Edited By Sunita sarangal,Updated: 11 Sep, 2025 04:04 PM

आदेशों में आगे कहा गया है कि डाक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वातावरण में लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है
मोगा(बिन्दा): डी.सी.-सह-जिला मैजिस्ट्रेट सागर सेतिया ने भारतीय नागरिक संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिले में धान की पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
आदेशों में कहा गया है कि धान की कटाई के मौसम की शुरुआत में यह आम तौर पर देखा गया है कि कुछ किसान पराली के अवशेषों में आग लगा देते हैं। पर्यावरण में गंभीर प्रदूषण फैलाने के अलावा, इसके धुएं से सड़कों पर कई दुर्घटनाएं होती हैं और कई भयानक बीमारियां भी फैलती हैं। पराली जलाने से भूमि के उपयोगी जीव (मलार्ड), जो भूमि के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं, भी नष्ट हो जाते हैं। इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती है और इस प्रकार, आस-पास के खेतों में खड़ी फसलें या आसपास के पेड़ भी आग से झुलस जाते हैं।
आदेशों में आगे कहा गया है कि डाक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वातावरण में लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है, जिसका सीधा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। यदि वर्तमान स्थिति में धान की पराली को आग लगाई जाती है, तो उसके धुएं का बुजुर्गों, अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोगियों, नेत्र रोगियों और छोटे बच्चों पर और भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। पराली का यह धुआं जानलेवा साबित होगा और अनमोल जानें भी ले लेगा। इसलिए, धान की पराली को आग लगाने की प्रथा पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है। यह आदेश 9 नवम्बर, 2025 तक लागू रहेगा।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here