कांग्रेसी मंत्रियों ने भाजपा नेताओं को दी चेतावनी, कहा-"हद में रहें नहीं तो..."

Edited By Vatika,Updated: 05 Jan, 2021 10:52 AM

congress ministers warned bjp leaders

उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और शिक्षा मंत्री विजय इंद्र सिंगला ने कहा है कि अधिकारी लोकतांत्रिक ढंग से चुनी सरकार के प्रति जवाबदेह होते हैं न कि रबड़ की मोहर।

चंडीगढ़ (अश्वनी): उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और शिक्षा मंत्री विजय इंद्र सिंगला ने कहा है कि अधिकारी लोकतांत्रिक ढंग से चुनी सरकार के प्रति जवाबदेह होते हैं न कि रबड़ की मोहर। लगता है कि राज्यपाल भाजपा समर्थक होकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल केवल एक कानूनी पद होता है जबकि वास्तविक शक्तियां लोकतंत्रीय ढंग से चुनी कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के हाथों में हैं।

राज्यपाल को खुश करने के लिए भाजपा नेता लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को अनदेखा कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं को चेतावनी दी कि वह अपनी हद में रहें नहीं तो गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। मंत्रियों ने भाजपा की निंदा करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक सरकार को कमजोर करने के लिए संवैधानिक पदों का दुरुपयोग हो रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले भी पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में राज्यपालों ने लोकतंत्र द्वारा चुनी सरकारों का गला घोंटने के यत्न किए हैं। पंजाब की भाजपा लीडरशिप की तरफ से कैप्टन सरकार को धमकी देने जैसे इरादों और भद्दी चालों के आगे कभी घुटने नहीं टेकेंगे बल्कि भाजपा को मौका आने पर सबक सिखाएंगे।

‘मनोरंजन कालिया कर रहे गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी’
पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया की बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी पर मंत्री ने कहा कि भाजपा नेता न कभी फौज में रहे हैं और न ही स्कूल के दिनों में कभी एन.सी.सी. में गए हैं जिस कारण वह पूरी तरह अनजान हैं कि कोई जनरल या कमांडर केवल अपने अधीन काम कर रहे अधिकारियों को ही तलब कर सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री अफसरों को अपने अधिकारी कह रहे हैं तो इसमें कोई अतिकथनी नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री खुद फौज की पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं। 

मंत्रियों ने कहा कि कृषि सैक्टर को बचाने के लिए काले खेती कानूनों के दुष्प्रभावों के खात्मे के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पंजाब विधानसभा में बिल पास किया परंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि राज्यपाल ने सहमति नहीं दी और लोगों के चुने प्रतिनिधियों की तरफ से उनकी आवाज को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। कांग्रेसी नेताओं ने पूछा कि पंजाब के भाजपा नेताओं ने भी काले कानूनों के विरुद्ध आवाज उठाने की जगह चुप रहने को प्राथमिकता दी। अब इन लोगों को राज्यपाल के पक्ष में आने का कोई हक नहीं है। मंत्रियों ने कहा कि संविधान ने राज्यपाल की जिम्मेदारियां तय की हैं परंतु पंजाब के भाजपा नेता पश्चिमी बंगाल की तर्ज पर मनमर्जी के अनुसार राज्यपाल के पद का प्रयोग करने पर अड़े हुए हैं।

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