सिविल अस्पताल में नहीं है इंसानियत

Edited By Updated: 28 Dec, 2016 09:50 AM

civil hospital jalandhar

हमेशा ही अपनी घटिया कार्यप्रणाली के चलते अखबारों की सुर्खियों में रहने वाले सिविल अस्पताल में इंसानियत नाम की चीज खत्म हो चुकी है।

जालंधर (शौरी): हमेशा ही अपनी घटिया कार्यप्रणाली के चलते अखबारों की सुर्खियों में रहने वाले सिविल अस्पताल में इंसानियत नाम की चीज खत्म हो चुकी है। पत्थर दिल बने स्टाफ को बेबस कोई नहीं दिखता और लोगों को रोजाना की तरह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आज ऐसा ही एक मामला देखने को मिला जब एक व्यक्ति अस्पताल की कार्यप्रणाली से इतना हताश हुआ कि वह अस्पताल प्रबंधकों को बद्दुआ देता रहा।जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल में अवतार नगर गली नं.-9 का रहने वाला शाहिद अली पुत्र गुलाब सावीर अपने 14 वर्षीय अपाहिज बेटे का मैडीकल तैयार करवाने के लिए उसे सिविल अस्पताल लेकर पहुंचा। शाहिद अली ने बताया कि पहले तो उसे एमरजैंसी वार्ड से व्हील चेयर नहीं दी गई। उसे कहा गया कि पॢचयां तैयार करने वाली खिड़की के पास काऊंटर से उसे चेयर मिलेगी, जैसे ही वह वहां चेयर लेने पहुंचा तो उसे कहा गया कि वह थोड़ा इंतजार करे व्हील चेयर कोई अन्य मरीज लेकर गया है। काफी देर तक उसने वहां इंतजार किया लेकिन किसी ने उसे चेयर नहीं दी। शाहिद अली के मुताबिक उसे किसी ने बताया कि पहली मंजिल पर स्थित मैडीकल सुपरिंटैंडैंट दफ्तर में अपाहिजों के होने वाले मैडीकल के फार्म 9 बजे से लेकर 11 बजे तक मिलते हैं। 11 बजने वाले थे और वह परेशान हो रहा था, आखिरकार उसने अपने अपाहिज बेटे को कंधों पर उठाया और सीढिय़ों के रास्ते मैडीकल आफिस में पहुंचा, जहां उसे फार्म मिला।

क्या दानी व्यक्ति के दान की प्रतीक्षा कर रहे हैं प्रबंधक
एक तरफ पंजाब सरकार का दावा है कि वह सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपए का फंड समय-समय पर जारी करती है ताकि अस्पतालों में देखरेख व अन्य सामान अस्पताल प्रबंधक खरीद सकें लेकिन शायद सिविल अस्पताल के प्रबंधकों के पास फंड नहीं है। पता चला है कि एमरजैंसी वार्ड में केवल 2 व्हील चेयर हैं और एमरजैंसी वाले एमरजैंसी में आने वाले मरीजों को ही चेयर देते हैं। इसके साथ ही पॢचयां बनाने वाले काऊंटर के पास स्थित रिसैप्शन में 2 व्हील चेयर्ज हैं और अस्पताल में दर्जनों अपाहिज व वह रोगी आते हैं जोकि चेयर के बिना डाक्टर तक नहीं जा सकते। अस्पताल प्रबंधकों को चाहिए कि व्हील चेयर दर्जनों के हिसाब से खरीदे ताकि लोगों को परेशानी न उठानी पड़े। क्या अस्पताल प्रबंधक इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कोई दानी व्हील चेयर दान करे?


मौजूदा सरकार की हर स्कीम फेल: सांसद संतोख चौधरी
कांगे्रसी सांसद संतोख चौधरी का कहना है कि अकाली-भाजपा सरकार की हर स्कीम फेल साबित हो रही है, चाहे वह उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल की पानी में चलने वाली बसें हों और चाहे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा लोगों को लाभ पहुंचाने वाली स्कीमें। हालात तो यहा तक हो चुके हैं कि जरूरतमंद लोगों के नीले कार्ड तो बन नहीं रहे, हां केवल मौजूदा सरकार के नेताओं के खासमखास जोकि जरूरतमंद भी न हों उनके घर बैठे नीले कार्ड बन रहे हैं। पंजाब में आज हर वर्ग का व्यक्ति मौजूदा सरकार की नीतियों से दुखी है। सरकारी अस्पतालों में तो लोगों की सुनवाई हो ही नहीं रही, पंजाब में कांगे्रस की सरकार आने पर बिगड़ी व्यवस्था को ठीक किया जाएगा और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

 

लो भाई बीमा कार्ड होते हुए भी खर्च किए 1700 रुपए
पंजाब सरकार द्वारा जरूरतमंद लोगों के भगत पूर्ण सिंह सेहत बीमा योजना कार्ड बनाए गए हैं जिसके तहत करीब 50 हजार तक मरीजों का उपचार सिविल अस्पताल व अन्य प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त होता है लेकिन प्राइवेट अस्पतालों द्वारा इस कार्ड को स्वीकार नहीं किया जा रहा क्योंकि उन्हें सरकार द्वारा उनका लाखों का पिछला बकाया जारी नहीं किया गया, लेकिन अब जालंधर के सिविल अस्पताल में भी इस कार्ड के होते हुए लोगों को पैसे खर्च कर उपचार करवाना पड़ रहा है।जानकारी के अनुसार गांव दयालपुर निवासी विक्की पुत्र करनैल सिंह ने बताया कि उसकी बुजुर्ग मां गिद्दों की तबीयत खराब होने के कारण वह अपनी मां को सिविल अस्पताल गत शनिवार लेकर आया। मां की तबीयत अधिक खराब होने के चलते डाक्टरों ने मां को दाखिल कर लिया। आज डाक्टरों ने उनकी सीटी स्कैन करवाने को कहा। विक्की ने बताया कि उसके पिता का भगत पूर्ण सिंह सेहत बीमा योजना के तहत कार्ड बना हुआ है, उसने पॢचयां तैयार करने वाले काऊंटर में कार्ड दिखाया तो उसे कहा गया कि 13 नम्बर खिड़की पर जाकर कार्ड की एंट्री करवाओ। जैसे ही वह 13 नम्बर खिड़की पर गया तो वह बंद थी, पास ही स्टाफ से पूछने पर पता चला कि ड्यूटी पर तैनात युवक आज छुट्टी पर है। अस्पताल प्रबंधक दूसरे की ड्यूटी लगाना भूल गए। विक्की ने बताया कि वह इस बाबत मैडीकल सुपरिंटैंडैंट दफ्तर में गया तो उसकी किसी ने नहीं सुनी। वह सिविल सर्जन दफ्तर पहुंचा तो उसे कहा गया कि मैडीकल सुपरिंटैंडैंट के पास जाकर शिकायत करो। थक-हार कर उसने जेब से 1700 रुपए खर्च कर अपनी मां का सीटी स्कैन करवाया। विक्की का कहना था कि ऐसे कार्ड को रखने से क्या फायदा जिसके होते हुए भी कोई सुनवाई न हो।


 

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