स्टूडैंट यूनियन चुनाव से मिलेगी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में मदद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Mar, 2018 05:10 PM

student union election will help strengthen democratic institutions

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई.) ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा राज्य में स्टूडैंट चुनाव करवाने के ऐलान को जायज ठहराते हुए कहा है

जालन्धर (धवन): भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई.) ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा राज्य में स्टूडैंट चुनाव करवाने के ऐलान को जायज ठहराते हुए कहा है कि इससे निम्र स्तर तक लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। सी.पी.आई. की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. जोगिन्द्र दयाल ने कहा कि 34 वर्षों के बाद राज्य की यूनिवर्सिटीज व कालेजों में विद्यार्थियों के चुनाव होंगे तथा इससे एक नई लीडरशिप उभर कर सामने आएगी। 

 

डा. दयाल ने कहा कि अभी तक विद्यार्थियों के चुनाव न होने के कारण वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा मिलता रहा परन्तु अब जब यूनिवॢसटियों व कालेजों से नई लीडरशिप उभर कर सभी सियासी दलों की सामने आएगी तो इससे वंशवादी राजनीति पर रोक लग जाएगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने एक साहसिक फैसला लिया है जिसका सभी सियासी दलों को समर्थन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गैंगस्टर्स के खिलाफ लिए गए स्टैंड की भी सी.पी.आई. सराहना करती है क्योंकि जब तक राज्य में सभी गैंगस्टर्स का सफाया नहीं हो जाता है तब तक राज्य में न तो औद्योगिक उन्नति हो सकेगी और न ही व्यापार बढ़ सकेगा। 

 

हरियाणा में 22 तो पंजाब में 34वर्ष बाद चुनाव 

 

हरियाणा में भी राज्य सरकार ने स्टूडैंट यूनियन के चुनाव करवाने का ऐलान किया है। हरियाणा में यह चुनाव 22 वर्षों बाद होंगे तो दूसरी तरफ पंजाब में स्टूडैंट यूनियन के चुनाव 34 वर्ष बाद होंगे। दिलचस्प बात यह है कि पंजाब में सभी सियासी दलों के स्टूडैंट विंग काम करते हैं। स्टूडैंट यूनियन के चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में नौजवानों की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने चालू वर्ष के दौरान ही चुनाव करवाने के संकेत दिए। अब जैसे ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा वैसे ही कालेजों व यूनिवर्सटियों में स्टूडैंट चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां जोर पकड़ लेगी। 

 

इस समय 15 से 59 आयु वर्ग के बीच के लोगों की जनसंख्या लगभग 64.4 प्रतिशत बताई जा रही है। 60 वर्ष से ऊपर आयु के लोगों की गिनती 8.3 प्रतिशत है। 0 से 14 आयु वर्ग के लोगों की गिनती देश में 27.3 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत में युवा पीढ़ी के लोगों की गिनती ज्यादा है तथा उन्हें अपने अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है। देश की राजनीति को अब युवा शक्ति की जरूरत है। यूनिवॢसटयो व कालेजों में लीडरशिप उभरेगी तो कल को वह वही विधायक व सांसद के रूप में सामने आएंगे। 

 
 

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