दुष्यंत शर्मा बने चैस के चैम्पियन और युवम रहे सबसे छोटे उम्र के प्रतिभागी

Edited By swetha,Updated: 15 Jul, 2019 11:11 AM

chess competition

स्थानीय एस.डी. मॉडल स्कूल में करवाए जा रहे 2 दिवसीय पंजाब केसरी सैंटर ऑफ  चैस एक्सीलैंस प्रतियोगिता के दूसरे दिन विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

जालंधर कैंट (खुशबू): स्थानीय एस.डी. मॉडल स्कूल में करवाए जा रहे 2 दिवसीय पंजाब केसरी सैंटर ऑफ  चैस एक्सीलैंस प्रतियोगिता के दूसरे दिन विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। 
प्रतियोगिता में मुख्यातिथि डी.सी.पी. गुरमीत सिंह के साथ पंजाब केसरी के निदेशक श्री अभिजय चोपड़ा, निदेशिका साइशा चोपड़ा व निदेशक श्री अभिनव चोपड़ा सम्मिलित हुए। वहीं, प्रतियोगिता में दुष्यंत शर्मा चैस के चैम्पियन बने जबकि युवम इस खेल में सबसे छोटी उम्र के प्रतिभागी थे। इस मौके पर जालंधर चैस एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, सुनील धवन, निशांत घई, पंजाब कांग्रेस के सैक्रेटरी अतुल सूद, चीफ  ऑर्बिटर कीर्ति शर्मा, डिप्टी चीफ  आॢबटर अमित शर्मा, संजीव शर्मा, कशिश, कीर्ति कुमार शामिल हुए।

ग्रैंड मास्टर बनने का है सपना : अमायरा मित्तल 
अमायरा मित्तल ने कहा कि उन्हें शुरू से ही चैस खेलने का शौक है। वह पिछले 2 साल से चैस सीख रही है। उसका बस एक ही सपना है कि वह चैस में ग्रैंड मास्टर बने।

2 साल से सीख रही हूं चैस : आरिका 
6 साल की आरिका ने बताया कि वह पिछले 2 साल से चैस सीख रही है। उन्हें चैस सीखने के लिए घरवालों ने प्रोत्साहित किया। अब वह इसी खेल में आगे बढऩा चाहती है।

नैशनल खेल में कर चुका है पार्टीसिपेट : अर्जुनवीर 
13 साल के अर्जुन वीर ने कहा कि उन्होंने तीसरी कक्षा से ही चैस सिखनी शुरू कर दी थी। उनके घर पर जब पापा और बहन चैस खेलते थे तो उन्हें देख कर मन करने लगा की वह भी चैस खेले। अब तक वह 3 बार नैशनल गेम्स में भाग ले चुका है।

6 महीने पहले सीखनी शुरू की चैस : युवम 
प्रतियोगिता में सबसे छोटे खिलाड़ी युवम ने कहा कि उन्होंने चैस 6 महीने पहले ही खेलनी शुरू की है। चैस का खेल उन्हें स्कूल में मास्टर सिखाते थे, तब उसे इसे सीखने का शौक हुआ।

डॉक्टर बनने का है सपना  : धैर्य 
जब भाई चैस खेलते थे तो उन्हें देखकर उसका भी मन करने लगा कि वह भी चैस खेले। तब उसने चैस खेलनी शुरू की। अब तक वह 4 से 5 बार नैशनल गेम्स खेल चुका है। 

पापा ने चैस खेलनी शुरू करवाई :दिव्यम पुरी 
मुझे चैस खेलनी पापा ने शुरू करवाई। वह शुरू में पापा के साथ चैस खेलती थी, उसके बाद पापा ने उसे इसकी क्लास ज्वाइन करवा दी।

लॉन टैनिस को छोड़ चैस को चुना : दुष्यंत 
दुष्यंत ने कहा कि वह शुरू से ही लॉन टैनिस खेलता था। एक दिन बारिश हो रही थी तो वह कोच के साथ चैस खेलने लगा जिससे उसकी चैस के प्रति रुचि जागी। इस पर कोच ने उसके माता-पिता को कहा कि वे उसे चैस सिखाएं। तब उसने चैस के खेल को खेलना शुरू किया और इस खेल की बारीकियां सीखीं। अब वह कई बार नैशनल गेम्स तक खेल चुका है।

बच्चों के विकास में स्कूल का भी पूरा योगदान हो : नरेश कुमार 
एस.डी. मॉडल स्कूल के अकाऊंट मैनेजर नरेश कुमार ने कहा कि बच्चों के विकास में माता-पिता के साथ स्कूल का भी बहुत योगदान होता है। जब बच्चे स्कूल में होते हैं तो उस समय शिक्षक ही सही रास्ता दिखाएं ताकि वे जिंदगी के हर मोड़ में सफलता को पा सकें।

बाकी शहरों में भी होगी प्रतियोगिता : कोच कंवरजीत 
कोच कंवर जीत ने कहा कि जालंधर के साथ-साथ इसी सैशन में बाकी शहरों में चैस की प्रतियोगिता करवाई जाएगी। वह एक कोच हैं जो बच्चों को सिखाते हैं, इसलिए उन्हें पता है कि बच्चों को ग्राऊंड लेवल पर सिखाने के लिए क्या-क्या चीजें चाहिएं। वह हमें उन्हें उपलब्ध करवानी चाहिए। 

जल्द ही जालंधर से मिलेगा ग्रैंड मास्टर : कीर्ति 
चीफ  ऑर्बिटर कीर्ति ने कहा कि पंजाब केसरी की ओर से करवाई जा रही यह प्रतियोगिता बहुत ही अच्छा कदम है। इसकी मदद से जालंधर से जल्द ही उसे उसका ग्रैंड मास्टर मिल जाएगा।

बच्चों से ज्यादा माता-पिता निभाएं अहम रोल : श्री अभिजय चोपड़ा
पंजाब केसरी ग्रुप के डायरैक्टर श्री अभिजय चोपड़ा ने कहा कि खेल में बच्चों को बढ़ावा देने के लिए माता-पिता को अहम रोल निभाना चाहिए। छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जैसे एक कुम्हार मिट्टी को घड़े जैसा आकार देता है वैसे ही हम बच्चों को हर तरह का प्रोत्साहन देकर तैयार कर सकते हैं इसलिए माता-पिता बच्चों को चैस खेलने के लिए प्रेरित करें ताकि वे जिंदगी के हर मोड़ पर सफलता अर्जित कर सकें।

यह खेल बच्चों को गलत दिशा में जाने से रोकता है : डी.सी.पी. गुरमीत सिंह 
डी.सी.पी. गुरमीत सिंह ने कहा कि पंजाब केसरी की ओर से समाज के लिए बहुत काम किए जाते है, यह चैस प्रतियोगिता भी बहुत ही अच्छा कदम है। जिस तरह से आज का युवा नशे की ओर जा रहा है, उसे रोकने के लिए खेल को बढ़ावा देना बहुत ही जरूरी है। चैस से बच्चों का दिमाग एक जगह पर रुक कर काम करता है, वे अपने बारे में सोच पाते हैं। जब वह छोटी उम्र में ही सही रास्ते पर चलते हैं तो गलत रास्ते अपने आप ही उनसे दूर हो जाते हैं। 

चैस खिलाड़ी जीवन के हर कदम को सोच कर चलता है : अश्विनी तिवारी
एफ.एम. अश्विनी तिवारी ने कहा कि चैस एक ऐसा खेल है, जो खिलाड़ी को सामने वाले की चाल को ध्यान में रखते हुए अपनी चाल चलने में मदद करता है। इस खेल का खिलाड़ी अपने अगले दो कदम ही नहीं, कई कदम सोच कर चलता है। 

 

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