहीं करती है। कॉरपोरेट के हितों को ध्यान में रखते हुए यह दमन किया जा रहा है और जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। जिन फसलों को किसान अपने बच्चों की तरह पैदा करते हैं, उन्हें नष्ट किया जा रहा है। 

गुरदासपुर जिले में बिना मुआवजा दिए जमीन पर कब्जा करने की कोशिश के दौरान सरकारी हिंसा और फसलों के विनाश के खिलाफ गुरदासपुर डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया है। किसान नेताओं ने मांग की कि गुरदासपुर जिले में भारत माला परियोजना के तहत अवैध रूप से अधिग्रहित भूमि की अधिसूचना रद्द की जाए तथा भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार 70 प्रतिशत ग्रामीणों की सहमति प्राप्त करके बाजार मूल्य से 4 गुना अधिक कीमत तथा 30 प्रतिशत विस्थापन भत्ता देकर भूमि अधिग्रहण की जाए तथा मजदूरों, दुकानदारों, पर्यावरण व अन्य पर पड़ने वाले प्रभावों का समाधान किया जाए तथा इन प्रावधानों को पूरे पंजाब में लागू किया जाए।

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वणर्नीय है कि 11 मार्च को तहसील बटाला के गांव भरथ व नंगल के किसानों की गेहूं की फसल पर कब्जा करने से रोकने के लिए विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज कर 7 किसानों को घायल करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। नष्ट हुई फसलों व घायल किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए तथा हरगोबिंदपुर थाने में किसानों पर दर्ज मामले रद्द किए जाएं। इसी तरह देशव्यापी आंदोलन के दौरान शंभू मोर्चा में शहीद हुए किसान सुखविंदर सिंह, गांव रंगड़, नंगल तहसील बटाला के परिवारों को स्वीकृत मांग के अनुसार 5 लाख रुपये मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए तथा पंजाब सरकार उनका पूरा कर्ज माफ करें। 

गुरदासपुर जिले में निजी व सरकारी गन्ना मिलों द्वारा गन्ना एक्ट के अनुसार 14 दिन के बाद भुगतान में देरी होने पर हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार 15 प्रतिशत ब्याज दिया जाए, पंजाब सरकार गन्ने पर 61-50 पैसे प्रति क्विंटल बकाया राशि तुरंत अदा करें। इस अवसर पर अन्यों के अलावा हरजीत कौर, सुखदेव कौर, हरभजन सिंह, गुरमुख सिंह, सुखजिंदर सिंह, निशान सिंह, झिलमिल सिंह बजूमां, कंवलजीत सिंह, मास्टर गुरजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह खानपुर, सुखविंदर सिंह अलारपिंडी, अनूप सिंह सुल्तानी, सुखजिंदर सिंह, गुरप्रीत नानोवाल, बलदेव सिंह, हरजीत सिंह लीला कलां, हरचरण सिंह व अन्य किसान नेता काफिले के साथ मोर्चे पर पहुंचे।

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