Edited By Urmila,Updated: 07 Oct, 2024 11:28 AM
सतलुज दरिया के पानी को पाइपों के माध्यम से जालंधर तक लाकर और उसे पीने योग्य बनाकर शहर के लाखों घरों में सप्लाई करने वाले सरफेस वाटर प्रोजैक्ट पर जिस गति से काम चल रहा है।
जालंधर : सतलुज दरिया के पानी को पाइपों के माध्यम से जालंधर तक लाकर और उसे पीने योग्य बनाकर शहर के लाखों घरों में सप्लाई करने वाले सरफेस वाटर प्रोजैक्ट पर जिस गति से काम चल रहा है, उससे साफ है कि यह प्रोजैक्ट सरकारों के लिए जालंधर में कई सालों तक सिरदर्दी बना रहेगा।
यह प्रोजैक्ट कुल 808 करोड़ रुपए का था जिसमें से एल.एंड टी. कंपनी ने 465 करोड़ रुपए से जहां पाइप डालने थे, वहीं पांच अंडरग्राऊंड वाटर टैंक और ट्रीटमेंट प्लांट बनने थे। प्रोजैक्ट 30 माह में पूरा होना था पर 30 माह बीत जाने के बाद केवल 30 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया था। आज भी इस प्रोजैक्ट का आधा काम ही पूरा हो पाया है और यह प्रोजैक्ट करीब डेढ़ साल की देरी से चल रहा है।
कुछ समय पहले कंपनी को देरी के चलते कुल लागत का एक प्रतिशत यानी 4.65 करोड़ रूपए जुर्माना हुआ था, परंतु उसके बाद कंपनी पर दो प्रतिशत और यानी 9.30 करोड़ का जुर्माना ठोक दिया गया । इस प्रोजैक्ट के तहत शहर की कई मेन सड़कों को खोद दिया गया जो लंबे समय तक शहर निवासियों के लिए समस्या का कारण बनी रहीं।
अब शहर की 11 और मेन सड़कों को खोदने की प्लानिंग बन गई है क्योंकि कंपनी को नगर निगम और जालंधर स्मार्ट सिटी से अनुमति मिल गई है। इस मंजूरी के तहत कुल 36 किलोमीटर सड़कों को खोदा जाना है जिससे उठने वाली धूल-मिट्टी से लोगों को बुरा हाल होगा। स्मार्ट सिटी ने इन खोदी जाने वाली सड़कों को आगे जाकर बनाने की प्लानिंग भी तैयार कर ली है, जिसके लिए 34 करोड़ रुपए की मंजूरी भी दी जा चुकी है।
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