किसान आंदोलन के चलते अकाली दल ने लिया अहम फैसला, बुलाई कोर कमेटी की बैठक

Edited By Urmila,Updated: 14 Feb, 2024 02:10 PM

akali dal took an important decision due to the farmers movement

आज किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन का आज दूसरा दिन है। किसान आंदोलन 2.0 के पक्ष में कई राजनीतिक दल भी आ रहे हैं।

चंडीगढ़/अमृतसर: एक बार फिर पंजाब और हरियाणा के किसान एम.एस.पी. सहित अन्य मांगों के साथ दिल्ली की सीमा पर डट गए हैं। आज किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन का आज दूसरा दिन है। किसान आंदोलन 2.0 के पक्ष में कई राजनीतिक दल भी आ रहे हैं। किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए शिरोमणि अकाली दल ने 'पंजाब बचाओ यात्रा' को स्थगित करने का बड़ा फैसला लिया है।

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शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने अपने अधिकारों के लिए आंदोलन कर रहे किसानों और कृषि श्रमिकों के साथ एकजुटता दिखाते हुए पार्टी की चल रही "पंजाब बचाओ यात्रा" को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने किसानों और खेत मजदूरों के कल्याण के लिए अथक प्रयास किया है और हमेशा उनके साथ खड़ा रहा है। वर्तमान स्थिति पर विचार करने के लिए 15 फरवरी को दोपहर 2 बजे चंडीगढ़ स्थित मुख्य कार्यालय में पार्टी की कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई गई है।

गौरतलब है कि सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों की टीम और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं के साथ साढ़े पांच घंटे चली दूसरे दौर की बैठक में न्यूनतम समर्थन की कानूनी गारंटी पर फसलों के दाम और कर्ज माफी परचर्चा  हुई लेकिन इस मुद्दे पर  सहमति नहीं बनी। दूसरे दौर की बैठक में माहौल गरमा गया। केंद्रीय नेताओं की ओर से कोई जवाब न मिलने से रोष में आए किसान नेता किसान नेता करीब 11.35 बजे बैठक से बाहर आ गए और ऐलान किया कि वे मंगलवार को 'दिल्ली कूच' करेंगे। इसके बाद बीते दिन सुबह किसानों ने दिल्ली की ओर कूच कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, आखिरकार केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों को पेशकश भी कि वे इन मांगों पर विचार करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री के नेतृत्व में एक कमेटी बनाएंगे, जिसमें राज्यों के कृषि मंत्रियों के अलावा किसान नेता भी शामिल होंगे, लेकिन किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दियाय़ किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बैठक के बाद कहा कि किसान किसी भी तरह का टकराव नहीं चाहते हैं और बातचीत के जरिए मामले को खत्म करना चाहते हैं, लेकिन केंद्र सरकार महत्वपूर्ण मांगों को मानने के मूड में नहीं है। 

तीसरे दौर की बैठक के लिए किसानों को दिया गया निमंत्रण

वहीं, सरकार ने किसान नेताओं को तीसरे दौर की बैठक के लिए फिर से आमंत्रित किया है।अब देखने वाली बात यह होगी कि तीसरे दौर की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी या नहीं। वहीं दिल्ली बॉर्डर पर भारी जाम लगा हुआ है। गौरतलब है कि 12 फरवरी की रात चंडीगढ़ में साढ़े 5 घंटे चली बैठक में किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) गारंटी कानून और कर्ज पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी। किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंधेर ने कहा, ''सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। उनके मन में खोट है. वह सिर्फ टाइम पास करना चाहती है। वह सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे लेकिन आंदोलन पर कायम रहेंगे।”

क्या हैं मांगें?

किसानों के दिल्ली मार्च का मकसद अपनी मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन कमिशन की सिफारिशों को लागू करना, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस दर्ज मामले वापस लेना शामिल है। लखीमपुरी पीड़ितों को राहत देना आदि शामिल है।  किसान 'न्याय', भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

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