2025 में भी राजनीतिक दलों की महिला वोटरों पर टिकीं निगाहें, जानें क्या है वजह

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 10 Jan, 2025 07:55 PM

even in 2025 all political parties have their eyes set on women voters

2024 बीत चुका है और 2025 का आगाज हो चुका है। नए साल का जश्न मनाया जा चुका है और इस नए वर्ष के लिए सोचे गए रैजोलुशन पर काम शुरू हो चुका है। आम लोगों से लेकर फिल्मी सितारों तथा खास लोगों से लेकर राजनेताओं तक, सभी ने 2025 के लिए कुछ न कुछ सोच रखा होगा...

जालंधर (अनिल पाहवा) : 2024 बीत चुका है और 2025 का आगाज हो चुका है। नए साल का जश्न मनाया जा चुका है और इस नए वर्ष के लिए सोचे गए रैजोलुशन पर काम शुरू हो चुका है। आम लोगों से लेकर फिल्मी सितारों तथा खास लोगों से लेकर राजनेताओं तक, सभी ने 2025 के लिए कुछ न कुछ सोच रखा होगा और उस पर बहुत लोगों ने काम शुरू कर दिया होगा। राजनीतिक मायनों में 2025 अहम वर्ष है, क्योंकि इस वर्ष दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसके अलावा उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर तथा गुजरात जैसे कुछ राज्यों में कुछ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव भी होने हैं। कई राज्यों में नेताओं की दलबदली का क्रम चलना है और इस वर्ष का आगाज दिल्ली के विधानसभा चुनावों की दस्तक के साथ शुरू हो चुका है। 

पिछले कुछ चुनावों में महिला वोटरों की अहम भूमिका

2025 के पोलिटिकल ट्रैंड्स की बात करें तो यह वर्ष महिलाओं के लिए काफी अहम वर्ष रहेगा, क्योंकि पिछले एक-दो सालों में महिला मतदाताओं को लेकर जितने भी एक्सपैरीमैंट हुए हैं, सभी में यह बात निकल कर सामने आई है कि किसी पार्टी को जीत दिलाने में महिला वोटर अहम भूमिका निभाता है और इन चुनावों में यह साबित हुआ है कि जो भी महिला वोटर को लुभाने में सफल रहा, उसी को सफलता मिली। 2019 के लोकसभा चुनावों में 62 करोड़ टोटल वोटरों ने भाग लिया, जिनमें से 30 करोड़ महिलाएं थीं। इसी प्रकार 2024 के लोकसभा चुनावों  में भी महिला वोटर ने अहम भूमिका निभाई, जिसका फायदा भाजपा को हुआ। तीन तलाक जैसे बिल भी इसी कोशिश का एक हिस्सा थे। 

महिला वोटर को लुभाने के लिए कई अहम फैसले

बात दिल्ली चुनाव की हो या फिर पिछले किसी भी चुनाव की। हर जगह पर महिला वोटर को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उदाहरण के तौर पर एल.पी.जी. सिलेंडर का मुद्दा हो या फिर मटर्निटी लीव या फिर महिला सुरक्षा की बात हो, हर जगह भाजपा तथा अन्य दलों ने ऐसे वायदे व दावे किए ताकि महिलाओं को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए मजबूर किया जा सके। 2017 में भाजपा ने सत्ता में आने के तीन साल बाद महिलाओं को मटर्निटी लीव के तौर पर 6 महीने की पेड लीव देने का ऐलान किया। इसके अलावा महिला आरक्षण बिल 2023 में लाया गया, जोकि पहले 6 बार फेल हो चुका था। 1996 से इस बिल पर काम चल रहा था, लेकिन भाजपा ने अपनी सरकार में यह बिल पेश कर महिलाओं को सशक्त बनाने की तरफ काम किया। बेशक यह बिल 2029 से पहले लागू नहीं होगा और इसमें कई तकनीकी कारण हैं, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को लुभाने में भाजपा सफल रही। 

दिल्ली में भी आप और भाजपा जुटी महिलाओं को लुभाने में 

अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके लिए राजनीतिक दल अपने स्तर पर कोशिशें कर रहे हैं कि किसी तरह से महिलाओं को अपने पक्ष में वोट करने के लिए लुभाया जा सके। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव यह बात साबित कर चुके हैं कि महिला वोटर अब पहले से ज्यादा अहमियत रखता है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार महिलाओं को महिला सम्मान योजना के तहत 1100 रुपए दे रही है और आने वाले समय में 2100 रुपए प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। जबकि दूसरी तरफ भाजपा की तरफ से भी महिलाओं के लिए योजना लाए जाने की तैयारी बताई जा रही है, जो शायद भाजपा के लिए कोई फायदे का सौदा हो सके।

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