आम आदमी क्लीनिक स्टाफ ने फिर खोला मोर्चा, 6 महीने बाद भी नहीं हुआ वादों पर अमल

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 11 Jun, 2025 11:24 PM

aam aadmi clinic staff again opened protest

आम आदमी क्लीनिक फार्मासिस्ट यूनियन तथा क्लिनिक असिस्टेंट यूनियन द्वारा संयुक्त रूप से बनाए गए आम आदमी क्लिनिक सांझा फ्रंट ने स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह से गत वर्ष 26 नवंबर को हुई मीटिंग में उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दिए गए आश्वासन के बाद...

लुधियाना (सहगल) : आम आदमी क्लीनिक फार्मासिस्ट यूनियन तथा क्लिनिक असिस्टेंट यूनियन द्वारा संयुक्त रूप से बनाए गए आम आदमी क्लिनिक सांझा फ्रंट ने स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह से गत वर्ष 26 नवंबर को हुई मीटिंग में उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दिए गए आश्वासन के बाद उसे पूरा करने की गुहार लगाई है। फिरोजपुर रोड के निकट लगाए गए धरने के दौरान यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि 6 महीने से अधिक हो गए परंतु उनके आश्वासन के बाद अभी तक उनके मांगों को पूरा करने संबंधी अधिसूचना जारी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इसके लिए शीघ्र ही उनकी मांगों की ओर ध्यान दिया जाए और उन्हें मिलने का समय दिया जाए आम आदमी क्लीनिक सांझा फ्रंट के प्रधान परमजीत सिंह डा. तलविंदर सिंह ने कहा कि उनकी प्रमुख मांगों में
* आम आदमी क्लीनिक में काम करने वाले स्टाफ को नियमित स्टाफ के बराबर वेतन और अन्य भत्ते दिए जाएं। क्योंकि आम आदमी क्लीनिक के स्टाफ को उसी प्रक्रिया से काम पर रखा गया है जो नियमित भर्ती के लिए है। आम आदमी क्लीनिक के स्टाफ में नियमित स्टाफ के बराबर योग्यता है और वे समान रूप से काम करते हैं।
* आम आदमी क्लीनिक में काम करने वाले स्टाफ को जॉब सिक्योरिटी दी जानी चाहिए।
* आम आदमी क्लिनिक में कार्यरत स्टाफ से या तो ऑनलाइन काम लिया जाए या फिर ऑफलाइन। दोनों काम मिलाकर मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
* आम आदमी क्लिनिक में कार्यरत स्टाफ को प्रोत्साहन के तौर पर नेशनल प्रोग्राम दिए जाएं 
* आम आदमी क्लिनिक में कार्यरत स्टाफ के लिए अंतर जिला स्थानांतरण को मंजूरी दी जाए।
* अगर स्टाफ को नियमित स्टाफ की तरह वेतन और भत्ते नहीं दिए जाते हैं तो सरकार आम आदमी क्लिनिक के स्टाफ को 30 दिन की एश्योर्ड ओपीडी दे जो 1500 मरीजों के बराबर है और अतिरिक्त काम के लिए प्रोत्साहन भी दे। उन्होंने बताया कि गत वर्ष हुई मीटिंग में अधिकतर मांगों को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा मान लिया गया था परंतु इसे लागू नहीं किया गया जिस पर वह सरकार से अनुरोध करते हैं की सीख रही उनकी जायज मांगों पर ध्यान दिया जाए।

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