ओमिक्रॉन क्या असर डालता है आपकी इम्यूनिटी पर और कैसे म्यूटेट करता है कोरोना वायरस, जानें

Edited By Sunita sarangal,Updated: 06 Jan, 2022 01:37 PM

omicron effect on immunity and how does corona virus mutate

डब्ल्यू.एच.ओ. की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में आने वाले दो सप्ताह में कोरोना के मामलों में बड़ा उछाल आ सकता है।

नई दिल्ली : डब्ल्यू.एच.ओ. की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में आने वाले दो सप्ताह में कोरोना के मामलों में बड़ा उछाल आ सकता है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि ओमिक्रॉन सामान्य सर्दी नहीं है। स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा सकती है। बड़ी संख्या में रोगियों के परीक्षण सलाह और निगरानी के लिए सिस्टम होना महत्वपूर्ण है क्योंकि मामलों में अचानक भारी वृद्धि हो सकती है। पिछले एक सप्ताह में संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और डाटा से संकेत मिलता है कि महामारी का एक नया चरण शुरू हो गया है। अशोक विश्वविद्यालय में भौतिकी और जीव विज्ञान के प्रोफेसर गौतम मेनन ने भी कहा कि अगले 10 दिन महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कुछ भी असामान्य नहीं देखा गया है। मेनन का मानना है कि दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में तेज वृद्धि की तुलना कुछ सप्ताह पहले दक्षिण अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में की गई थी। इस नए संस्करण के साथ महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बने हुए हैं। जैसे-जैसे संख्या बढ़ने लगती है, डॉक्टर लोगों से मास्क पहनने का आह्वान कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि वायरस जंगल की आग की तरह फैलता है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि उच्च संचरण दर के साथ वर्तमान ओमिक्रॉन उछाल में एन-95 मास्क पहनना सबसे अच्छा है। अन्यथा कपड़े की कई परतों के साथ कपड़े के मास्क का उपयोग करें और नीचे एक डिस्पोजेबल मास्क पहनें। 

कैसे म्यूटेट करता है करता है कोरोना वायरस
व्यक्ति को संक्रमित करने के बाद वायरस और फैलने के लिए अपनी एक डुप्लीकेट कॉपी बनाता है, ये उसके लिए कभी न रुकने वाली प्रक्रिया है। इस दौरान वो कभी-कभी गड़बड़ी कर देता है जिसे हम म्यूटेशन कहते हैं। जब वायरस में इतने म्यूटेशन हो जाते हैं कि वो पहले से अलग दिखने लगे तो उसे नया वेरिएंट करते हैं। कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में मिला, कुछ वक्त बाद इसका एक वेरिएंट सामने आया जिसे अल्फा नाम दिया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूनानी अक्षरों की तर्ज पर वेरिएंट्स के नाम दिए और हाल के डैल्टा (बी.1.617.2) के बाद अब वायरस का नया ओमिक्रॉन वेरिएंट ( बी.1.1.529) सामने आया है।

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वैक्सीनेशन से मिली इम्यूनिटी को भेद देता है ओमिक्रॉन 
दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाज़ुलु-नटाल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रिचर्ड लेजल्स बताते हैं कि हाल के महीनों में बड़ी संख्या में लोग या तो कोविड से ठीक हुए हैं या उन्हें टीका दिया जा रहा है। ऐसे में माना जा सकता है कि संक्रमण फिर से हुआ तो ये लोग गंभीर बीमारी से बच पाएंगे। वह कहते हैं कि शुरुआत में माना जा रहा था कि संक्रमण से लोग मामूली बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर 10 से 30 साल की उम्र तक के युवा थे, इनमें छात्र थे जिनका लोगों से मिलना-जुलना अधिक था। हमें समझना होगा कि पूरी तरह वैक्सीनेटेड न होने पर भी वो गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे। जून-जुलाई में जब डेल्टा की लहर आई थी तब दोबारा संक्रमण की दर में कुछ ख़ास बढ़त नहीं देखी गई थी, लेकिन अभी तस्वीर अलग है। ओमिक्रॉन की लहर की शुरुआत में ही विशेषज्ञ दोबोरा संक्रमण के जोखिम में तीन गुना बढ़ोतरी देख रहे हैं। इसका मतलब ये है कि ये वेरिएंट लोगों की उस इम्यूनिटी को भी भेद पा रहा है जो लोगों को पहले हुए संक्रमण से मिली थी।

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बचाव के प्रयास कम, पाबंदियों के विरोध से डरती सरकारें
कोरोना वायरस का पहला मामला करीब 19 महीनों पहले मिला था, तब से लेकर अब तक इसमें कई म्यूटेशन्स आ चुके हैं। अल्फा के मुकाबले डैल्टा अधिक घातक था, ऐसे में ओमिक्रॉन को लेकर चिंता बेवजह नहीं है। संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रिचर्ड लेजल्स कहते हैं कि लोग आपस में घुल-मिल रहे हैं, सार्वजनिक तौर पर अधिक लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर पाबंदी नहीं है। देखा जाए तो वायरस को फैलने से रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है, लेकिन जो देश अभी डेल्टा का कहर झेल रहे हैं वहां पाबंदियां हैं। डर ये है कि कहीं ऐसा न हो कि जब तक ओमिक्रॉन को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाए जाएं तब तक स्थिति बिगड़ जाए। इस दुविधा में सरकारें भी हैं कि कहीं उनके हाथ से वक्त न निकल जाए लेकिन उन्हें पाबंदियों का विरोध होने का भी डर है। 

रिचर्ड लेजल्स कहते हैं कि नए वेरिएंट के बारे में पता चलते ही तीव्र प्रतिक्रिया हुई, कई मुल्कों की सरकारों ने यात्रा प्रतिबंध लगाए, लेकिन जब तक प्रतिबंध लागू किए गए तब तक ये वायरस कई देशों तक पहुंच चुका था। उन जगहों पर प्रतिबंध लगाने से जहां संक्रमितों की संख्या अधिक है वायरस को फैलने को रोका जा सकेगा ये जरूरी नहीं, साथ ही एक चुनौती यह भी है कि कहीं प्रतिबंधों के डर से नए वेरिएंट के बारे में जानकारी देने से पहले लोग दोबारा सोच में न पड़ जाएं।

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कैमिस्टों को आवश्यक दवाओं को स्टॉक करने के निर्देश
भारत भर में बढ़ते कोविड मामलों के बीच केंद्र सरकार ने केमिस्ट और ड्रगिस्टों को आवश्यक व्यवस्था करने और आवश्यक दवाओं के लिए अच्छी तरह से स्टॉक रखने के लिए कहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में दवाओं की उपलब्धता को लेकर नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया दोनों ने ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (ए.आई.ओ.सी.डी.) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। सरकारी एजेंसियों ने भारत भर के केमिस्टों और ड्रगिस्टों को उन प्रमुख दवाओं का बफर स्टॉक हासिल करने और बनाए रखने के लिए कहा है जो एक कोविड लहर के दौरान आवश्यक हैं।

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