Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Nov, 2017 12:12 PM
यूनाइटेड स्टेट्स के कोस्टारिका देश ने इस साल 300 दिन तक लगातार ग्रीन एनर्जी से बिजली उत्पादन कर अपनी जरूरतों को पूरा किया है। इससे जहां देशभर में बिजली से संबंधित जरूरतें पूरी हुई हैं वहीं लोगों की सेहत पर भी अच्छा असर पड़ा है।
जालंधर(विशेष): यूनाइटेड स्टेट्स के कोस्टारिका देश ने इस साल 300 दिन तक लगातार ग्रीन एनर्जी से बिजली उत्पादन कर अपनी जरूरतों को पूरा किया है। इससे जहां देशभर में बिजली से संबंधित जरूरतें पूरी हुई हैं वहीं लोगों की सेहत पर भी अच्छा असर पड़ा है। यही नहीं, कोस्टारिकन इंस्टीच्यूट ऑफ इलैक्ट्रीसिटी के मुताबिक जनवरी, 2017 से लेकर अब तक इस सैंट्रल अमरीकी देश ने 2015 में 299 दिन तक ग्रीन एनर्जी से बिजली उत्पादन करने का अपना ही रिकार्ड तोड़कर नया कीॢतमान स्थापित किया है।
इंस्टीच्यूट के मुताबिक कोस्टारिका 99 प्रतिशत बिजली उत्पादन 5 विभिन्न अक्षय ऊर्जा स्रोतों से करता है। इन स्रोतों में 78 प्रतिशत हाइड्रोपावर, 10 प्रतिशत पवन ऊर्जा, 10 प्रतिशत जियोथर्मल और 1 प्रतिशत बायोमास व सोलर एनर्जी से बिजली उत्पादन का इस्तेमाल करता है। इसके विपरीत यू.एस. एनर्जी इन्फॉर्मेशन प्रशासन के मुताबिक यूनाइटेड स्टेट्स ने 2016 में 15 प्रतिशत तक बिजली उत्पादन ही अक्षय ऊर्जा स्रोतों से किया। अमरीका में करीब दो-तिहाई बिजली उत्पादन कोयले और प्राकृतिक गैसों के इस्तेमाल से होता है तथा बाकी 19 प्रतिशत बिजली न्यूक्लीयर पावर से पैदा की जाती है।
कोस्टारिका की क्लीन डिवैल्पमैंट सलाहकार डा. मोनिका आर्य का कहना है कि कोस्टारिका का साल भर ग्रीन एनर्जी से बिजली उत्पादन एक शानदार उपलब्धि है लेकिन साथ ही कहा कि इसमें यह बात छुपाई गई है कि 70 प्रतिशत तक एनर्जी तेल के इस्तेमाल से पैदा हुई है। उनका कहना है कि 99 प्रतिशत फिगर सिर्फ बिजली के इस्तेमाल से संबंधित है। इसमें वाहनों में इस्तेमाल गैस और तेल के बारे में जिक्र नहीं है।
ग्रीन एनर्जी क्या है
ग्रीन एनर्जी ऐसा स्थायी स्रोत है जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहतर है। वास्तव में ग्रीन एनर्जी प्राकृतिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सूर्य, पवन, जल, भूगर्भ से उत्पन्न की जाती है। वर्तमान में विश्व की लगातार बढ़ रही जनसंख्या के कारण ईंधन की लागत बढ़ रही है और इसके समानांतर परंपरागत ईंधन भंडारों में निरंतर कमी होती जा रही है। ऐसे में सभी लोग ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजने में जुटे हैं।
भविष्य की अपार संभावनाओं से युक्त ग्रीन एनर्जी आज की आवश्यकता बनती जा रही है। पिछले 3 दशकों में ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में द्रुतगति से अनुसंधान और विकास कार्य हुए हैं। नित नवीन हरित प्रौद्योगिकियां सामने आती जा रही हैं, जो लोगों की कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम कर सकने के लिए काफी हैं। अब यह बात धीरे-धीरे स्पष्ट होती जा रही है कि जीवाश्म ईंधन की तुलना में हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) स्रोत बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं।
ग्रीन एनर्जी विकल्पों के लिए भारत कितना तैयार
इस समय भारत ने अक्षय ऊर्जा के नाम पर ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) विकल्पों के सार्थक दोहन के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की है। इसके तहत 2022 तक 175 गीगावाट क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है जो वर्तमान के 46 गीगावाट का 4 गुना है। भारतीय वैज्ञानिक, नीति निर्माता और पर्यावरणविद् भी हरित ऊर्जा की नई-नई तकनीकों और मॉडलों को तैयार करने में व्यस्त हैं। सौर, पवन और जल विद्युत प्रणालियों में विश्वसनीय व लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्राप्त करने और सम्बद्ध सुविधाओं एवं क्षमताओं को विकसित तथा सुदृढ़ बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों का आदान-प्रदान किया जा रहा है।
भारत की फोटोवोल्टिक क्षमता को बढ़ाने के लिए सोलर पैनल निर्माण उद्योग को 210 अरब रुपए की सरकारी सहायता देने की योजना है। इस योजना के तहत भारत 2030 तक कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) से पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।