पंजाब में काले आन्दोलन की शुरुआत आज से, गली-गली में फूंकी जाएंगी अर्थियां

Edited By Sunita sarangal,Updated: 20 Sep, 2020 09:01 AM

black movement in punjab begins today

कृषि बिलों को लेकर राज्य में व्यापारियों और किसानों में अब गठजोड़ हो चुका है। चंद रोज पहले किसानों के बंद और सड़क जाम आन्दोलन में.........

जालंधर(एन.मोहन): आज रविवार से पंजाब कम से कम एक सप्ताह के लिए काले रंग में रंग जाएगा। केन्द्र द्वारा संसद में पेश 3 कृषि बिलों के विरोध में रविवार से पंजाब में किसान, व्यापारी और लगभग सभी 13 हजार गांवों के लोग अपने घरों, दुकानों और अपने वाहनों पर काले झंडे लगा कर रोष प्रकट करना शुरू कर रहे हैं। चूंकि लोकसभा में इन बिलों को पेश किया जाना है, इसलिए आज ही राज्य भर में किसान और व्यापारी जगह-जगह अर्थी फूंक प्रदर्शन करने जा रहे हैं जबकि 25 सितम्बर को राज्य में काला दिवस मनाया जा रहा है।

कृषि बिलों को लेकर राज्य में व्यापारियों और किसानों में अब गठजोड़ हो चुका है। चंद रोज पहले किसानों के बंद और सड़क जाम आन्दोलन में व्यापारियों ने सहयोग करके इस गठजोड़ का साफ संकेत दिया था। शनिवार को फैडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन ऑफ पंजाब के अध्यक्ष विजय कालड़ा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमरजीत सिंह बराड़ राजेआना द्वारा संगठन की बैठक की गई, जिसमें निर्णय किया गया कि रविवार को सभी व्यापारी किसानों के साथ राज्य भर में अर्थी फूंक आन्दोलन शुरू करने जा रहे हैं। 

व्यापारी नेता विजय कालड़ा ने बताया कि किसान संगठनों के साथ उनकी बैठक हो चुकी है, जिसमें यह तय किया गया है कि 25 सितम्बर को पूरे पंजाब में इन 3 कृषि बिलों के विरोध में व्यापार बिल्कुल ठप्प रखा जाएगा और उस दिन मंडियों में बासमती फसल की खरीद नहीं की जाएगी जबकि करियाना, मनियारी, कपड़ा, स्पेयर पार्ट्स व अन्य संगठनों से बैठकें जारी हैं और 25 सितम्बर को पूर्ण बंद रखा जाएगा। 

पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़ और राजस्थान की मंडियां बंद रहेंगी। यह अपील की जा रही है कि पूरा एक सप्ताह पंजाब के लोग अपने कपड़ों पर काले बिल्ले लगा कर रहें। ऐसी अपील गांवों में की जा रही है कि राज्य के सभी किसान व व्यापारी प्रतिदिन सुबह 11 से 12 बजे तक केन्द्र सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करेंगे। 

व्यापारी नेता कालड़ा और बराड़ का कहना था कि केन्द्र सरकार को कोरोना में ऐसी क्या आन पड़ी थी कि उसे इन बिलों को बिना देशव्यापी बहस करवाए संसद में लेकर आना पड़ा। अगर केन्द्र ने इन बिलों का परिणाम देखना ही था तो वह एक-दो राज्यों में इन्हें तजुर्बे के तौर पर लागू करके देख लेती परन्तु केन्द्र सरकार ने ऐसा नहीं किया, बल्कि इन बिलों को थोपा जा रहा है। नेताओं ने कहा कि पहले से ही बिहार व अन्य राज्यों में फसलें एम.एस.पी. से कम दाम में खरीदी जा रही हैं। ऐसे में इन बिलों के लागू होने से इन राज्यों में केवल किसान ही नहीं बल्कि पंजाब जैसे राज्य की खुशहाली ही समाप्त हो जाएगी।

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