पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अंदर विवाद गहराया, सचिव के अध्यक्ष को लिखे "मेल" ने खोले कई राज

Edited By Vatika,Updated: 30 Jun, 2022 09:39 AM

controversy deepens inside punjab cricket association

पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के नाम एसोसिएशन के मानद सचिव दिलशेर खन्ना ने एक खुला पत्र लिखा है

लुधियाना (अनिल पाहवा): पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के नाम एसोसिएशन के मानद सचिव दिलशेर खन्ना ने एक खुला पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने 19 जून को हुई एपेक्स काउंसिल की बैठक को लेकर अनियमितता बरते जाने की बात कही है। पत्र में लिखा गया है कि जो उक्त बैठक हुई है उसके लिए एजैंडा नहीं भेजा गया जो कि नियमों और विनियमों के अनुसार एक अनिवार्य प्रक्रिया है। प्रशासकों की समिति (सी.ओ.ए.) की तरफ से तय नियमों के अनुसार यह अनिवार्य है। सीओए का गठन माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित किया गया है ताकि एपैक्स अदालत के फैसलों को उचित ढंग से लागू किया जा सके। 

उन्होंने पत्र में लिखा है कि 12 जून को संयुक्त सचिव ने 12 जून को एजैंडे की एक लिस्ट जारी की जिसमें कोई भी विवरण नहीं दिया गया था। इस सूची को 19 जून की बैठक के लिए जारी किया गया था लेकिन उसमें एजैंडों का ब्यौरा नहीं दिया गया था। उन्होंने लिखा है कि व्यापक एजेंडे के बिना, शीर्ष परिषद की बैठक के दौरान चर्चा का उद्देश्य विफल हो गया। मानद संयुक्त सचिव द्वारा अपनाई गई इस प्रक्रिया पर उनके साथ भी कोई चर्चा नहीं की गई। पत्र में उन्होंने कहा कि नियमों के तहत 7 दिन पहले विस्तृत एजेंडा जारी किया जाता है और यह भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार ही किया जाता है। उन्होंने साफ किया कि इसके पीछे बड़ा कारण यह है ताकि बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों को संतुलित और ठोस चर्चा के लिए उचित विचार रखने में मदद मिल सके। एक लाइन वाला एक सारांश एजेंडा जो कि जारी किया गया है, का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि बैठक में भाग लेने के लिए निर्धारित सदस्यों को चर्चा किए जाने वाले मामलों के विवरण से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि वे अपने विचारों को प्रकट कर सकें। आरोप लगाते हुए सचिव ने कहा कि जो प्रक्रिया अपनाई गई है वह इस तरफ इशारा करती है कि बैठकें केवल उन निर्णयों को मंजूरी देने की औपचारिकता के लिए बुलाई जाती हैं जो द्वारा पहले ही किए जा चुके प्रतीत होते हैं। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि 19 जून की बैठक में बिना नियमों की पालना के कुछ फैसले लिए गए जिसके तहत सब कमेटियों के गठन से लेकर जिला स्तर की एसोसिएशनों को मान्यता देने जैसे फैसले लिए गए।

आगे लिखा गया है कि 9 दिन बीत जाने के बाद भी एपेक्स काउंसिल की बैठक में मिनटस अभी भी जारी नहीं किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि हैरानी की बात है कि सब कमेटियों के गठन की प्रक्रिया अभी बीच में है लेकिन कमेटियों की तरफ से बैठकें भी शुरू कर दी गई हैं। दिलशेर कन्ना ने यह भी आरोप लगाया कि कई बार कहने के बाद भी उन्हें मिनटस की कापी नहीं दी गई है। इसके लिए उन्होंने 21 तथा 22 जून को दो मेल भी भेजी थीं। जबकि 26 मई की एजीएम में सभी सदस्यों को विश्वास दिलाया गया था कि सभी बैठकों की प्रक्रिया उसी दिन सभी सदस्यों को उपलब्ध करवा दी जाएगी। जबकि उक्त बैठक के लिए भी बनाए गए मिनटस किसी को नहीं दिए गए।  खन्ना ने आगे लिखा है कि पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव के नाते वह यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी दायित्व के अधीन हैं  कि पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के नियमों विधिवत पालन और अनुपालन किया जाए। विशेष रूप से वह, अन्य पदाधिकारी, एपेक्स काउंसिल के सदस्य और सीईओ  सभी जनरल बॉडी और हितधारकों के प्रति जवाबदेह हैं। पीसीए को बीसीसीआई द्वारा जारी नियमों और शर्तों के साथ-साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए नियमों और विनियमों का अनुपालन भी आवश्यक है। खन्ना ले लिखा कि उक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पीसीए के लिए किसी भी शर्मिंदगी से बचने के लिए, वह अध्यक्ष को इस पूरी व्यवस्था के लिए आपसे उचित सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करने का आग्रह करते हैं। व्यवस्था में सुधार और उचित प्रक्रियाओं का पालन करना पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के निष्पक्ष और पारदर्शी कामकाज के हित में जरूरी है। अंत में उन्होंने लिखा है कि सचिव, पीसीए होने के नाते वह  उन अभिलेखों का रखरखाव नहीं कर सकते, जो स्पष्ट रूप से संवैधानिक रूप से अमान्य हैं और नियमों और विनियमों और भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हैं।

भज्जी का राइट हैंड है चाहल
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के प्रधान पद पर गुलजार इंद्र चाहल की नियुक्ति के बाद से विवाद चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि चाहल की तैनाती पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह भज्जी ने करवाई है। चाहल को भज्जी का राइट हैंड बताया जा रहा है। यह भी पता लगा है कि भज्जी की शह पर ही चाहल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ जाकर एसोसिएशन चलाने की कोशिश कर रहा है। 

 

पी.सी.ए. सचिव को मिलने लगा समर्थन
पी.सी.ए. के सचिव दिलशेर खन्ना की तरफ से लिखे गए खुले पत्र के बाद कई सदस्य उनके समर्थन में आने लगे हैं। एसोसिएशन के सदस्य भुपिंदर सिंह ने लिखा है कि वह दिलशेर खन्ना की बात से सहमत हैं। उन्होंने लिखा कि पारदर्शिता जरूरी है तथा किसी भी कामयाब संस्थान की लिए यह व्यवस्था जरूरी है। उन्होंने अनुरोध किया कि किसी भी बैठक के लिए बनाए जाने वाले मिनटस समय सीमा के भीतर उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। दीपक नंदा ने भुपिंदर सिंह की बात का समर्थन किया है।  अन्य सदस्य जे एस धालीवाल ने भी मेल कर कहा है कि पी.सी.ए. में व्यवस्था ठीक नहीं है तथा पारदर्शिता नहीं है। बैठकों के दौरान समय पर एजैंडा मुहैया करवाया जाना जरूरी है। बिना व्यवस्था के की जाने वाली कोई भी बैठक रद्द समझी जानी चाहिए। अध्यक्ष और सचिव तथा अन्य सदस्यों को टीम के तौर पर काम करना चाहिए।

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